क्या पश्चिम बंगाल में NRC को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है RSS, पढ़ें ये बयान

असम में एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के बीच जमकर बहस हो चुकी है.

क्या पश्चिम बंगाल में NRC को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है RSS, पढ़ें ये बयान

फाइल फोटो

खास बातें

  • पश्चिम बंगाल में आरएसएस के सचिव का बयान
  • बंगाल में एनआरसी लागू करने की वकालत
  • एनआरसी पर ममता और बीजेपी में हो चुकी है बहस
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल मेंराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के सचिव जिश्नु बसु का कहना है कि बंगाल में हिंदुओं को खत्म होने से बचाने के लिये अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी ही एक मात्र जरिया है. उनका कहना है कई तरह के अत्याचार झेल चुके बांग्लादेशी हिंदू भी अब यहां आ रहे हैं और नागरिक संशोधन बिल उनकी मदद करेगा. आरएसएस के पदाधिकारी का कहना है कि लेकिन अगर हमने बांग्लादेशी मुसलमानों को पश्चिम बंगाल में आने की इजाजत दे तो कई जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक बनते जा रहे हैं. अगर हमारे पास एनआरसी नहीं होगा तो हम घुसपैठियों की पहचान नहीं कर पाएंगे. जिश्नु बसु का कहना है कि सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के कई जिले प्रभावित हैं. हम लोगों छोटे समूह बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि एनआरसी और नागरिक संशोधन बिल के लिये तथ्य सामने लाएं जा सकें. हम एक सामाजिक संगठन हैं, हम लोगों को तथ्यों के बारे में जागरुक कर सकते हैं.
 

गौरतलब है कि असम में एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के बीच जमकर बहस हो चुकी है. ममता बनर्जी का कहना है कि चुनाव से पहले बीजेपी ऐसे हथकंडे अपना रही है. ममता ने आरोप लगाया, 'हर राज्य में बाहर से आये लोग रहते हैं. असम में संवाद की सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं. महिलाओं और बच्चों को जेल भेज दिया गया है. यह एक चुनावी राजनीति है'. ​
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सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी से सवाल किया कि क्या हिलसा मछली, जामदानी साड़ी, संदेश और मिष्टी दोई, जो मूल रूप से बांग्लादेश के हैं, को भी घुसपैठिया या शरणार्थी करार दिया जाएगा? गौरतलब है कि संदेश और मिष्टी दोई मशहूर बंगाली मिठाइयां हैं. वहीं आरएसएस से बीजेपी में आए पार्टी के महासचिव राम माधव का कहना है असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम सूची में शामिल नहीं किए जाने वाले लोगों का मताधिकार छीन लिया जाएगा और उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाएगा. वहीं असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाए.
 
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इन सबके बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस मुद्दे को लेकर काफी सक्रिय हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक सभा को संबोधित करते हुये कहा, 'सपा, बसपा और कांग्रेस पार्टी जवाब दें कि वो बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से निकालना चाहते हैं कि नहीं.'  इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर संसद में बहस के दौरान अमित शाहने कहा था कि, 14 अगस्त 1985 को गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की थी. उन्होंने कहा ‘‘समझौते में कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर, उनको हमारे नागरिक रजिस्टर से अलग कर एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जायेगा.’

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शाह ने कहा कि एनआरसी बनाने की यह पहल पूर्व प्रधानमंत्री के फैसले के अनुपालन में ही की गयी है. उन्होंने कांग्रेस पर इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुये कहा कि एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधी हुयी है. शाह ने एनआरसी से 40 लाख लोगों का नाम हटाये जाने के विपक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुये कहा ‘ये 40 लाख लोग कौन हैं. इनमें बांग्लादेशी घुसपैठिये कितने हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं.’

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