जानिए सुषमा स्वराज ने क्यों कहा, ये पाप है, मैं इसकी भागी नहीं बनूंगी

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार इराक के मोसुल शहर में लापता हुए 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी और भविष्य में ठोस सबूत मिलने के बाद ही उनके परिजनों को ताजा स्थिति की जानकारी दी जाएगी.

जानिए सुषमा स्वराज ने क्यों कहा, ये पाप है, मैं इसकी भागी नहीं बनूंगी

सुषमा स्वराज ने दिया लोकसभा में बयान

खास बातें

  • बिना सबूत के लोगों को मृत घोषित करना पाप
  • वीके सिंह को भी पता लगाने के लिए भेजा
  • इन भारतीयों को बदरूस ले जाया गया था
नई दिल्ली:

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार इराक के मोसुल शहर में लापता हुए 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी और भविष्य में ठोस सबूत मिलने के बाद ही उनके परिजनों को ताजा स्थिति की जानकारी दी जाएगी. विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने उच्च सदन में दिए अपने बयान में कहा, सरकार इन भारतीय की तलाश जारी रखेगी. इस मामले को लेकर देश को गुमराह करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, मैंने कभी नहीं कहा कि वे जिंदा हैं और न ही मैंने कभी यह कहा कि वे मारे गए हैं. इराक के विदेशमंत्री पिछले दिनों भारत आए थे और उन्होंने यह भरोसा दिया है कि अब वह जो भी जानकारी देंगे , सबूत के साथ ही देंगे. उन्होंने कहा, बिना सबूत इन लोगों को मृत घोषित करना पाप है और निहायत गैर जिम्मेदाराना है. मैं न तो इस पाप की भागी बनूंगी और न ही गैर जिम्मेदाराना काम करूंगी.

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सुषमा स्वराज ने कहा, 24 नवंबर 2014 को इसी सदन में चर्चा हुई थी और मैंने कहा था कि इन भारतीयों के जीवित होने या न होने के बारे में हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है. हरजीत नामक व्यक्ति ने यह दावा किया है कि वह इन भारतीयों के साथ था और उसके सामने ही इन भारतीयों को गोली मारी गई है. अगर एक भी व्यक्ति हरजीत के इस दावे की पुष्टि कर दे तो हम मान लेंगे कि वह सही कह रहा है. उन्होंने कहा कि 15 जून 2014 को जेएनबी में एक बैठक के दौरान मुझे सूचना दी गई कि हरजीत नामक एक लड़का फोन पर मुझसे बात करना चाहता है और वह कह रहा है कि वह उन 40 भारतीयों में से एक है जिन्हें मोसुल में आईएसआईएस ने बंधक बना लिया था. मैंने सूचना देने वाले से कहा कि जिस नंबर से फोन आया है उस पर कॉल बैक किया जाए. फोन करने पर पता चला कि फोन किसी दूसरे व्यक्ति का था. उससे पूछने पर उसने कहा कि हरजीत उसके पास ही बैठा है. मैंने उससे बात की. पूरी बात पंजाबी में हुई और उसने बताया कि वह लोग मोसुल में एक कंपनी में काम करते थे. वहां बांग्लादेशी भी थे. आईएसआईएस ने उन्हें बंधक बनाया और फिर अपने साथ ले गए.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, हरजीत ने दावा किया कि आगे जा कर आईएसआईएस के लोगों ने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग-अलग किया और उसकी आंखों के सामने भारतीयों को गोली मार दी. मैंने हरजीत से बार-बार पूछा कि वह कैसे बच कर निकल पाया तो वह केवल यही कहता रहा कि मुझे बचा लीजिये वरना मुझे भी मार डाला जाएगा. मुझे लगा कि हरजीत ट्रॉमा में है और मैंने इरबिल स्थित भारतीय मिशन से हरजीत की मदद करने को कहा.  उन्होंने कहा कि यह 15 जून की घटना है और बाद में इन 39 भारतीयों में से एक के भाई ने एक टीवी चैनल पर कहा कि उसकी 17 जून को उसके भाई से बात हुई है, जिसने उसे बताया है कि वह आईएसआईएस के कब्जे में है और ठीक है. इससे हरजीत की बात में विरोधाभास का पता चलता है. सुषमा स्वराज ने कहा कि वह पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही इन भारतीयों के परिजनों को जानकारी देंगी. उन्होंने साथ ही कहा कि वह इस मसले को लेकर इन परिवारों से 12 बार मुलाकात कर चुकी हैं.

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विदेश मंत्री ने कहा कि इस साल 9 जुलाई को इराक सरकार ने ऐलान किया कि मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है. इसके अगले ही दिन विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह को लापता भारतीयों का पता लगाने के लिए वहां भेजा गया. इराक के एक बड़े अधिकारी ने उन्हें बताया कि इन भारतीयों को मोसुल एयरफील्ड से पकड़ा गया था. उन्होंने सिंह को यह भी बताया कि इन भारतीयों को साल 2016 के शुरू में बदरुस ले जाया गया और उसके बाद से इन लोगों के बारे में इराकी प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि इराक की सरकार का कहना है कि वर्ष 2016 के बाद से उन्हें इन लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हमारे पास यही अंतिम जानकारी है जिससे हमने पीड़ितों के परिजनों को अवगत करा दिया है. मीडिया के सामने भी हमने यही बात कही.

सुषमा ने कहा कि जिस जेल में इनके बंद होने की बातें कही जा रही हैं, उसके बारे में भारत सरकार ने इराक से कहा है कि वह जेल के नष्ट होने से पूर्व वहां से निकलने वाले जेल के वार्डन से पूछताछ कर कैदियों के नामों की सूची में भारतीय कैदियों के वहां कभी मौजूद रहने के बारे में जानकारी हासिल करे.

सुषमा स्वराज ने कहा कि इन लोगों के बारे में अभी तक ऐसी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि इन्हें आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मार दिया है या ये अभी जिंदा हैं. इसलिए अभी सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. उन्होंने इन खबरों को भी गलत बताया कि उन्होंने इन कैदियों के बदरूस जेल में होने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि जेल की तस्वीर भी केवल यह बताती है कि यह जेल अब ढह चुकी है लेकिन ऐसी किसी सवाल का जवाब इससे नहीं मिलता कि जेल के ध्वस्त होने से पहले कैदियों को कहां भेजा गया, यदि वे मारे गए तो 20 हजार की क्षमता वाली जेल के कैदियों का क्या हुआ? उन्होंने बताया कि मोसूल के आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त होने की सूचना मिलते ही विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह को वहां भेजा गया ताकि लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी मिल सके और उसके बाद इराक सरकार से मिली उपरोक्त जानकारी को परिजनों के साथ साझा किया गया.

उन्होंने सदन को गुमराह करने और झूठ बोलने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि संसद में खड़े हो कर झूठ बोलना अपराध है और वह यह अपराध नहीं करतीं. सुषमा ने कहा, हम हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठे हैं. एक ट्वीट पर ही हम मदद करते हैं. पिछले तीन साल में हम करीब 80 हजार भारतीयों को संकट से निकाल कर भारत वापस ले कर आए हैं. यह वह लोग हैं जिनके लिए हमने टिकट का इंतजाम अपने पैसों से किया. हम फादर प्रेम कुमार को और जूडिथ को लेकर आए हैं. हम फादर टॉम को लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. सोमालिया सहित अन्य देशों में अपहृत लोगों को अपनी कोशिशों से रिहा कराने और वापस लाने में हम सफल रहे हैं. जरूरत के समय जो भी देश मदद कर सकते हैं, उनसे हमने मदद मांगी है. सुषमा ने कहा कि इन लोगों को मृत घोषित करना तो बहुत आसान है क्योंकि इससे सारे सवाल अपने आप समाप्त हो जाएंगे लेकिन बिना सबूत के किसी को मृत घोषित करना पाप है. और यह पाप मैं नहीं करूंगी. उन्होंने कहा कि इन लोगों में से कोई भविष्य में जिंदा आकर खड़ा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा. उन्होंने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि जो यह कह रहे हैं कि भारतीय नागरिकों के बारे में मैं सच को छुपा रही हूं तो वे लोग जाकर उनके परिजनों को अरदासा करने के लिए कह दें लेकिन बाद में जिम्मेदारी मेरी नहीं, उनकी होगी.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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