फेसबुक के कुछ आला अधिकारी भाजपा के पक्ष में काम कर रहे : राघव चड्ढा

दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति की बैठक हुई, फेसबुक पर घृणा फैलाने वाले कंटेंट के आरोपों को जांच, फेसबुक के अधिकारियों को समन किया जाएगा

फेसबुक के कुछ आला अधिकारी भाजपा के पक्ष में काम कर रहे : राघव चड्ढा

दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव कमेटी की बैठक मंगलवार को हुई.

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) की शांति एवं सद्भाव कमेटी ने मंगलवार को फेसबुक (Facebook) के अधिकारियों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले कंटेंट को जानबूझकर नजरअंदाज करने से संबंधित आई शिकायतों को लेकर बैठक की. बैठक में समिति के सामने तीन गवाहों ने उपस्थित होकर बयान दर्ज कराया. कमेटी के चेयरमैन राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने बताया कि कार्रवाई के दौरान सामने आया कि फेसबुक के कुछ आला अधिकारी भाजपा के पक्ष में काम कर रहे हैं और घृणा फैलाने वाले कंटेंट जानबूझकर अपने प्लेटफार्म से नहीं हटा रहे हैं. यह बात द वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त 2020 को प्रकाशित एक आर्टिकल में सामने आई थी और उससे संबंधित शांति एवं सद्भाव समिति को कई सारी शिकायतें मिली हैं. चड्ढा ने कहा कि समिति ने फेसबुक के आला अधिकारियों को नोटिस भेजकर समन करने का फैसला किया है, ताकि उनका पक्ष सुना जा सके और उनका बयान दर्ज किया जा सके. 

समिति के चेयरमैन राघव चड्ढा ने प्रेस को संबोधित करते कहा कि आज दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति की बैठक हुई. इस बैठक की कार्रवाई में मुख्य तौर पर तीन गवाहों को इस कमेटी के सामने आए, जिन्होंने अपना बयान दर्ज कराया. इस कमेटी ने उनसे काफी सारे सवाल-जवाब किए और कई सारी चीजें सामने आई हैं. राघव चड्ढा ने कहा कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त 2020 को एक आर्टिकल छपा था, जिसमें कुछ इस प्रकार की चीजें सामने आई थी कि फेसबुक और खास करके हमारे देश में फेसबुक के आला अधिकारी हैं, वो भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में काम कर रहे हैं. घृणा फैलाने वाले कंटेंट जानबूझकर अपने प्लेटफार्म से नहीं हटा रहे हैं. इस प्रकार की चीजें उस आर्टिकल में भी सामने आई और उस आर्टिकल के बाद इस कमेटी के सामने भी कई सारी शिकायतें आई हैं. जब उस आर्टिकल से संबंधित शिकायतें हमारी कमेटी के सामने आईं, तो कमेटी ने उसका संज्ञान लिया और उचित समझा कि इस विषय पर कार्रवाई की जाए, तफ्तीश की जाए और उसके बाद कमेटी आने वाले समय में निर्णय पर अवश्य पहुंचेगी.

राघव चड्ढा ने कहा कि आज इस कमेटी के सामने जो गवाह आए, उसमें डोमेन एक्सपर्ट थे, जिन्होंने डिजिटल कंटेंट, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, साइबर फ्रीडम, इंटरनेट फ्रीडम और फेसबुक के ऊपर खास तौर पर खुद अध्ययन किया है, काम किया है और बहुत पास से उन्होंने चीजों को देखा है, समझा है, वो लगातार उस पर टिप्पणी करते रहते हैं, किताबें भी लिखी हैं और उनके पास अच्छी खासी जानकारी है और कमेटी को सुझाव देने के लिए उन्हें निमंत्रण दिया था. आज कमेटी की कार्रवाई के दौरान जो बातें निकल कर आई और गवाहों ने बताया है, वह यह है कि ऐसा प्रतीत होता है कि फेसबुक एक तटस्थ मंच नहीं है. बहुत सारे ऐसे सबूत हैं, जो यह दिखाता है कि कंटेंट निष्पक्ष फेसबुक नहीं है. फेसबुक कुछ खास प्रकार के कंटेंट को ज्यादा महत्व ओर दृश्यता देता है और दूसरे प्रकार के कंटेंट को उतना बढ़ावा नहीं देता है. जो फेसबुक पर आरोप लगे थे, उन आरोपों का आधार है कि फेसबुक और भारतीय जनता पार्टी के बीच में अपवित्र सांठगांठ है. उनके बीच किस तरह की अंडरस्टैंडिंग है, आने वाले समय में कमेटी उसकी जांच करेगी, लेकिन मोटे मोटे तौर पर जो आरोप लगा था, उसका एक आधार कमेटी के सामने रखा गया. एक खास प्रकार के कंटेंट जो उनके राजनैतिक मकसदों को तरफदारी करता है, उसको प्रमोट किया जाता है और जो भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ है, आलोचनात्मक है, सवाल पूछता है, उस कंटेंट को ज्यादा तबज्जो और दृश्यता नहीं दी जाती है. 

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राघव चड्ढा ने कहा कि फेसबुक के कुछ अधिकारियों का नाम आज की बैठक में आया, जिसने अंखी दास, शिवनाथ ठुकराल और अन्य आला अधिकारियों का जिक्र किया गया और कहा गया कि फेसबुक पर जो आरोप लग रहे हैं, उन सारी चीजों की तह तक जाने के लिए फेसबुक के अधिकारियों को कमेटी के सामने उपस्थित होने के लिए अवश्य समन किया जाए. फेसबुक आला अधिकारी को नोटिस भेजकर आने के लिए कहा जाए और इन सारी चीजों पर उनका पक्ष लिया जाए और बयान दर्ज किया जाए. कई बार जिक्र आया कि किस प्रकार से मुजफ्फरनगर में दंगे हुए, दिल्ली में इस साल दंगे हुए, बेंगलुरु में सामुदायिक विवाद हुए और इन सारे विवाद में सोशल मीडिया और खासकर फेसबुक और व्हाट्सएप की क्या भूमिका रही? इस पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह कमिटी के सामने उत्पन्न हुए. कमेटी आने समय में इन सारे बिंदुओं पर कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए इन पर चिंतन भी करेगी, इसकी तफ्तीश भी करेगी और गवाहों को बुलाकर उनसे जिरह भी करेगी और इस कमिटी के सामने सबूत व साक्ष्य भी लाने का प्रयास करेगी.