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This Article is From Dec 10, 2019

संसद में नागरिकता संशोधन बिल फाड़ने के बाद NDTV से बोले असदुद्दीन ओवैसी - जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

औवैसी ने कहा कि इस बिल को एनआरसी से जोड़ना जरूरी है. इसे एनआरसी के साथ जोड़कर देखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह बिल पूरी तरह से मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाली है.

नागरिकता संशोधन बिल पर औवैसी ने दी प्रतिक्रिया

नई दिल्ली:

सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में  चर्चा के दौरान नागरिकता संशोधन बिल को फाड़कर अपना विरोध दर्ज कराया. उन्होंने सदन से बाहर आने के बाद NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने इसक दौरान कहा कि मैं इस बिल का विरोध करता हूं इसलिए मैंने यह बिल फाड़ा. औवैसी ने कहा कि इस बिल को एनआरसी से जोड़ना जरूरी है. इसे एनआरसी के साथ जोड़कर देखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह बिल पूरी तरह से मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाली है. उन्होंने आगे कहा कि यह हर भारतीय का अधिकार है कि वह सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. और इस बार तो सरकार ने संविधान की आत्मा के साथ ही खिलवाड़ किया है. 

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इससे पहले लोकसभा में इस बिल को लेकर हुई चर्चा के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस विधेयक पर ऐतराज जताते हुए इसकी कॉपी को फाड़ कर फेंक दिया था. बिल को फाड़ते हुए ओवैसी ने कहा था कि ये एक और विभाजन होने जा रहा है. यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने वाला है. मैं बिल को फाड़ता हूं, जो हमारे देश को विभाजित करने का प्रयास करता है. हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने इस बिल को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी बताया. इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को NDTV से खास बातचीत में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) और एनआरसी (NRC) के मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा था.

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ओवैसी ने कहा था कि संविधान में नागरिकता को धर्म से नहीं जोड़ा गया. पहली बार ऐसा हो रहा है जब बीजेपी की सरकार अपना असली चेहरा दिखा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिखा दिया है कि वे अपनी विचारधारा पर अमल कर रहे हैं संविधान पर नहीं. उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया था.

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक लाने का मकसद  हिन्दुस्तान को एक धर्म आधारित देश बनाना है. उन्होंने कहा था कि हिन्दुस्तान और इस्राइल में अब कोई फर्क नहीं रहेगा. संविधान में मजहब के आधार पर सिटिजनशिप की कोई बात ही नहीं है. उन्होंने सवाल पूछा कि कोई नास्तिक होगा तो क्या करेंगे आप? इस तरह का कानून बनाने के बाद पूरी दुनिया में हमारा मजाक बनेगा. बीजेपी सरकार हिन्दुस्तान के मुसलमानों को संदेश देना चाहती है कि आप अव्वल दर्जे के शहरी नहीं हैं बल्कि दूसरे दर्जे के शहरी हैं.

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बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं: अमित शाह
लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. किसी के साथ अन्‍याय का कोई प्रश्‍न ही नहीं उठता है. अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का बिल है. इस बिल ने किसी मुस्लिम के अधिकार नहीं लिए हैं. हमारे एक्ट के अनुसार कोई भी आवेदन कर सकता है. नियमों के अनुसार आवेदन करने वालों को नागरिकता दी जाएगी.'

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