Nirbhaya Case: तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार से मांगी फांसी की नई तारीख, कहा- दया याचिका के निपटारे तक...

Nirbhaya Case: निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार को खत लिखकर फांसी की नई तारीख मांगी है.

Nirbhaya Case: तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार से मांगी फांसी की नई तारीख, कहा- दया याचिका के निपटारे तक...

खास बातें

  • कोर्ट ने कहा, दोषी ने दया याचिका लगाई और 22 जनवरी में सिर्फ पांच दिन बाकी
  • राष्ट्रपति याचिका खारिज कर दें तो फिर दोषी 14 दिन का समय मांगेंगे
  • चारों दोषियों को 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी दी जानी है
नई दिल्ली:

Nirbhaya Case: निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार को खत लिखकर फांसी की नई तारीख मांगी है. जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार से दया याचिका के निपटारे तक फांसी की तारीख टालने को कहा है. निर्भया केस के दोषी मुकेश की डेथ वारंट को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में आज कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की कि दोषी ने दया याचिका लगाई है और 22 जनवरी में सिर्फ पांच दिन बचे हैं. हो सकता है कि राष्ट्रपति आज या कल में, एक-दो दिन में दया याचिका खारिज कर दें. फिर ये लोग 14 दिनों का समय मांगेंगे. फिर नई तारीख मांगेंगे. ऐसे में फांसी कैसे होगी? तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार को फांसी टालने के लिए पत्र लिखा है. उसने कहा है कि दया याचिका पर निपटारे तक फांसी टाली जाए. पटियाला हाउस कोर्ट ने जेल प्रशासन से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है. मामले में शुक्रवार को आगे सुनवाई होगी.

इससे पहले बुधवार को निर्भया केस के दोषी मुकेश की डेथ वारंट को चुनौती देने वाली याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट ने निपटारा कर दिया था. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश को ट्रायल कोर्ट में जाने को कहा था. दिल्ली सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया था कि 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषियों में से एक ने दया याचिका दायर की है, इसलिए दोषियों की फांसी 22 जनवरी को नहीं हो सकती. चारों दोषियों विनय शर्मा, मुकेश सिंह, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी देना है.

पटियाला कोर्ट में गुरुवार को मुकेश के लिए वकील वृंदा ग्रोवर ने बहस की. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि कोर्ट 22 जनवरी के डेथ वारंट को रद्द करे. हमने जेल प्रशासन के सामने राष्ट्रपति और उप राज्यपाल के पास दया याचिका दाखिल की है. मुकेश की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका को दोपहर 2 बजे खारिज किया. हमने 3 बजे दया याचिका दाखिल कर दी थी.

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वृंदा ग्रोवर ने कहा कि आपके आदेश में कोई खामी नहीं है. हम आपके आदेश को चुनौती नहीं दे रहे हैं. आपके डेथ वारंट जारी करने के बाद कुछ बदलाव हुआ है. हम यह कह रहे हैं कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित है, इसलिए फिलहाल मौत की सजा नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी यही कहते हैं कि राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने का फैसला के मिलने के बाद कम से कम 14 दिन दिए जाने चाहिए.

मुकेश की तरफ से कहा गया कि पटियाला हाउस कोर्ट का आदेश गलत नहीं था लेकिन उसके बीच जो परिस्थितियों में बदलाव आया है उसके आधार पर डेथ वारंट पर रोक की मांग की है. हमारी दो मुख्य मांगें हैं
पहली डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए और दूसरी डेथ वारंट को रद्द किया जाए.

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मुकेश की वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले के मुताबिक 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि दया याचिका अभी लंबित है. उन्होंने शत्रुघ्न चौहान के फैसले का उदाहरण दिया. मुकेश की ओर से कहा गया कि वह पहले क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं कर पाया था क्योंकि कुछ कागजात कम थे. बाद में यह याचिका लगाई गई. 14 जनवरी को यह याचिका खारिज की गई

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ ने देरी के आधार पर क्यूरेटिव याचिका को खारिज नहीं किया है. मुकेश की तरफ से कहा गया कि इस मामले में चार लोगों को फांसी दी गई है. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि 18 दिसम्बर को इस मामले में मैं केस में इंगेज हुई. क्या ऐसा कभी कोर्ट को लगा कि मेरी तरफ से देरी हुई?

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मुकेश की वकील ने दिल्ली सरकार की भूमिका पर सवाल  उठाए कि क्या यह राज्य सरकार की भूमिका नहीं थी कि वो कोर्ट को बताए? ग्रोवर ने कहा कि दोषी अभी उनके कस्टडी में है, उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती. जेल अथॉरिटी को इसको लेकर कोर्ट को बताना चाहिए था. इन लोगों ने मेरे ऊपर छोड़ दिया कि मैं कोर्ट में आऊं.

निर्भया के माता-पिता के वकील ने मुकेश की याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मुकेश की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि अगर कोई मौत का सजायाफ्ता कैदी भी है तो उसकी आखिरी सांस तक जीने के अधिकार को बनाए रखा जाना चाहिए. भावनाएं देश के कानून के ऊपर नहीं हो सकतीं. शत्रुघ्न चौहान फैसले के मुताबिक मुकेश दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन पाने का हकदार है.

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ग्रोवर ने कहा कि जेल प्रशासन ने अपने नोटिस में दोषियों को केवल दया याचिका के बाबत कहा था क्यूरेटिव याचिका के बारे में नहीं. जेल के मैनुअल में क्यूरेटिव याचिका के प्रावधान का जिक्र क्यों नही है? तिहाड़ जेल मैनुअल में सिर्फ दोषी को दया याचिका का ही प्रावधान बताया गया है.

ग्रोवर ने दोषी मुकेश की तरफ से कहा कि "मेरे अधिकार अभी जीवित हैं." जेल प्रशासन को पता होना चाहिए मेरा अधिकार क्या है? जेल मैनुअल के हिसाब से 22 जनवरी को फांसी नहीं दी  जा सकती. इसको जेल प्रशासन पर नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि अगर 21 जनवरी को राष्ट्रपति दया याचिका को ठुकराते हैं तो 22 जनवरी को जेल प्रशासन फांसी दे देगा.

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ग्रोवर ने तिहाड़ जेल पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मुकेश ने तिहाड़ जेल से कुछ जरूरी कागजात मांगे. जेल प्रशासन ने हां या ना में जवाब ही नहीं दिया. आखिर जेल प्रशासन किसके इशारे पर काम कर रहा है. वो कानून का सम्मान नहीं कर रहा है. ऐसा व्यक्ति जो कानूनी उपचार ले रहा है उसे फांसी पर चढ़ाने की तैयारी की जा रही है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी डेथ वारंट जारी नहीं कर सकता. ये सिर्फ ट्रायल कोर्ट ही कर सकता है.

सरकारी वकील ने कहा  कि नियमों के मुताबिक फिलहाल 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती.  पहले राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला आना चाहिए, इसके बाद 14 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार के सरकारी वकील ने दोहराया कि 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती.

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जज ने कहा कि  जब जेल सुप्रिटेंडेंट ने हमें लिखा कि दया याचिका लगाई गई है, तो इसका मतलब क्या है? क्या इसका मतलब ये नहीं है कि कानून के मुताबिक फांसी का समय दिया जाना चाहिए? लेकिन यहां दोषी नया आदेश मांग रहा है. वो डेथ वारंट के आदेश को चुनौती नहीं दे रहा है. दोषी का कहना है क्योंकि अब परिस्थितियों में बदलाव हुआ है, डेथ वारंट नहीं होगा.

पटियाला हाउस कोर्ट ने टिप्पणी की कि इस मामले में तिहाड़ जेल अपनी नई रिपोर्ट दाखिल करे. इसके बाद नया डेथ वारंट जारी करने की मांग करे. कोर्ट ने संकेत दिया कि 22 जनवरी को टल सकती है फांसी.

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पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई कानून का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट जाएं, लेकिन हम अपने आदेश पर पुनर्विचार कर रहे हैं, ना कि रद्द कर रहे हैं. अगर हमारे आदेश को चुनौती देनी है तो सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. जज ने कहा कि लेकिन हम सिर्फ डेथ वारंट की नई तारीख पर विचार कर रहे हैं. सजा के आदेश पर नहीं. सरकारी वकील ने कहा किहमने सरकार को लिखा है कि फांसी की तारीख को बढ़ी दी जाए.  उनका जवाब नहीं मिला है.

पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि दोषी ने दया याचिका लगाई है. 22 जनवरी में सिर्फ पांच दिन बचे हैं. हो सकता है कि राष्ट्रपति आज या कल में, एक-दो दिन में दया याचिका खारिज कर दें. फिर ये लोग 14 दिनों का समय मांगेंगे. कोर्ट ने कहा कि  हम फिलहाल फांसी की तारीख नहीं बढ़ा रहे. हम तो जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांग रहे हैं. उनसे स्टेटस रिपोर्ट मांग रहे हैं. जेल प्रशासन ने कोर्ट को पूरी जानकारी नहीं दी है. जेल प्रशासन को कोर्ट के सामने पूरी जानकारी रखनी चाहिए थी.

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शुक्रवार को दोपहर 3.30 बजे मामले की सुनवाई होगी. तिहाड़ जेल ने दिल्ली सरकार से नई तारीख मांगी है.

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