भारत बंद क्यों है? SC/ST Act के खिलाफ सड़कों पर क्यों उतरे हैं सवर्ण

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में किए गए संशोधन के विरोध को लेकर कुछ सवर्ण संगठनों द्वारा आज (6 सितम्बर) को ‘भारत बंद’ (Bharat Bandh) बुलाया है.

भारत बंद क्यों है? SC/ST Act के खिलाफ सड़कों पर क्यों उतरे हैं सवर्ण

सवर्ण संगठनों ने बुलाया ‘भारत बंद’

नई दिल्ली:

Bharat Bandh: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में किए गए संशोधन के विरोध को लेकर कुछ सवर्ण संगठनों द्वारा आज (6 सितम्बर) को ‘भारत बंद’ (Bharat Bandh) बुलाया है. बंद का सबसे ज्‍यादा असर  मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश और बिहार में देखने को मिल रहा है. कई जगह ट्रेनों को रोका गया है और कई जगह प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जहां स्कूलों-कॉलेजों को बंद रखने के आदेश दिये गये हैं, वहीं, मध्य प्रदेश के 10 जिलों में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगा दी गई है. धारा 144 भारत बंद के अगले दिन यानी 7 सितंबर तक प्रभावी रहेगी. इसके अलावा, मध्य प्रदेश में कई जगहों पर पेट्रोल पंप को भी बंद रखने का फैसला किया गया है.  
 

SC/ST एक्ट के विरोध में सवर्णों का आज भारत बंद, MP, UP और बिहार में कई जगह प्रदर्शन


सवर्णों ने क्यों बुलाया भारत बंद?
केंद्र सरकार द्वारा एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में सवर्ण समाज, करणी सेना, सपाक्स एवं अन्यों द्वारा छह सितम्बर को 'भारत बंद' के आह्वान को मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया है. इस बीच, ब्रह्म समागम सवर्ण जनकल्याण संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के विरोध में 6 सितंबर को शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करेगा.

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कई नेताओं को दिखाए गए काले झंडे
बता दें कि पिछले एक सप्ताह से इस कानून के खिलाफ मध्यप्रदेश के कई स्थानों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई नेताओं एवं मंत्रियों को काले झंडे भी दिखाये गए हैं.

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संशोधन के बाद अब ऐसा होगा SC/ST एक्ट
एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी जाएगी. इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे. मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी. आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी. मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे. जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी. डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.

क्या है SC-ST Act?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके.

सवर्णों की नाराज़गी दूर करने में जुटी BJP
बीजेपी सवर्ण वर्ग की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुट गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की है. पार्टी आधिकारिक रूप से इस संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करने को तैयार नहीं है, लेकिन पार्टी नेता इस मुद्दे को तूल देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं. पार्टी ने इस मुद्दे पर उठ रहे सवालों का जवाब देने का मन भी बनाया है. बताया जा रहा है कि इस सप्ताहांत दिल्ली में होने वाली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.

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गौरतलब है कि बीजेपी के भीतर से सरकार के इस कदम का तीखा विरोध शुरू हो गया है. विरोध करने वालों में पार्टी के अगड़ी जाति के नेता प्रमुख हैं. बीजेपी सरकारों के लिए एक बड़ा सिरदर्द सवर्ण संगठनों द्वारा बुलाया गया भारत बंद भी है. एससी/एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित संगठनों के 2 अप्रैल को बुलाए गए भारत बंद में कई राज्यों में हिंसा हुई थी जिनमें नौ लोग मारे गए थे. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है. वहां 2 अप्रैल के बंद के दौरान छह लोग ग्वालियर चंबल संभाग में मारे गए थे. सरकार वहां अब पूरा ऐहतियात बरत रही है.

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कांग्रेस ने सवर्णों की नाराजगी के लिए प्रधानमंत्री पर साधा निशाना
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सवर्ण समाज में बेचैनी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जिम्मेदार हैं. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'हम मानते हैं कि समाज के हर वर्ग को शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात कहने, अपना पक्ष रखने का पूर्ण अधिकार है. देश में कोई लचर अर्थव्यवस्था है, डूबता रुपया है, भयंकर बेरोजगारी है, दोषपूर्ण जीएसटी है, लघु और मध्यम उद्योग एमएसएमई पर जबरदस्त मार पड़ रही है, भ्रष्टाचारी घोटाले हैं.' उन्होंने कहा, 'सवर्णों सहित समाज के सभी हिस्सों में बेचैनी, चिंता और आक्रोश है तो इसका जिम्मेवार कौन है? इसकी जिम्मेदार सरकार है.

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