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This Article is From Sep 03, 2017

रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के सामने ये हैं अहम चुनौतियां

नई रक्षा मंत्री के लिए पाकिस्तान से चुनौती तो हमेशा बनी रही, लेकिन चीन से लगी सरहद पर आए दिन विवाद निर्मला सीतारमण का काम आसान नहीं होने देंगे.

रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के सामने ये हैं अहम चुनौतियां
देश की नई रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: निर्मला सीतारमण देश की नई रक्षा मंत्री बन गईं हैं. आखिरकार करीब 5 महीने के बाद देश को पूर्णकालिक रक्षा मंत्री मिल गया है. निर्मला सीतारमण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला रक्षा मंत्री हैं. मार्च में मनोहर पर्रिकर के इस्तीफ़ा देने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली अतिरिक्त पदभार के तौर पर यह ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे. निर्मला सीतारमण को ये ज़िम्मेदारी देकर प्रधानमंत्री ने उनके काम पर बड़ा भरोसा जताया है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि रक्षा मंत्री के तौर देश की सेवा करने का मौका मिलेगा जो एक बड़ी बात है. सीतारमण अब सुरक्षा मामलों पर महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय समिति की सदस्य होंगी. इस समिति में रक्षा मंत्री के अलावा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री होते हैं.

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गोला बारूद की किल्लत से भी निपटना होगा
नई रक्षा मंत्री के लिए पाकिस्तान से चुनौती तो हमेशा बनी रही, लेकिन चीन से लगी सरहद पर आए दिन विवाद निर्मला सीतारमण का काम आसान नहीं होने देंगे. सेना का आधुनिकीकरण, नए हथियारों की ख़रीद और पुराने हथियार गोला बारूद की किल्लत से निपटना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी. पूर्व रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई कि निर्मला सीतारमण इन चुनौतियों पर खरी साबित होंगी. अरुण जेटली ने कहा निर्मला आज जो भी मुकाम हासिल की है वो अपने बलबूते हासिल की है और वह इस नई जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगी.

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VIDEO: निर्मला सीतारमण बनीं देश की दूसरी महिला रक्षामंत्री 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल पीके सहगल ने तो कहा कि महिलाओं को आप कम करके मत आंकिए. मुझे तो लगता है कि जो काम पिछले कई रक्षा मंत्री नही कर पाए वो ये कर पाएंगी .एक महिला रक्षा मंत्री की नियुक्ति सेना में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने का भी रास्ता खोलती है. फिलहाल क़रीब साढ़े चौदह लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना के तीनों अंगों में कुल क़रीब चार हजार ही महिलाएं हैं. उसमें भी कॉम्बैट रोल अभी सिर्फ़ एयरफोर्स में ही महिलाओं को दिया गया है. निर्मला सीतारमण के आने के बाद इसमें विस्तार की उम्मीद है. तभी तो निर्मला ने कहा कि मंत्रालय में आने के बाद वो इस मामले को खुले तौर पर देखेगी फिर फैसला लेगीं .

आपको ये बता दें कि रक्षा मंत्रालय देश के चार शीर्ष मंत्रालयों में से एक है और यहां चुनौतियां उतनी ही कठिन भी हैं. ख़ुद को साबित करने के लिए निर्मला सीतारमण के पास ज़्यादा समय नहीं है. 2019 के चुनावों में सिर्फ़ पौने दो साल रह गए हैं.

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