कर्नाटक के सियासी समीकरणों को समझने के लिए पढ़िए डॉ. प्रणव रॉय का विश्लेषण.
Lok Sabha Elections 2019: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में दिखे खंडित जनादेश का असर लोकसभा के चुनाव में भी दिख सकता है.ओपिनियन पोल्स बताते हैं कि यूं तो यहां कठिन लड़ाई है, मगर जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस पर बीजेपी बढ़त हासिल कर सकती है. पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए दोनों दलों ने हाथ मिलाया था. मौजूदा लोकसभा चुनाव में दोनों दल साथ-साथ चुनाव लड़ रहे हैं. जनमत सर्वेक्षणों की मानें तो कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन राज्य की कुल 28 में से 13 लोकसभा सीटें जीत सकती है. हालांकि, यह 2014 से केवल दो सीट ही अधिक होगा, जब दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. उस वक्त कांग्रेस ने नौ और जेडीएस ने दो सीटें जीतीं थीं. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 सीटें जीती थीं.जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के कारण बीजेपी की संख्या में दो सीटों की कमी आ सकती है.
यह भी पढ़ें- आंध्र प्रदेश के चुनावी मुकाबले में 'एक्स फैक्टर' हैं पवन कल्याण : प्रणय रॉय का विश्लेषण
पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि पांच प्रतिशत वोटों का स्विंग भी चुनाव में बड़ा परिवर्तन ला सकता है. अगर यह स्विंग बीजेपी की तरफ हुआ तो उसे 20 सीटें मिल सकती हैं, वहीं अगर पांच प्रतिशत स्विंग जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की तरफ हुआ तो फिर गठबंधन को 19 सीटें मिल सकतीं हैं. दिलचस्प बात है कि कर्नाटक में हुए अतीत के चुनावों में किसी दल को भारी जीत मिलती रही है. जिसे लैंड्स्लाइड विक्ट्री या भारी जीत कह सकते हैं. Landslide victory उस जीत को कहा जाता है जब जीतने वाली पार्टी को दूसरी पार्टी की तुलना में दोगुनी सीटें मिलतीं हैं. हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में इस ट्रेंड में गिरावट दिखी है. पिछले चुनावों के आंकड़ों से पता चलता है कि 1952 से 2002 के बीच, राज्य में 88 प्रतिशत जीत 'भारी बहुमत' वाली रहीं हैं, जबकि 2002 से 2014 के बीच यह मार्जिन घटकर 67 फीसद रह गया. कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी के एक प्रमुख खिलाड़ी बन जाने के बाद से द्विपक्षीय मुकाबले में भारी जीतों का सिलसिला कम होता गया, क्योंकि कर्नाटक की राजनीति अब त्रिकोणीय हो गई.
यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव के दौरान मामूली 'बदलाव' भी पूरे UP में बदल डालेगा नतीजों की सूरत : डॉ प्रणय रॉय का विश्लेषण
चार कारण, जिससे कर्नाटक में बीजेपी है मजबूत
1- राज्य में पिछले साल सितंबर में गठबंधन सरकार बनने के बाद से सहयोगी दलों कांग्रेस और जेडीएस के बीच जारी अंतर्कलह
2-कर्नाटक की जनता केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टी के लिए मतदान करती रही है. ऐसा यहां का इतिहास रहा है. वर्तमान में, राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन है, हो सकता है कि जनता लोकसभा चुनाव में गठबंधन की जगह बीजेपी को वरीयता दे
3-अपुष्ट रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि बीजेपी की ओर से कर्नाटक के चुनाव प्रचार में कांग्रेस या जेडीएस से कई गुना अधिक पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है.
4-हालांकि 2014 की तरह मोदी लहर नहीं है, लेकिन पीएम मोदी अब भी कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय हैं.
वीडियो- कर्नाटक में कौन मजबूत, देखिए डॉ. प्रणव रॉय का विश्लेषण
किस हिस्से में कौन दल मजबूत?
कर्नाटक के उत्तरी भाग को जनता दल सेक्युलर के कमजोर इलाके के रूप में माना जाता है. जेडीएस का दक्षिणी कर्नाटक में जरूर आधार है, इस बेल्ट में वोक्कालिगा एक प्रभावशाली जाति है, इसी जाति से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी नाता रखते हैं. जबकि उत्तरी कर्नाटक में बीजेपी का मजबूत आधार है, जहां लिंगायत समुदाय का वर्चस्व है.कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ही हैं. कर्नाटक में 17 प्रतिशत आबादी लिंगायत समुदाय की है. जबकि वोक्कालिगा की 12 प्रतिशत है. कर्नाटक में 84 प्रतिशत हिंदू और मात्र 13 प्रतिशत मुस्लिम हैं. कर्नाटक के करीब 84 प्रतिशत मुसलमान कांग्रेस और जेडीएस को वोट करते हैं.. पार्टी को 68 प्रतिशत वोक्कालिगा समुदाय वोट करता है.57 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग और 20 प्रतिशत लिंगायत उन्हें वोट करते हैं. जबकि इसकी तुलना में 76 फीसदी लिंगायत, 35 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 27 प्रतिशत वोक्कालिग और छह फीसद मुस्लिम कर्नाटक में बीजेपी के वोटर हैं.
किस वर्ग में कौन लोकप्रिय?
2014 के एक्जिट और पोस्ट पोल सर्वे की मानें तो बीजेपी की लोकप्रियता युवाओं में कांग्रेस की तुलना में कहीं ज्यादा है, जबकि कांग्रेस-जेडीएस की बुजुर्गों में लोकप्रियता है. जेंडर की बात करें तो बीजेपी पुरुषों में और कांग्रेस में महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी शहरी इलाकों में ज्यादा मजबूत है. कर्नाटक में दो चरणों में चुनाव है. कर्नाटक के आधे हिस्से यानी दक्षिणी क्षेत्र की 14 सीटों पर पिछले गुरुवार को मतदान हो चुका है. अन्य 14 सीटों पर अगले मंगलवार को मतदान होना है.
वीडियो- 2019 में किस तरफ बह रही है हवा?
Advertisement
Advertisement