कौन था करीम लाला? जिसपर दिए गए बयान को लेकर आमने-सामने आई शिवसेना और कांग्रेस

शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी माफिया डॉन करीम लाला से मुलाकात करने के लिए मुंबई आया करती थीं.

कौन था करीम लाला? जिसपर दिए गए बयान को लेकर आमने-सामने आई शिवसेना और कांग्रेस

कांग्रेस नेता संजय निरुपम और शिवसेना नेता संजय राउत- (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी माफिया डॉन करीम लाला से मुलाकात करने के लिए मुंबई आया करती थीं. संजय राउत के इस बयान के बाद सियासी घमासान मच गया है. कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने संजय राउत पर तंज कसते हुए कहा है कि कभी-कभी अधकचरा ज्ञान वीभत्स हो जाता है. शिवसेना के मि. शायर ने कहा है कि माफिया सरगना करीम लाला पठान समुदाय का नेता था. चौंकिएगा मत अगर कल ये कहें कि दाऊद इब्राहिम कोंकणी मुसलमानों का नेता है. इस बहस में बीजेपी भी कूद गई है. बीजेपी ने कांग्रेस से पूछा है कि क्या कांग्रेस उस समय अंडरवर्ल्ड के भरोसे चुनाव जीतती थी, क्या कांग्रेस को अंडरवर्ल्ड से फाइनेंस मिलता था. जिस करीम लाला के नाम आने से इतना घमासान मचा है वो था कौन?

पिछली सदी में '60 के दशक से लगभग 20-25 साल तक हिन्दुस्तान की आर्थिक राजधानी मुंबई (तब बॉम्बे) के सबसे खतरनाक माफिया डॉनों में से एक के तौर पर गिना जाता रहा करीम लाला वह नाम है, जो फिर चर्चा में आ गया है. शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी माफिया डॉन करीम लाला से मुलाकात करने के लिए मुंबई आया करती थीं.

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DNA में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20वीं सदी के दूसरे दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान के कुनार में जन्मा अब्दुल करीम शेर खान मुंबई में मौजूद बाकी दोनों बड़े डॉन - वरदराजन मुदलियार (वरदा भाई) और मस्तान मिर्ज़ा (हाजी मस्तान) के साथ मिलकर बेखौफ गैरकानूनी धंधे चलाता रहा, लेकिन हमेशा गरीबों का मददगार बना रहा.

बताया जाता है कि करीम लाला 1920 के दशक में मुंबई आया था, और उसका परिवार दक्षिणी मुंबई के बेहद घनी आबादी वाले मुस्लिम इलाके भिंडी बाज़ार में बस गया. '40 के दशक में मुंबई बंदरगाह पर मामूली मज़दूर के तौर पर काम करने वाला करीम लाला जल्द ही पठानों के गैंग में शामिल हो गया था, जो उस समय तक गुजराती ज़ायदाद मालिकों और व्यापारियों के लिए देनदारों से वसूली का काम किया करता था. लेकिन बहुत लम्बे वक्त तक ऐसा नहीं रहा, और जल्द ही करीम लाला पठान गैंग का सरगना बन गया, जो तब तक सुपारी लेकर कत्ल करने से लेकर जबरन घर खाली करवाने, अगवा और जबरन वसूली तक के काम करने लगा था.

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DNA की रिपोर्ट के अनुसार, करीम लाला ने इन धंधों के अलावा गैरकानूनी शराब और सट्टे का धंधा भी बेहद कामयाबी से चलाया, और वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के साथ समझौता कर इलाके बांट लिए,ताकि एक-दूसरे से टकराव के बिना तीनों गैंग अपने-अपने गैरकानूनी धंधे चलाते रहें. दक्षिणी मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाज़ार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम इलाकों में 'बेखौफ राज' चलाने वाले करीम लाला ने '70 के दशक के अंत में बिगड़ती सेहत को देखकर पठान गैंग और अपना गैरकानूनी कारोबार अपने भतीजे समद खान को सौंप दिया, और अपने कानूनी धंधों में ध्यान देने लगा, जिनमें दो होटल और एक ट्रैवल एजेंसी शामिल थे.

कहा जाता है कि अपने कामयाबी के दिनों में करीम लाला बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियों को अपनी दावतों और ईद पर आयोजित कार्यक्रमों में बुलाया करता था, और कई हिन्दी फिल्मों में करीम लाला से मिलते-जुलते किरदार भी रखे गए. यह भी कहा जाता है कि वर्ष 1973 में आई सुपरहिट फिल्म 'ज़ंजीर' में प्राण द्वारा निभाए गए 'शेर खान' के हावभाव करीम लाला से मिलते-जुलते थे.

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बताया जाता है कि करीम लाला हफ्तावारी 'दरबार' भी लगाता था, जिसमें आकर आम लोग अपनी शिकायतें उसे बताते थे, और वह उनकी वित्तीय मदद करने के अलावा गैंग की ताकत से उनके अटके हुए काम भी सरकारी विभागों से करवा दिया करता था. करीम लाला की मौत 90 साल की उम्र में 19 फरवरी, 2002 को हुई.