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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने गांधीनगर सीट से उम्मीदवार के तौर पर लाल कृष्ण आडवाणी की बजाय बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का उपयुक्त माना है. अमित शाह इस बार लोकसभा चुनाव में अपना डेब्यू करने जा रहे हैं. भाजपा के पास अपने बुजुर्ग नेताओं के को लेकर एक सख्त रिटायरमेंट पॉलिसी है, जिसे लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसा. अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी 75 वर्ष से ऊपर के उऩ 10 नेताओं की लिस्ट में शामिल थे, जिन्हें इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है.
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कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लौहपुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को उऩकी ही पार्टी ने उम्र का हवाला देकर इस बार चुनाव में नहीं उतारा है. इतना ही नहीं, बीजेपी ने अपनी उम्र वाली पॉलिसी के तहत कई कई बुजुर्ग नेताओं को टिकट नहीं दिया है. 75 वर्ष पार कर चुके नेताओं का टिकट काटने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने खुद पहल की. हालांकि इससे पहले हुई पार्टी की बैठक के बाद मीडिया में यह खबर आई थी कि बुजुर्ग नेताओं को पार्टी भले लड़ाएगी, मगर उन्हें सरकार में किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. मगर पार्टी ने अब बुजुर्ग नेताओं को मैदान में उतारने की जगह उन्हें आराम देने का फैसला किया.
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बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के ऐसे बुजुर्ग नेताओं को चुनाव न लड़ने के लिए राजी करने की जिम्मेदारी संगठन महासचिव रामलाल को सौंपी गई. कहा गया कि वह पार्टी के संबंधित वरिष्ठ नेताओं से संपर्क कर अनुरोध करें कि वह चुनाव लड़ने की जगह आराम करें. कहीं सूची में नाम न होने पर जनता और पार्टी समर्थकों के बीच वरिष्ठों का अनादर करने का गलत संदेश न चला जाए, इसके लिए इन बुजुर्ग नेताओं से पहले से ही बयान जारी करवाया जाए कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे.
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सूत्रों का कहना है कि पार्टी महासचिव राम लाल ने बुजुर्ग नेताओं से संपर्क साधना शुरू किया. रामलाल ने मुरली मनोहर जोशी सहित शांता कुमार और कलराज मिश्र जैसे नेताओं से मुलाकात की. इसमें कलराज मिश्र और शांता कुमार सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के लिए तैयार हो गए कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. मगर लालकृष्ण आडवाणी ने साफतौर पर इनकार कर दिया.
जिस दिन उम्मीदवारों की सूची आने वाली थी, उस दिन पहले ही कलराज मिश्र ने ट्वीट कर कह दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे. फिलहाल कलराज मिश्र हरियाणा के प्रभारी हैं. आडवाणी के करीबी बताते हैं कि वह टिकट कटने से नहीं, बल्कि टिकट काटने के तौर-तरीकों से आहत हैं. उनसे किसी बड़े नेता ने संपर्क कर यह नहीं कहा कि वे गांधीनगर से चुनाव न लड़ें. करीबियों के मुताबिक उन्हें दुख इस बात का नहीं कि आडवाणी संसद में नहीं होंगे, बल्कि उनका टिकट जिस ढंग से काटा गया, उससे दुखी हैं.
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अन्य बुजुर्ग नेताओं की बात करें तो सांसद हुकुम देव नारायण के चुनाव न लड़ने पर उनके बेटे को टिकट दिया गया है. जबकि उत्तराखंड के बीजेपी नेता खंडूरी की बेटी पहले से ही राजनीति में है. अन्य बुजुर्गों में कोश्यारी, करिया मुंडा के भी टिकट पार्टी ने काटे हैं. मध्य प्रदेश की पहली सूची में लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर सांसद सुमित्रा महाजन का भी नाम नहीं है.
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