एडिटर्स गिल्ड ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और तहलका के पूर्व संपादक तेजपाल की सदस्यता निलंबित की

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल की सदस्यता बुधवार को निलंबित कर दी.

एडिटर्स गिल्ड ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और तहलका के पूर्व संपादक तेजपाल की सदस्यता निलंबित की

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल की सदस्यता बुधवार को निलंबित कर दी. इस संबंध में एक बयान में कहा गया कि गिल्ड ने कार्यकारी समिति से इस बारे में विचार मांगे थे कि वर्तमान में निष्क्रिय सदस्य अकबर, इसके पूर्व अध्यक्षों में से एक तेजपाल तथा वरिष्ठ पत्रकार गौतम अधिकारी पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए?

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बयान में कहा गया कि कार्यकारी समिति के अधिकतर सदस्यों ने अकबर और तेजपाल की सदस्यता निलंबित करने का सुझाव दिया. गिल्ड के पदाधिकारियों ने कार्यकारी समिति की टिप्पणियों पर चर्चा की और इस विचार से सहमति जताई कि गिल्ड से अकबर और तेजपाल की सदस्यता निलंबित की जानी चाहिए. गिल्ड ने फैसला किया कि गौतम अधिकारी की सदस्यता पर निर्णय करने से पहले वह उनका जवाब मांगेगी. 

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बता दें कि बीते अक्टूबर महीने में दिल्ली की एक अदालत में एमजे अकबर ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया और कहा कि वह निर्दोष हैं. उन्होंने अपने स्टेटमेंट में कहा कि मैं कलकत्ता के बॉयस स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ा. कॉलेज के बाद मैं पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गया. बहुत कम समय में मैं संडे नामक पत्रिका का संपादक बना. 1983 में मैंने द टेलिग्राफ़ शुरू किया. फिर मैं 1993 तक एशियन ऐज का संपादक रहा. फिर इंडिया टुडे का एडिटोरियल डारेक्टर रहा. फिर संडे गार्डियन का फ़ाउंडिंग एडिटर रहा. इसके साथ ही मैंने कई किताबें लिखीं (कोर्ट में अपनी लिखीं किताबें पेश कीं ).

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आगे उन्होंने कहा कि मैं हेडलाइंस टुडे का एडिटोरियल डायरेक्टर रहा. मैं इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हूं. मैं 2014 में राजनीति में आया मुझे बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. 2015 में मुझे झारखंड से राज्यसभा सांसद बनाया गया फिर 2016 में मुझे मध्य प्रदेश से संसद भेजा गया. मुझे फिर प्रधानमंत्री मोदी की काबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर काम करने का अवसर दिया गया. मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुक़द्दमा किया है. उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ श्रंखलाबद्ध ट्वीट किए. 


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उन्होंने कहा कि मेरी अच्छी साख और नाम को डीफ़ेम करने के लिए जानबूझकर प्रिया रमानी ने मुझ पर झूंठे और आधारहीन आरोप लगाए. इन झूंठे आरोपों से मुझे काफ़ी धक्का लगा जो कि कथित तौर पर 20 साल पुराने हैं. इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय आया हूं. मैंने इसलिए राज्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. आम लोगों, मेरे क़रीबी लोगों की नज़रों में मेरी साख गिरी है. मेरे द्वारा कही गईं सारी बाते सत्य हैं और मुझ पर लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं. 

(इनपुट: भाषा)


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