लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा प्रमुख मायावती पर संकट, क्या लौटाने होंगे 59 करोड़?

लखनऊ स्थित अंबेडकर पार्क में हाथियों की 152 मूर्तियां हैं, जबकि नोएडा स्थित में अंबेडकर पार्क 56 मूर्तियां हैं. मायावती पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने के अलावा स्मारकों के ठेके देने में गड़बड़ी करने का आरोप है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा प्रमुख मायावती पर संकट, क्या लौटाने होंगे 59 करोड़?

मायावती

खास बातें

  • चुनाव से ठीक पहले मायावती पर आर्थिक संकट
  • नोएडा में हाथी की मूर्तियों को बनवाने का मामला
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इनपर खर्च पैसे लौटाने चाहिए
नई दिल्ली:

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मायावती पर एक बड़ा संकट आ खड़ा हो गया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में लगी हाथियों की मूर्तियां, बसपा के संस्थापक काशी राम और उनकी खुद की मूर्तियों पर खर्च हुई राशि को वापस करने के लिए कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मायावती के शासनकाल में इन मूर्तियों पर अनुमानित 59 करोड़ रुपये का खर्च आया था. जिसमें उनकी खुद की प्रतिमाओं पर 3 करोड़ 49 लाख रुपये, काशीराम की प्रतिमा पर 3 करोड़ 77 लाख रुपये और चुनाव चिह्न हाथी की मूर्ति पर 52 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था. मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाईंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए. CJI ने कहा कि हमारा प्रारंभिक विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए. मायावती की ओर से सतीश मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें. अब इस मामले में 2 अप्रैल को सुनवाई होगी.

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपक गुप्ता की बेंच ने अपनी राय में कहा, "महोदया मायावती इन मूर्तियों पर खर्च धन की प्रतिपूर्ति सरकार के खजाने को करें." गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी उनको खुद बचाव करने को छोड़ दिया है जिससे उनकी समस्या बढ़ गई है. बुआ जी पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते रहने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पास अब कोई सवाल नहीं है. उन्होंने कहा, "मैंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बारे में पूरा नहीं पढ़ा है. बसपा के वकील मसले से निबटेंगे."

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मामले को अंतिम फैसले के लिए दो अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री की चिंता के दो कारण हैं- पहला यह कि अदालत की झिड़की से आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है और प्रतिद्वंद्वी पार्टी खासतौर से भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर उनको दलित नहीं दौलत की बेटी कहने का मौका मिल जाएगा. दूसरा कारण यह है कि इससे उनके बटुए में बड़ा सुराख बन जाएगा.  लखनऊ स्थित अंबेडकर पार्क में हाथियों की 152 मूर्तियां हैं, जबकि नोएडा स्थित में अंबेडकर पार्क 56 मूर्तियां हैं.

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मायावती पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने के अलावा स्मारकों के ठेके देने में गड़बड़ी करने का आरोप है. इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता अधिवक्ता रविकांत ने कहा कि सत्ता में रहते हुए राजनीतिक हितों के लिए सरकारी धन का खुल्लमखुल्ला उपयोग किया गया. मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव के आदेश पर हुई लोकायुक्त जांच में भी 1,400 करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान लगाया गया था.  (इनपुट एजेंसी IANS के साथ)