मैनपुरी : मुलायम सिंह की फिर इम्तिहान की घड़ी, पर्चा भरने के लिए बेटे के साथ पहुंचे

मुलायम सिंह ने पांचवी बार मैनपुरी सीट से उम्मीदवारी का पर्चा भरा, अखिलेश ने जनसभा में कहा कि देश की सत्ता बदलने के लिए लोग उनके गठबंधन को वोट दें

मैनपुरी : मुलायम सिंह की फिर इम्तिहान की घड़ी, पर्चा भरने के लिए बेटे के साथ पहुंचे

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह ने सोमवार को मैनपुरी पहुंचकर नामांकन पत्र भरा.

खास बातें

  • मैनपुरी में हुए 18 लोकसभा चुनावों में आठ बार समाजवादी पार्टी जीती
  • छह बार मुलायम सिंह का खानदान और चार बार वे खुद यहां से जीते
  • मैनपुरी संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से चार सपा के पास
मैनपुरी:

मुलायम सिंह यादव ने आज मैनपुरी लोकसभा सीट से अपना पर्चा दाखिल किया. मुलायम  सिंह अखिलेश के बनवाए रथ से इटावा से मैनपुरी गए. उनके साथ अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव भी थे. शिवपाल ने उन्हें घर पहुंचकर बधाई दी.

मुलायम का रथ चला तो उनके साथ उनकी सेना भी चली. बेटे अखिलेश यादव यह रथ लेकर पिता को लेने उनके घर पहुंचे थे. फिर पूरा परिवार करीब 55 किलोमीटर दूरी तय करके मैनपुरी पहुंचा. मुलायम सिंह ने पांचवी बार इस सीट से उम्मीदवारी का पर्चा भरा. अखिलेश ने एक जनसभा में कहा कि देश की सत्ता बदलने के लिए लोग उनके गठबंधन को वोट दें.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नेता जी ने जिंदगी भर सेवा की है लोगों की. इस बार ऐसी सेवा जनता करके दिखाए, वोटों के मध्यम से, कि लगे कि मैनपुरी की जनता ने नेता जी को चुनकर भेजा है.

मैनपुरी इटावा से लगा हुआ जिला है जो यादव परिवार का गढ़ माना जाता है. मैनपुरी में हुए 18 लोकसभा चुनावों में 1996 से अब तक आठ बार समाजवादी पार्टी चुनाव जीती है. इसमें 6 बार मुलायम का खानदान चुनाव जीता और चार बार मुलायम सिंह खुद यहां से जीते. मैनपुरी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं, भोगांव, जसवंतनगर, करहाल, किशनी और मैनपुरी. इसमें भोगांव के अलावा बाकी चार समाजवादी पार्टी के पास हैं.

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मुलायम इस बार यहां समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साझा उम्मीदवार हैं इसलिए जनता की निगाह में उनकी स्थिति मज़बूत है.

पान दुकानदार रमेश चौरसिया कहते हैं कि 'राजनीति तो उनकी बहुत अच्छी है…और मैनपुरी में उन्होंने काम भी बहुत कराया है. इसलिए यह उनका एकतरफा चुनाव है. जीत होनी चाहिए. मैनपुरी को बहुत आगे ले गए हैं. मैनपुरी को कौन जानता था. मैनपुरी को सब नेता जी की वजह से जानते हैं.'

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स्थानीय निवासी सुरेन्द्र सिंह कहते हैं कि 'सबसे ज़्यादा विकास समाजवादी पार्टी ने कराया. पहले भी कराया और अब भी करा रही है. मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज है, लोहिया पार्क है, बिजली है, सड़कें हैं. बहुत विकास कराया, उनकी जीत आसान है.'

साल 2014 का लोकसभा चुनाव मुलायम आज़मगढ़ और मैनपुरी दोनों जगह से जीते थे. बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी. इस बार आजमगढ़ से अखिलेश लड़ेंगे जबकि मुलायम फिर मैनपुरी आ गए हैं. बीजेपी पूरे देश में जिस तरह पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है, उसमें यह मुलायम और अखिलेश दोनों की प्रतिष्ठा का चुनाव है.

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यह फिर मुलायम सिंह के लिए इम्तिहान की घड़ी है और अखिलेश यादव के लिए भी. सियासत-सियासत में बार-बार इम्तिहान लेती है. फिर एक बार इम्तिहान आया है, मुलायम सिंह की प्रतिष्ठा का इम्तिहान है.

बीजेपी सारी ताकत लगाकर मुलायम सिंह को हराने का दावा कर रही है. बीजेपी की मैनपुरी जिला इकाई के अध्यक्ष आलोक गुप्ता ने कहा कि 'पूरी ताकत के साथ इस बार नेताजी के सामने मजबूत प्रत्याशी खड़ा किया जाएगा और पूरे दमखम से इस बार कमल खिलने वाला है. भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी जीतकर संसद में पहुंचेगा.

इसी माह 23 अप्रैल को मैनपुरी में चुनाव हैं. इस दिन मैनपुरी तय करेगा कि क्या मुलायम यहां से पांचवीं बार एमपी बनते हैं या नहीं.

VIDEO : एक बार फिर मैनपुरी के मैदान में मुलायम

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मुलायम ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा दल होगी.
मुलायम मैनपुरी सीट से 1996, 2004, 2009 और 2014 में चुनाव जीत चुके हैं. नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद मुलायम ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं. प्रधानमंत्री के सवाल पर फैसला चुनाव बाद होगा. छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के बारे में पूछे गए सवाल पर मुलायम ने कुछ नहीं कहा.