राहुल गांधी के गुजरात दौरे का आज आखिरी दिन, बोले- PM मोदी सुनना शुरू कर दें तो समस्याएं हल हो जाएंगी

राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री यदि सुनना शुरू कर दें, तो जीएसटी और नोटबंदी से पैदा हुई आधी समस्याओं का हल हो सकता है.

राहुल गांधी के गुजरात दौरे का आज आखिरी दिन, बोले-  PM मोदी सुनना शुरू कर दें तो समस्याएं हल हो जाएंगी

राहुल गांधी गुजरात दौरे पर

खास बातें

  • राहुल गांधी के गुजरात दौरे का आज आखिरी दिन
  • कई सभाओं में लेंगे हिस्सा
  • गुजरात दौरे के दौरान पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा
अहमदाबाद:

राहुल गांधी की गुजरात यात्रा का आज आखिरी दिन है. आज वह राजकोट में रहेंगे और कई सभाएं करेंगे. आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राहुल गांधी की इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पिछले दो दिन के दौरान राहुल गांधी ने गुजरात से पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसे फैसले किसी को सुने बगैर करने’ को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि प्रधानमंत्री के इन कदमों ने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री यदि सुनना शुरू कर दें, तो जीएसटी और नोटबंदी से पैदा हुई आधी समस्याओं का हल हो सकता है.

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कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा और भाजपा की विचारधारा के बीच बहुत अंतर है. कांग्रेस ने सबकी सुनी और उसके बाद बड़े फैसले लागू किए. इस सरकार ने किसी की नहीं सुनी और जीएसटी तथा नोटबंदी लागू की, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. उन्होंने हेमू गांधवी ऑडीटोरियम में छोटे एवं मझोले उद्यमियों, शिक्षकों और चिकित्सकों से बात करते हुए यह कहा.

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कांग्रेस नेता ने कहा, हमारे पास अच्छे वक्ता नहीं रहे होंगे, लेकिन हमारे पास लोगों को सुनने की गुणवत्ता थी. उनकी समस्याओं के बारे में जानना चाहते थे, हमने हर किसी के सुझाव पर ध्यान दिया और फिर बड़े फैसले लागू करने का फैसला किया. इस सरकार ने ऐसा नहीं किया और जीएसटी तथा नोटबंदी लागू कर दी. उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों को स्तब्ध कर दिया था. उन्होंने कहा कि जीएसटी ने छोटे और मझोले उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इन्हीं दो तरह के उद्योगों को प्रोत्साहन देकर रोजगार सृजन किया जा सकता है. बड़े उद्योग उस पैमाने पर रोजगार सृजन नहीं कर सकते, जितने की देश को जरूरत है. (इनपुट्स भाषा से भी)

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