तेजस्वी यादव ने रविवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में ये जानकारी दी.
खास बातें
- राज्य के बेरोजगारों और युवाओं को साधने के लिए तेजस्वी का चुनावी दांव
- तेजस्वी ने कहा- सत्ता में आए ते तुरंत देंगे 10 लाख युवाओं को जॉब
- राज्य में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा-चिकित्सा एक बड़ा मुद्दा है
पटना: बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने बड़ा दांव खेला है. उन्होंने युवाओं को रिझाने के लिए ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो पहली कैबिनेट मीटिंग में ही पहला फैसला राज्य में 10 लाख लोगों को रोजगार देने पर लेंगे. उन्होंने ट्वीट किया है, "पहली कैबिनेट में पहली कलम से बिहार के 10 लाख युवाओं को नौकरी देंगे..बिहार में 4 लाख 50 हज़ार रिक्तियाँ पहले से ही है.. शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह विभाग सहित अन्य विभागों में राष्ट्रीय औसत के मानकों के हिसाब से बिहार में अभी 5 लाख 50 हज़ार नियुक्तियों की अत्यंत आवश्यकता है.."
रविवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी ने कहा कि राजद द्वारा विगत 5 सितंबर को लॉन्च बेरोज़गारी हटाओ पोर्टल पर अब तक 9 लाख 47 हज़ार 324 बेरोज़गार युवाओं और 13 लाख 11 हज़ार 626 लोगों ने टोल फ़्री नम्बर पर Missed Call किया है. यानि अब तक कुल 22 लाख 58 हज़ार 950 लोगों ने निबंधन किया है. उनके अनुसार बिहार में 4 लाख 50 हज़ार रिक्तियाँ पहले से ही हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह विभाग सहित अन्य विभागों में राष्ट्रीय औसत एवं तय मानकों के हिसाब से बिहार में अभी भी 5 लाख 50 हज़ार नियुक्तियों की अत्यंत आवश्यकता है.
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उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय मानक पर बिहार आख़िरी पायदान पर है. बिहार की आबादी लगभग साढ़े बारह करोड़ है. WHO के स्वास्थ्य मानक के अनुसार प्रति 1000 आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन बिहार में 17 हज़ार की आबादी पर एक डॉक्टर है. इस हिसाब से बिहार में एक लाख पचीस हज़ार डॉक्टरों की ज़रूरत है. उसी अनुपात में सपोर्ट स्टाफ़ जैसे नर्स,लैब टेक्निशियन, फ़ार्मसिस्ट की ज़रूरत है. सिर्फ़ स्वास्थ्य विभाग में ही ढाई लाख लोगों की ज़रूरत है.
राज्य में पुलिसकर्मियों के 50 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. यह तब है, जब बिहार में पुलिस-पब्लिक का अनुपात न्यूनतम स्तर पर पहुंचा हुआ है, यहां प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ 77 पुलिसकर्मी हैं, जबकि मणिपुर जैसे राज्य में पुलिसकर्मियों की संख्या प्रति एक लाख की आबादी पर एक हजार से अधिक है. राष्ट्रीय औसत 144 पुलिसकर्मी प्रति एक लाख आबादी पर है. बिहार में पुलिसकर्मियों की टोटल स्ट्रैंथ 1.26 लाख है लेकिन अभी सिर्फ 77 हजार कार्यरत पुलिस कर्मियों के भरोसे इतना बड़ा और अपराध की दृष्टि से गंभीर माना जाने वाल राज्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि अभी पुलिस विभाग में लगभग 50 हज़ार रिक्तियाँ है. राष्ट्रीय औसत से भी देखें तो बिहार में 1.72 लाख पुलिसकर्मियों की ज़रूरत है. इसके बावजूद पुलिसकर्मियों की नियुक्ति में आनाकानी चलती रहती है और आज तक बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई.
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तेजस्वी ने कहा, शिक्षा क्षेत्र में 3 लाख शिक्षकों की ज़रूरत है. प्राइमरी और सेकंडेरी लेवल पर ढाई लाख से अधिक स्थायी शिक्षकों के पद रिक्त हैं. कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर लगभग 50 हज़ार प्रोफ़ेसर की आवश्यकता है. बिहार में 35 हज़ार के लगभग ऐसे विद्यालय हैं जहाँ एक ही शिक्षक हैं. बिहार के 67.94 फीसदी ऐसे प्राइमरी स्कूल हैं जहाँ विद्यार्थी शिक्षक अनुपात अस्वीकार्य ति में है. इसके ऊपर के विद्यालयों की स्थिति और भी बदतर है. 77.86 फीसदी माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात बिल्कुल आपत्तिजनक अवस्था में है.
नेता प्रतिप क्ष ने कहा कि राज्य में जूनियर इंजीनियर के 66% पद ख़ाली हैं. पथ निर्माण, जल संसाधन, भवन निर्माण, बिजली विभाग तथा अन्य अभियांत्रिक विभागों में लगभग 75 हज़ार अभियंताओं की ज़रूरत है. इसके अलावा लिपिकों, सहायकों, चपरासी और अन्य वर्गों के लगभग 2 लाख पद भरने की आवश्यकता है ताकि काम-काज सुचारू रूप से चल सके और कार्य में निपुणता और गुणवता आ सके. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता रिक्तियों के साथ-साथ नयी नौकरियाँ सृजित करने की होगी. इसके लिए हम वचनबद्ध हैं. हमारी पहली कैबिनेट बैठक में इन पदों को भरने की क़वायद शुरू होगी, विज्ञापन निकाला जाएगा और एक तय समय सीमा के नियुक्तियाँ की जाएँगी.
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