चुनावी मौसम में आरएसएस का मंदिर राग, एक और रथयात्रा का ऐलान

दिल्ली से शुरू होने वाली यह यात्रा 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक पूरी दिल्ली में निकाली जाएगी. रथ यात्रा के आयोजन की जिम्मेदारी आरएसएस के संगठन स्वदेशी जागरण मंच को दी गई है.

चुनावी मौसम में आरएसएस का मंदिर राग, एक और रथयात्रा का ऐलान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल तस्वीर)

खास बातें

  • 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक रथ यात्रा.
  • पूरी दिल्ली में रथ यात्रा निकाल जुटाया जाएगा जन समर्थन.
  • आयोजन की जिम्मेदारी स्वदेशी जागरण मंच को दो गई.
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS)अयोध्या में राम मंदिर को लेकर रथ यात्रा निकालने जा रहा है. मंदिर के लिए जन समर्थन जुटाने की कवायद दिल्ली से शुरू होगी. इस रथयात्रा को 'संकल्प रथ यात्रा' नाम दिया गया है. दिल्ली से शुरू होने वाली यह यात्रा 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक पूरी दिल्ली में निकाली जाएगी. रथ यात्रा के आयोजन की जिम्मेदारी आरएसएस के संगठन स्वदेशी जागरण मंच को दी गई है. यात्रा की शुरुआत संघ के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा झंडेवालान मंदिर से करेंगे. बता दें, विश्व हिंदू परिषद पहले से ही पूरे देश में जन समर्थन जुटाने में लगा है.

विश्व हिंदू परिषद ने हालही में अयोध्या में 'धर्म सभा' का आयोजन करवाया था. इसमें देशभर के संतों ने हिस्सा लिया था. धर्म सभा में अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग उठाई गई थी. सरकार से मांग की गई थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाए. इसी दिन शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी अयोध्या पहुंचे थे. अयोध्या में उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो दोबारा भाजपा सरकार नहीं आएगी.
 

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला उच्चतम न्यायालय की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिये कानून लाना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए.'' 

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इसके साथ ही भागवत ने कहा था, ‘चाहे जो भी कारण हो क्योंकि अदालत के पास समय नहीं है या राम मंदिर मामला उनकी प्राथमिकता में नहीं है अथवा संभवत: वह समाज की संवेदनशीलता को नहीं समझ पा रही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इस बारे में विचार करे कि मंदिर निर्माण के लिये कैसे एक कानून लाया जाये... कानून जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए.''उन्होंने कहा, ‘‘अब यह आंदोलन का निर्णायक चरण है.'

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