न कैमरा, न रोड शो : मजदूरों, सब्जी और रेहड़ी वालों के पैसे से चलने वाली पार्टी का घोषणापत्र

उत्तर पूर्वी दिल्ली से क्रांतिकारी मजदूर पार्टी से चुनाव लड़ रहे योगेश सामाजिक कार्यकर्ता हैं. लम्बे समय से भगत सिंह के विचारों पर चलने वाले संगठनों से जुड़े हैं और करावल नगर में पुस्तकालय चलाते हैं.

न कैमरा, न रोड शो :  मजदूरों, सब्जी और रेहड़ी वालों के पैसे से चलने वाली पार्टी का घोषणापत्र

क्रांतिकारी मजदूर पार्टी 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है

नई दिल्ली:

देश में हो रहे लोकसभा चुनाव  में नेताओं की रैली आप देख रहे होंगे. नेता जब रैलियां करते हैं हैं मीडिया के कैमरे चारो तरफ आप को दिखाई देते हैं. सुबह से शाम तक इन नेताओं के बयान छपते हैं. टीवी पर घंटों तक इन नेताओं के भाषण चलते हैं.  चुनाव में कई ऐसी पार्टियां भी हैं जो आम लोगों की समस्या को आगे रखकर चुनाव लड़ रही हैं लेकिन मीडिया इन पार्टियों की रैली को कभी कवर नहीं करते हैं. ऐसी ही एक पार्टी है 'क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी'. यह पार्टी पर देश के छह सीट पर चुनाव लड़ रही है उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली, रोहतक, हरियाणा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा, उत्तर-पूर्वी मुम्बई, अंबेडकर नगर, महाराष्ट्र, महाराजगंज, उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र से यह पार्टी चुनाव लड़ रही है. इस पार्टी के सदस्य पहले भी कई बार मज़दूरों की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं. हज़ारों की संख्या में आंगनवाड़ी कर्मचारियों के हक़, युवाओं को नौकरी मिले इसे लेकर पर भी आंदोलन कर चुके हैं. 

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उत्तर पूर्वी दिल्ली से क्रांतिकारी मजदूर पार्टी से चुनाव लड़ रहे योगेश सामाजिक कार्यकर्ता हैं. लम्बे समय से भगत सिंह के विचारों पर चलने वाले संगठनों से जुड़े हैं और करावल नगर में पुस्तकालय चलाते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से इन्होंने पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया है. योगेश ने करावल नगर में बादाम मज़दूरों के संघर्ष से लेकर सड़क निर्माण संघर्ष, स्कूल बचाओ आन्दोलन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है. इसके अलावा वज़ीरपुर के इस्पात उद्योग मज़दूरों की हड़ताल से लेकर दिल्ली के आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों की हड़ताल में भागीदारी की है.  क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी का चुनावी सिंबल कन्नी है. चुनाव लड़ने के लिए इस पार्टी के पास कोई फंड नहीं है. इस पार्टी के पास रैली और रोड शो के लिए भी पैसा नहीं है. यह पार्टी शाम को ज्यादातर अपना प्रचार करती है जब मज़दूर काम करके शाम को घर लौटते हैं. चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद यह पार्टी लोगों से चंदा मांगती है. कोई मज़दूर दस रुपया देता है तो कोई पांच रुपया. सब्जी वाले और रेहड़ी वाले भी इस पार्टी को चंदा देते हैं. 

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पिछले शुक्रवार इस पार्टी के तरफ से खजूरी में एक चुनावी सभा रखी गई. यह भाषण देश के बड़े बड़े नेताओं के भाषण से भी अच्छा थी लेकिन इस भाषण को दिखाने के लिए न तो वहां कोई पत्रकार था न कैमरा. इस पार्टी के नेताओं के भाषण में न तो ग़ालीगलौज थी और न आरोप-प्रत्यारोप.

पार्टी के घोषणापत्र की बड़ी बातें

  • हर प्रकार के नियमित कार्य से ठेका प्रथा पूरी तरह समाप्त किया जाए.
  • राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी कम से कम 20,000 रुपये की जाये.
  • 'राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी' कानून पारित किया जाये और रोज़गार न मिलने पर प्रति माह 10,000 रुपये बेरोज़गारी भत्ता मिले.
  • प्राथमिक से लेकर उच्चतम शिक्षा के स्तर सभी के लिए समान और निःशुल्क हो. सभी के लिए समान और निःशुल्क दवा-इलाज की व्यवस्था की जाये. 
  • कर्ज-ग्रस्त और कर्ज घोटाला करने वाली सभी कंपनियों के तत्काल राष्ट्रीयकरण किया जाये.
  • ज़मीन का राष्ट्रीयकरण किया जाये और सभी बड़े निजी फॉर्मों पर सामूहिक औक सहकारी फ़ॉर्म बना कर खेतिहर मज़दूर और ग़रीब किसानों को सौंपे जाएं.
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इस पार्टी के कार्यकर्ता शिवानी कौल ने मीडिया ने कवर करने वाले सवाल पर बताया कि छोटे-छोटे मीडिया संस्था कवर करने के लिए पैसा मांगते है जब कि बड़े-बड़े मीडिया संस्था कभी कवर करने के लिए नहीं आते है. इस रैली आये कई मज़दूरों ने बताया कि क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी समस्याओं को लेकर काफी गंभीर है. इस पार्टी में इन मज़दूरों को एक नई उम्मीद दिख रही है. 
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