भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जेटली.
66 वर्षीय अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को यहां एम्स में निधन हो गया. सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें यहां भर्ती कराया गया था. सर्वसम्मति बनाने में महारत प्राप्त जेटली को कुछ लोग मोदी का ऑरिजनल ‘चाणक्य' भी मानते थे जो 2002 से मोदी के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे. मोदी तब मुख्यमंत्री थे और उनपर गुजरात दंगे के काले बादल मंडरा रहे थे. जेटली न सिर्फ मोदी, बल्कि अमित शाह के लिए भी उस वक्त में मददगार साबित हुए थे जब उन्हें गुजरात से बाहर कर दिया गया था.शाह को उस वक्त अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी दफ्तर में देखा जाता था और दोनों हफ्ते में कई बार साथ भोजन करते देखे जाते थे.
मोदी को 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की औपचारिक घोषणा से पहले के कुछ महीनों में, जेटली ने राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी को साथ लाने के लिए उन्होंने पर्दे के पीछे बहुत चौकस रह कर काम किया. प्रशिक्षण से वकील रहे जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अरुण शौरी और सुब्रमण्यम स्वामी की संभावनाओं को अनदेखा करते हुए उन्हें वित्त मंत्री के सभी महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपे. मोदी एक बार जेटली को “अनमोल हीरा” भी बता चुके हैं. यहां तक कि जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था जब मनोहर पर्रिकर की सेहत बिगड़ी थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली के लिए राजनीतिक हलकों में अनौपचारिक तौर पर माना जाता था कि वह ‘पढ़े लिखे विद्वान मंत्री' हैं. पिछले तीन दशक से अधिक समय तक अपनी तमाम तरह की काबिलियत के चलते जेटली लगभग हमेशा सत्ता तंत्र के पसंदीदा लोगों में रहे, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो.
Arun Jaitley: CA बनना चाहते थे अरुण जेटली, वकालत कर ऐसे उतरे राजनीति में...
अति शिष्ट, विनम्र और राजनीतिक तौर पर उत्कृष्ट रणनीतिकार रहे जेटली भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जिनकी चार दशक की शानदार राजनीतिक पारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते समय से पहले समाप्त हो गई.
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