झारखंड : भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार संघर्ष करने वाले नेता सरयू राय

भारतीय राजनीति में सबसे अधिक चर्चित घोटालों में से एक पशुपालन घोटाले को उजागर करने वाले नेता का नाम है सरयू राय

झारखंड : भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार संघर्ष करने वाले नेता सरयू राय

झारखंड में बीजेपी के बागी मंत्री सरयू राय सीएम रघुबर दास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.

नई दिल्ली:

बिहार का पशुपालन घोटाला वह घोटाला है जिसने बिहार की राजनीति को नई दिशा दे दी. यह घोटाला जब हुआ तब बिहार और झारखंड संयुक्त प्रदेश थे. भारतीय राजनीति में सबसे अधिक चर्चित घोटालों में से एक पशुपालन घोटाले को उजागर करने वाले नेता का नाम है सरयू राय. बीजेपी के नेता सरयू राय झारखंड में कैबिनेट मंत्री हैं और इस बार पार्टी से टिकट नहीं दिए जाने पर बगावत कर रहे हैं. वे अपनी परंपरागत सीट जमशेदपुर पश्चिम के अलावा जमशेदपुर पूर्व से भी उम्मीदवार हैं जो कि मुख्यमंत्री रघुबर दास की सीट है.    

झारखंड की जमशेदपुर पश्चिम सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सरयू राय ने 2014 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को 10517 वोटों के अंतर से हराया था. 2014 के चुनावों के बाद पूर्ण बहुमत में आई भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री रघुबर दास की सरकार में राय को केबिनेट मंत्री बनाया गया था.

सरयू राय भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत संघर्ष करते रहे हैं. उन्होंने सन 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था. बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई. सरयू राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया. उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा.

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सरयू राय भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सतत मैदान में डटे रहे हैं. राय ने 1980 में किसानों को दिए जाने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली सहकारिता संस्थाओं के विरुद्ध भी आवाज उठाई थी. तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए जोरदार आंदोलन किया था जो कि सफल भी हुआ. सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था. झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में भी राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही. उनकी पहचान  घोटालों का पर्दाफाश करने वाले नेता के रूप में बनी.

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जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता, प्रखर पत्रकार तथा मुद्दों एवं नैतिक मूल्यों की राजनीति करने वाले गंभीर व्यक्तित्व के धनी सरयू राय ने बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया. हालांकि साल 2000 में बिहार राज्य के पुनगर्ठन के बाद उन्होंने नवगठित राज्य झारखंड को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में चुना, मगर बिहार में आज भी सरयू राय आर्थिक और सामाजिक विषयों के ऐसे विशेषज्ञ के रूप में सराहे जाते हैं जिनके कार्यों और उपलब्धियों ने वहां की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है.

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