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खास बातें
- जासूसी मामले में जेल में था हामिद
- छह साल बाद हुई स्वदेश वापसी
- सुषमा स्वराज ने कहा आपका भाग्य अच्छा था
नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में छह साल तक बंद रहने के बाद वतन लौटे हामिद नेहाल अंसारी (Hamid Nihal Ansari) ने बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) से मुलाकात की. सुषमा स्वराज से मिलते ही हामिद फूट-फूट कर रोने लगे. उन्होंने सुषमा स्वराज और भारत सरकार का शुक्रिया किया. सुषमा स्वराज ने हामिद नेहाल अंसारी (Hamid Nihal Ansari) के प्रति संवेदना जताई और कहा कि आपका भाग्य आपको भारत ले आया. सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने कहा कि यह आपका दुर्भाग्य था कि आप वहां फंस गए थे. बता दें कि हामिद नेहाल अंसारी (Hamid Nihal Ansari) जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद थे. मंगलवार को ही उन्हें रिहा किया गया है. मंगलवार शाम भारतीय सीमा में दाखिल होते ही हामिद ने अपनी धरती को चूमा. उनके परिवार वाले वाघा बॉर्डर पर उन्हें लेने पहुंचे थे. बता दें कि छह साल पहले ऑनलाइन प्रेमिका से मिलने के लिए हामिद सीमा पार पहुंच गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था.
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भारत ने 95 बार पाकिस्तान से अनुरोध किया था कि पाक में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को हामिद से मिलने दिया जाए, लेकिन हर बार पाकिस्तान ने मांग ठुकरा दी थी. हामिद की मां फ़ौज़िया ने उनकी रिहाई के लिए काफ़ी कोशिश की. वह लगातार विदेश मंत्रालय के संपर्क में रहीं और आख़िरकार हामिद अंसारी की पाक से रिहाई हुई और वो देश वापस लौटा. गौरतलब है कि मुंबई के रहने वाले हामिद की पूरी कहानी शाहरुख खान और प्रीती जिंटा की फिल्म 'वीर-जारा' की तरह है. हामिद अंसारी पाकिस्तान की एक लड़की से ऑनलाइन मिला और उसका दीवाना हो गया.
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ये दीवानगी इस कदर बढ़ी कि वो अपनी प्रेमिका से मिलने अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान पहुंच गया. लेकिन यहां से उसकी मुश्किलें शुरू हो जाती हैं.पकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ने उसे गिरफ्तार कर लिया. भारतीय होना उसके लिए बड़ी मुसीबत थी. उस पर जासूसी का आरोप लगाया गया और फिर मुंबई में उसके परिवार को उसके बारे में महीनों कुछ भी पता ही नहीं चला.
लेकिन हामिद की मां की महीनों की कोशिश और पाकिस्तान की अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के बाद पता चला कि हामिद पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है. वहां उस पर सैनिक अदालत में मुकदमा चलाया गया और उसे फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनवाने के आरोप में तीन साल की सज़ा सुनाई गई.