Hichki में रानी मुखर्जी टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित, जानें क्या है इस बीमारी का कारण, लक्षण और इलाज

टॉरेट सिंड्रोम तंत्रिकाओं से जुड़ा रोग है, जिसमें मांसपेशियों में समय-समय पर Tics होते हैं. टिक्स का अर्थ है अचानक संकुचन या सिकुड़न होना.

Hichki में रानी मुखर्जी टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित, जानें क्या है इस बीमारी का कारण, लक्षण और इलाज

Hichki में रानी मुखर्जी टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित, जानें क्या है ये बीमारी

खास बातें

  • हिचकी फिल्म आज हुई रिलीज
  • रानी मुखर्जी टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित
  • जानें टॉरेट सिंड्रोम के बारे में सबकुछ
नई दिल्ली:

रानी मुखर्जी की फिल्म हिचकी आज रिलीज हो चुकी है. इस मूवी में वह एक टीचर का किरदार निभा रही हैं, जो टॉरेट सिंड्रोम नाम की बीमारी से पीड़ित होती हैं. इस बीमारी में शरीर की तंत्र-तंत्रिकाएं ठीक से काम नहीं करती, जिस वजह से इससे पीड़ित व्यक्ति अजीब हरकते करने लगता है. जैसे अचानक आवाजें निकालना, हिचकी लेना, शद्बों को दोहराना, बार-बार सूंघना, पलके झपकाना और होंठों को हिलाना जैसी दिक्कतें होती हैं. इस वजह से पीड़ित को रोजाना की जिंदगी में काफी चैलेंज का सामना करना पड़ता है, फिल्म हिचकी में रानी मुखर्जी भी यही करती दिख रही हैं. यहां जानें आखिर यह टॉरेट सिंड्रोम है क्या और इसका इलाज संभव है या नहीं. 

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क्या है टॉरेट सिंड्रोम
टॉरेट सिंड्रोम तंत्रिकाओं से जुड़ा रोग है, जिसमें मांसपेशियों में समय-समय पर Tics होते हैं. टिक्स का अर्थ है अचानक संकुचन या सिकुड़न होना. इसी वजह से अचानक मांसपेशियों में संकुचन होता है और पीड़ित के हाव-भाव और शब्द बदल जाते हैं. 

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टॉरेट सिंड्रोम के कारण
यह सिंड्रोम दिमाग में मौजूद न्यूरोट्रंसमीटर के संतुलन के बिगड़ने के कारण होता है. क्योंकि दिमाग का यही हिस्सा कोशिकाओं को एक्टिव रखता है. लेकिन आज भी इसका सही कारण स्पष्ट नहीं है. कई बार यह आनुवांशिक होता है. यदि कोई टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित है तो उस व्यक्ति में ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD), अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और चीज़ों को सीखने की अक्षमता भी देखी जाती है.  

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(टॉरेट सिंड्रोम में शरीर की तंत्र-तंत्रिकाएं ठीक से काम नहीं करती, जिस वजह से पीड़ित व्यक्ति अजीब हरकते करने लगता है.)

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टॉरेट सिंड्रोम के लक्षण
टॉरेट सिंड्रोम में पीड़ित शारीरिक और मौखिक दोनों में टिक्स देखें जाते हैं. इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं :
दांत पीसना
मुंह बनाना
कंधे उचकाना
आंखे घुमाना
सिर हिलाना
सीटी बजाना
गला साफ करना
खांसना
हिचकी लेना
चिल्लाना
एक ही आवाज बार-बार निकालना
जीभ चटकाना
जानवरों की आवाज निकालना
कुछ भी बोल देना
गालियां देना (बहुत कम संभावना)

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टॉरेट सिंड्रोम को और बुरा बनाती हैं...
इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति खुद को समाज के सामने प्रेजेंट करने में झिझकता है, लेकिन जब भी वह हिम्मत करके खुद को आगे बढ़ाता है तो कई बार कुछ लोग उनका मजाक भी बनाते हैं तो कुछ प्रोत्साहित करते हैं. इस सिंड्रोम से पीड़ित कई व्यक्ति हार मान जाते हैं और इस वजह से वह तनाव, चिंता और थकान का शिकार हो जाते हैं, जो कि टॉरेट सिंड्रोम और बुरा बना देती है. 

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टॉरेट सिंड्रोम का उपचार
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे कई तरीकों से कंट्रोल में किया जाता है. इसमें पीड़ित का कई थेरेपी से इलाज किया जाता है, जिसमें टिक्स को मैनेज करने के साथ-साथ सभी लक्षणों पर काम किया जाता है. कई बार डॉक्टर टॉरेट सिंड्रोम के उपचार के लिए इसके साथ होने वाली परेशानियों जैसे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर की दवाइयां भी देते हैं. 

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