नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने जोधपुर जेल में बंद कथावाचक आसाराम बापू के खिलाफ बलात्कार के मामले में साक्ष्य दर्ज कराने की प्रक्रिया पूरी करने में विलंब के लिये शुक्रवार को गुजरात पुलिस को फटकार लगाई और यह प्रक्रिया पांच सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने राज्य पुलिस से मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में विलंब के बारे में सवाल किये और कहा कि ‘ऐसा महीनों तक नहीं चल सकता.’ न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने इस मुकदमे की प्रगति की स्थिति की जानकारी मांगी तो गुजरात सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीडि़तों के बयान दर्ज किये जा चुके हैं.
मेहता ने कहा, ‘पीडि़त ने अपना बयान दर्ज कराया है. अब इस मामले में सिर्फ प्रमुख गवाहों का परीक्षण ही शेष है.’ इस पर पीठ ने तुषार मेहता से जानना चाहा कि इन गवाहों से पूछताछ के लिये कितना वक्त चाहिए. मेहता ने जवाब दिया कि यह प्रक्रिया दो तीन महीने में पूरी हो जायेगी.
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पीठ ने कहा, ‘अभी और कितने महीने आपको चाहिए. यह इस तरह महीनों नहीं चल सकता. आपको पांच सप्ताह में इसे पूरा करना होगा.’ इसके साथ ही न्यायालय ने आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. गुजरात सरकार ने 22 जनवरी को शीर्ष अदालत से कहा था कि आसाराम के खिलाफ बलात्कार मामले में पीडि़त से 29 जनवरी को पूछताछ की जायेगी. न्यायालय ने 15 जनवरी को मुकदमे की प्रगति की स्थिति के बारे में पूछते हुये राज्य सरकार को प्रगति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था.
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सूरत की रहने वाली दो बहनों ने अलग -अलग शिकायतों में आसाराम और उनके पुत्र नारायण साई के खिलाफ उनका बलात्कार करने और गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाकर रखने सहित अनेक आरोप लगाये थे. बड़ी बहन का आरोप है कि अहमदाबाद के निकट उनके आश्रम में 2001 और 2006 के दौरान आसाराम ने उसका बार -बार यौन उत्पीड़न किया था. आसाराम को 31 अगस्त, 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और इसके बाद से ही वह जेल में हैं.
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