रवीश कुमार : नौकरी का डेटा है मंत्री जी?

हाल ही में रविशंकर प्रसाद को बोलते सुना था कि डिजिटल इंडिया से पचास लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा. इतना डेटा डेटा करते हैं, इसी का डेटा दे देते कि कितने लोगों को रोज़गार दिया है.

रवीश कुमार : नौकरी का डेटा है मंत्री जी?

भारत की अर्थव्यवस्था में भयंकर गिरावट है या मामूली गिरावट है, एक दो तिहाई भर की गिरावट है या एक दो साल के लिए है, इसे लेकर ज़ोरदार बहस चल रही है. दावे प्रतिदावे हो रहे हैं. इससे अच्छे परिणाम ही आएंगे. विश्व बैंक के प्रमुख ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की गिरावट वक़्ती है. जीएसटी के कारण मामूली व्यवधान पैदा हुआ है. जो ठीक हो जाएगा. कभी सरकार विदेशी रेटिंग एजेंसियों की चेतावनी को रिजेक्ट करती है तो कभी गले लगाती है. हालत यह हो गई है कि विश्व बैंक क प्रमुख के बयान को सरकार समर्थक और बीजेपी के प्रवक्ता ट्वीट कर रहे हैं. वैसे जीएसटी को लेकर सरकार सतर्क हुई है, क्योंकि उसे पता है कि जीएसटी के कारण मामूली नहीं, भयंकर व्यवधान है. विश्व बैंक ने कहा कि गिरावट अस्थायी है. कोई नहीं बात नहीं. गिरावट का चक्र अस्थायी ही होता है. उछाल का चक्र भी स्थायी नहीं रहता. ग़ौर से देखेंगे तो ज़्यादा लंबे समय तक गिरावट ही रहती है.

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अच्छा है कि सरकार दूर करने की सोच रही है. हमारी भी परीक्षा हो गई कि जो कहा और लिखा वो सही साबित हुआ. कोई अपने मन की बात नहीं लिख रहा था, व्यापारी कहते थे, मैं उनकी बात आप तक रखता था. एक दूसरा डेटा आया है, रोज़गार को लेकर. EPW में विनोज अब्राहम का लंबा शोध पत्र छपा है, जिसे लेकर बीबीसी के शौतिक विश्वास ने छापा है. बेरोज़गारी के बढ़ने की दर पांच फीसदी हो गई है. 2012-2016 के बीच रोज़गार में तेज़ी से कमी आई है. आज़ाद भारत के इतिहास में इस वक्त के जैसी रोज़गार में गिरावट कभी नहीं देखा गई. हालत यह हो गई है कि जो नौकरियां थीं, वह भी ग़ायब हो रही हैं. नई नौकरियां नहीं आ रही हैं. लगातार छह तिमाही में गिरावट के बाद भी सरकार इसे मामूली बता रही है.

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120 कंपनियों की 'हायरिंग' यानी भर्तियां में काफी कमी आई है. भारत में हर साल एक करोड़ बीस लाख लोग रोज़गार के बाज़ार में प्रवेश करते हैं. मंत्री अपने काम के दावों को लेकर ख़ूब ट्वीट कर रहे हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल सबसे आगे हैं. ग्राफिक्स के दावों में सब हैं मगर कितने लोगों को रेलवे ने नौकरी दी है, इसी का कोई ग्राफिक्स नहीं है. रेलगाड़ी क्यों देर से चल रही है, कोई जवाब नहीं.

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हाल ही में रविशंकर प्रसाद को बोलते सुना था कि डिजिटल इंडिया से पचास लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा. इतना डेटा डेटा करते हैं, इसी का डेटा दे देते कि कितने लोगों को रोज़गार दिया है. किसे और कहां दिया है. सारे मंत्री अपने विभाग का डेटा ट्वीट करें तो कि उनके यहां कितनी नौकरियां निकली हैं? स्किल इंडिया से तीन लाख लोगों को भी काम नहीं मिला है. एक्सप्रेस में रिपोर्ट छपी थी. पर अच्छी ख़बर ये है कि अंबानी की संपत्ति में 67 फीसदी की वृद्धि हुई है. नई रिपोर्ट आई है कि भारत के सौ अमीरों की संपत्ति में 26 फीसदी की वृद्धि हुई है. क्या आपकी संपत्ति, सैलरी इतनी बढ़ी है? हमने ये पोस्ट किसी नेता या सरकार के विरोध में नहीं किया है. भारत के युवाओं के समर्थन में किया है, जिन्हें नौकरी का इंतज़ार है.

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