Pulwama Attack: बातें याद कर रो रहा है गांव, शहीद की बेटी बोली- अब नेता बड़ी-बड़ी बातें करेंगे

भरतपुर के गांव सुंदरावली निवासी 30 साल के जीतराम गुर्जर जो सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में जवान के पद पर तैनात थे वह भी पुलवामा में शहीद हो गए हैं.

Pulwama Attack: बातें याद कर रो रहा है गांव, शहीद की बेटी बोली- अब नेता बड़ी-बड़ी बातें करेंगे

जयपुर:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा  में हुए आतंकी हमले में राजस्थान के गोविंदपुरा गांव के रहने वाले रोहिताश लांबा शहीद हो गए हैं. बीते हफ्ते ही गांव आए थे. उनके दो महीने का बेटा है जिसका दशोठन का कार्यक्रम था. शहीद रोहिताश के पिता बाबूलाल पेशे से किसान हैं और एक छोटा भाई है. रोहिताश साल 2013 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. रोहिताश की शहादत की खबर आते ही पूरे गांव में मातम छा गया है. वहीं शुरू में रोहिताश के शहादत की सूचना घर के महिलाओं को नहीं दी गई थी. वहीं धौलपुर के रहने वाले भागीरथ की भी शहादत की खबर आई है. भागीरथ के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. 17 जनवरी को वह अपन गांव जैतपुर आए थे. भागीरथ की शादी 4 साल पहले हुई थी. कोटा के रहने वाले हेमराज मीणा भी इस हमले में शहीद हुए हैं. साल 2001 में हेमराज ने सीआरपीएफ भर्ती हुए थे. शहीद हेमराज मीणा के परिजन घटना को लेकर काफी गुस्से में हैं. उनकी मांग है कि पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाकर आतंकवादियों का सफाया करे.  

Pulwama Terror Attack: एनएसए अजीत डोवाल ने की एजेंसियों और सुरक्षाबलों के साथ बैठक

हेमराज का 6 वर्षीय बेटा ऋषभ भी बड़ा होकर पुलिस और आर्मी में भर्ती होकर आतंकवादियों का सफाया करने की बात कह रहा है. वहीं बड़ी बेटी रीना ने रोते हुए देश की राजनीति पर सवाल खड़े किए है. रीना कहना है कि अब सभी नेता औऱ जिम्मेदार लोग आएंगे औऱ बड़ी-बड़ी बातें करेंगे लेकिन आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कोई कदम नही उठाएंगे. हेमराज के पिता हरदयाल मीणा भी नाराज हैं. हेमराज के शहीद होते ही उसके 4 बच्चों से पिता का साया उठ गया, हेमराज चार भाइयों में 2 नंबर का था, परिवार के लोग खेती किसानी करते हैं. 

राहुल गांधी ने कहा-हमारे दिल में चोट पहुंची है, मनमोहन बोले- आतंकवाद से समझौता नहीं

भरतपुर के गांव सुंदरावली निवासी 30 साल के जीतराम गुर्जर जो सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में जवान के पद पर तैनात थे वह भी पुलवामा में शहीद हो गए हैं.  जीतराम कुछ दिन पहले ही अपने घर आए थे और 12 फरवरी को ही छुट्टी बिताकर अपनी कश्मीर गए थे. शहीद के घर में उसकी पत्नी सुंदरी देवी, दो मासूम बच्चियां, पिता राधेश्याम गर्जर, भाई विक्रम सिंह, माँ गोपा देवी हैं. शहीद का भाई विक्रम सिंह भी सेना या सीआरपीएफ में भर्ती होने के लिए कहीं बाहर गए हैं.  जीतराम ने 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी और उनकी शादी के 5 साल पहले हुई थी. जीतराम गुर्जर अपने घर में अकेले कमाने वाले थे. गांव के सरपंच देवहरी सिंह, चाचा पूरन सिंह और ग्रामीण मोरध्वज सिंह ने बताया की जीतराम अभी गांव से छुट्टी काटकर अपनी ड्यूटी पर गया थे वह काफी मिलनसार व्यक्ति थे और गांव में युवाओं को आर्मी में भर्ती होने की सलाह देते थे जिससे देश की सेवा की जा सके. अब इन शहीदों से जुड़ीं बातों को याद कर उनके गांव के लोगों की आंखो में आंसू आ रहे हैं. 

पुलवामा हमले पर बोले पीएम मोदी- आतंकवादी बड़ी गलती कर चुके हैं, सेना को दी पूरी छूट​

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com