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पीएम मोदी ने कहा, 'जिसे लाभ नहीं मिला वो भी ये बात करता था कि उस व्यक्ति को लाभ मिल गया है अब मुझे भी मिलने वाला है. इस विश्वास की एक अहम विशेषता है. इतने बड़े जनादेश को कुछ लोग ये कह दें कि आप तो चुनाव जीत गए लेकिन देश चुनाव हार गया. मैं समझता हूं कि इससे बड़ा भारत के लोकतंत्र और जनता जनार्दन का कोई अपमान नहीं हो सकता. मैं पूछना चाहूंगा कि क्या वायनाड में हिंदुस्तान हार गया क्या? क्या रायबरेली में हिन्दुस्तान हार गया?'
पीएम ने कहा, 'क्या बहरामपुर और तिरुवनंतपुरम में हिंदुस्तान हार गया? क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया? मतलब कांग्रेस (Congress) हारी तो देश हार गया क्या? अहंकार की भी एक सीमा होती है. मैं हैरान हूं, मीडिया को भी गाली दी गई कि मीडिया के कारण चुनाव जीते जाते हैं. मीडिया बिकाऊ है क्या? जो खरीद कर चुनाव जीत लिए जाएं. तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी यही लागू होगा क्या? ये तक कह दिया कि देश का किसान बिकाऊ है. दो-दो हजार रुपये की योजना के कारण किसानों के वोट खरीद लिए गए. मैं मानता हूं कि मेरे देश का किसान बिकाऊ नहीं हो सकता. ऐसी बात कहकर देश के करीब 15 करोड़ किसान परिवारों को अपमानित किया गया है.' 55-60 वर्ष तक देश को चलाने वाला एक दल 17 राज्यों में एक भी सीट नहीं जीत पाया तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि देश हार गया?'
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पीएम ने कहा, 'जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता है, सामर्थ्य का अभाव होता है, तब फिर बहाने ढूंढे जाते हैं. आत्मचिंतन करने और अपनी गलतियों को स्वीकारने की जिनकी तैयारी नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं. जिससे अपने साथियों को बताया जाये कि देखो देखो हम तो EVM के कारण हारे. इस चुनाव की एक विशेषता है कि ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी कोने से बहुमत के साथ बीजेपी और एनडीए जीतकर आया हैं. जो हार गए हैं, जिनके सपने चूर-चूर हो गए वो मतदाताओं का अभिनंदन नहीं कर सकते होंगे. मैं मतदाताओं का सिर झुकाकर कोटि-कोटि अभिनंदन करता हूं.'
पीएम ने कहा, 'कभी सदन में हम भी 2 रह गए थे. हमको 2 या 3 बस, कहकर बार-बार हमारा मजाक उड़ाया जाता था. लेकिन हमें कार्यकर्ताओं पर भरोसा था, देश की जनता पर भरोसा था. हममें परिश्रम करने की पराकाष्ठा थी और इससे हमने फिर से पार्टी को खड़ा किया. हमने ईवीएम पर दोष नहीं दिया था. कांग्रेस की कुछ न कुछ ऐसी समस्या है कि ये विजय को भी नहीं पचा पाते और 2014 के बाद से मैं देख रहा हूं कि ये पराजय को भी स्वीकार नहीं कर पाते. चुनाव प्रक्रिया में सुधार होते रहे हैं और होते रहने चाहिए. खुले मन से इस पर चर्चा होनी चाहिए. लेकिन बिना चर्चा के ये कह देना कि हम एक देश-एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, कम से कम चर्चा तो करनी चाहिए. ये समय की मांग है कि देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो.'
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पीएम ने कहा, 'आपको पुराना इंडिया चाहिए, जहां पत्रकार वार्ता में कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दिया जाए, जहां पूरी नौसेना को सैर सपाटे के लिए इस्तेमाल लिया जाए. जहां जल थल और नभ हर जगह घोटाले ही घोटाले हों. लेकिन देश की जनता हिन्दुस्तान को पुराने दौर में ले जाने के लिए कतई तैयार नहीं है. देश की जनता अपने सपनों के अनुरूप नए भारत की प्रतीक्षा कर रही है और हम सभी को सामूहिक प्रयासों से सामान्य मानवी के सपनों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'मैं हैरान हूं कि नकारात्मकता और विरोधाभास इस हद तक गया कि शौचालय, स्वच्छता, जनधन, योग का कार्यक्रम और यहां तक की मेक इन इंडिया का भी मजाक उड़ाया गया. हर चीज में देश ने नकारात्मकता को भली-भांति देखा गया है. क्या हमें वो ओल्ड इंडिया चाहिए जो टुकड़े-टुकड़े गैंग को सपोर्ट करने के लिए पहुंच जाए. जहां इंस्पेक्टर राज हो, जहां इंटरव्यू के नाम पर भ्रष्टाचार हो. देश की जनता हिंदुस्तान को पुराने दौर में ले जाने के लिए कतई तैयार नहीं हैं.'
पीएम ने कहा, 'सबका साथ सबका विकास का मंत्र लेकर हम चले थे लेकिन 5 साल के हमारे कार्यकाल को देखकर देश की जनता ने उसमें सबका विश्वास रुपी अमृत जोड़ा है. लेकिन आजाद साहब को कुछ धुंधला नजर आ रहा है, जब तक राजनीतिक चश्मे से सब देखा जायेगा तो धुंधला ही नजर आएगा और इसलिए अगर हम राजनीतिक चश्में उतारकर हम देखेंगे तो देश का भविष्य नजर आएगा. शायद इसीलिए ग़ालिब ने कहा था कि ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा, ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और मैं आइना साफ़ करता रहा'
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पीएम ने कहा, 'हमारा मानना है कि सरदार साहब अगर देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो शायद आज देश में जम्मू-कश्मीर की समस्या नहीं होती, हिंदुस्तान के गांवों की आज जो जद्दोजहद है वो भी न होती. सरदार साहब को कांग्रेस ने देश का पहला गृहमंत्री बनाया था, वो पक्के कांग्रेसी थे. लेकिन मैं हैरान हूं कि जब गुजरात में चुनाव होते हैं तो वो कांग्रेस के पोस्टर में नजर आते हैं, लेकिन देश भर में कहीं नजर नहीं आते. एनआरसी का क्रेडिट कांग्रेस को भी लेनी चाहिए. राजीव गांधी सरकार ने असम एकॉर्ड में एनआरसी को स्वीकार किया था. हमें सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया तो हम उसे लागू कर रहे हैं. आप भी क्रेडिट लीजिए न. वोट भी लेना है और क्रेडिट भी नहीं लेना. आधा बोलना और आधा न बोलना ऐसा न कीजिए.'
पीएम ने कहा, 'सरदार साहब के सम्मान में हमने जो स्टेचू ऑफ यूनिटी बनाया हैं, मैं आग्रह करूंगा कि कांग्रेस के सबसे बड़े नेता एक बार तो वहां जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करके आएं. मैं गुलाम नबी जी से भी अनुरोध करूंगा 'कुछ दिन तो गुजारिये गुजरात में'. आयुष्मान भारत योजना की ताकत हर उस सांसद को पता है जिसने अपने इलाके के गरीब के इलाज के लिए प्रधानमंत्री को कभी चिठ्ठी लिखी हो. अब चिठ्ठी नहीं लिखनी पड़ती. क्योंकि आयुष्मान भारत योजना से गरीबों को फायदा मिल रहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय जाने की अब जरूरत नहीं है.'