विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 21, 2018

कभी थे आतंक का पर्याय, अब भिंड की सियासत में है इन 2 खूंखार डाकुओं का दबदबा

कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दो खूंखार डाकू अब भिंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

Read Time: 3 mins
कभी थे आतंक का पर्याय, अब भिंड की सियासत में है इन 2 खूंखार डाकुओं का दबदबा
आतंक का पर्याय रहे दो खूंखार डाकू अब भिंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
भिंड:

कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे दो खूंखार डाकू अब भिंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं. मलखान सिंह जहां बीजेपी के मंच से वोट मांग रहे हैं, तो वहीं मोहर सिंह की पक्के कांग्रेसी के तौर पर इलाके में पहचान है. 80 के दशक में चंबल को गोलियों से दहलाने वाले डाकू मलखान सिंह अब तालियों से भिंड की राजनीति को हिला रहे हैं. 1983 तक बीहड़ों में डकैत के तौर पर सक्रिय और दर्जनों हत्या और लूट के मामले झेल चुके मलखान सिंह आज कांग्रेसी नेताओं को कोस रहे हैं. वह कहते हैं कि हमने डकैतगीरी नहीं की. जो डाकूगीरी करते हैं वे नष्ट हो जाते हैं और उनका कोई नामलेवा नहीं है. मलखान का तो बार नाम लिया जाता है. डाकू के नाम से लोग सम्मान देते हैं. आपको बता दें कि इलाके में मामा के नाम मशहूर डाकू मलखान सिंह का नाम भिंड, शिवपुरी और मुरैना में एक ब्रांड के तौर पर जाना जाता है. यही वजह है कि बड़ी मूंछ और लंबा लाल टीका लगाकर वह बीजेपी नेताओं के साथ आगे की कतार में बैठे नजर आते हैं. मलखान सिंह ने जहां बीजेपी का दामन थाम रखा है, वहीं उनसे पहले चंबल के दुर्दांत डाकू के तौर पर कुख्यात रहे डाकू मोहर सिंह कांग्रेस के पाले में खड़े हैं.

चित्रकूट के जंगल में डाकुओं ने तीन बंधकों को जिंदा जलाया, नरकंकाल मिले

मोहर सिंह अपनी पुरानी फोटो दिखाते हैं, जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा और मौसमी चटर्जी के साथ उनके साथी डाकू तहसीलदार सिंह व सरूप सिंह भी मौजूद हैं. ये अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के साथ रहे हैं. कभी सौ हथियारबंद डाकुओं के सरदार रहे मोहर सिंह कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अब उनकी उम्र भले ही नब्बे साल की हो, लेकिन तमाम प्रलोभन के बावजूद न तो कांग्रेस का साथ छोड़ा और न ही पुलिस को बताया कि सत्तर के दशक में ये अत्याधुनिक बंदूकें उन्हें कहां से मिली.  मोहर सिंह कहते हैं कि हम आज जिंदा है तो इंदिरा गांधी की वजह से. इसीलिए शुरू से अब तक कांग्रेस के साथ ही रहे और कभी दल नहीं बदला. ये दल बदलू किसी के नहीं हैं. कभी जिन नेताओं ने इन डाकुओं को आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया था, अब नेताओं को ही इन पूर्व डाकुओं के सहारे की जरुरत है. कभी बीहड़ों में सक्रिय रहे डाकूओं की गोलियों से भिंड की राजनीति तय होती थी, लेकिन आज कुछ हद तक इनकी बोलियों से तय होती है.  

मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी BSP, 22 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी

VIDEO: भिंड में बीएसपी के उम्मीदवार हैं डॉ. जगदीश सागर, व्यापम में आ चुका है नाम

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
पीएम मोदी ने कहा- वाम और कांग्रेस एक ही सिक्‍के के दो पहलू, 'दिल्‍ली में दोस्‍ती, त्रिपुरा में कुश्‍ती' नहीं चलेगी
कभी थे आतंक का पर्याय, अब भिंड की सियासत में है इन 2 खूंखार डाकुओं का दबदबा
कर्नाटक चुनाव परिणाम: सिद्धारमैया का सबसे बड़ा दांव क्या कांग्रेस पर ही पड़ा भारी? BJP की जीत के 10 बड़े कारण
Next Article
कर्नाटक चुनाव परिणाम: सिद्धारमैया का सबसे बड़ा दांव क्या कांग्रेस पर ही पड़ा भारी? BJP की जीत के 10 बड़े कारण
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;