Katsuko Saruhashi Google Doodle: 'मैं चाहती हूं महिलाएं भी पुरुषों के बराबर ही साइंस और टेक्नोलॉजी में योगदान करें', ये था काट्सुको का सपना

काट्सुको सरुहाशी पहली वैज्ञानिक थीं जिन्हें समुद्र के पानी में कार्बनडाइऑक्साइड और रेडियोएक्टिव मटीरियल का लेवल मापा था. आज Google Doodle पर छाई रहीं Katsuko Saruhashi.

Katsuko Saruhashi Google Doodle: 'मैं चाहती हूं महिलाएं भी पुरुषों के बराबर ही साइंस और टेक्नोलॉजी में योगदान करें', ये था काट्सुको का सपना

Katsuko Saruhashi's 98th Birthday: काट्सुको सरुहाशी टोक्यो यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में डॉक्ट्रेट करने वाली पहली महिला थीं

खास बातें

  • काट्सुको ने टोक्यो यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में की थी डॉक्ट्रेट
  • गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
  • महिलाओंं को साइंस में देखना चाहती थीं
नई दिल्ली:

आज (22 मार्च, 2018) के दिन गूगल के डूडल पर Katsuko Saruhashi छाई रहीं. हर किसी को जानने की जिज्ञासा थी कि ये काट्सुको सरुहाशी है कौन? काट्सुको सरुहाशी ने साइंस के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए भी उल्लेखनीय काम किया है. वे चाहती थीं कि महिलाएं साइंस में ज्यादा से ज्यादा आएं. उन्होंने महिलाओं के साइंस फील्म में आने के लिए कई कोशिशें की. काट्सुको सरुहाशी ने महिलाओं को साइंस में आने के लिए प्रेरित किया. उनका मानना था, "मैं वो दिन देखना चाहूंगी जब महिलाएं भी पुरुषों के बराबर ही साइंस और टेक्नोलॉजी की फील्ड में योगदान करेंगी." 

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काट्सुको सरुहाशी पहली वैज्ञानिक थीं जिन्हें समुद्र के पानी में कार्बनडाइऑक्साइड और रेडियोएक्टिव मटीरियल का लेवल मापा था. काट्सुको सरुहाशी के नाम पर ही सरुहाशी टेबल का नाम पड़ा है जिसका इस्तेमाल पानी में कार्बनिक एसिड के मिश्रण को जानने के लिए किया जाता है. Katsuko का जन्म 1920 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुआ था. काट्सुको सरुहाशी टोक्यो यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में डॉक्ट्रेट करने वाली पहली महिला थीं. काट्सुको सरुहाशी ने 1943 में इम्पीरियल वीमेंस कॉलेज ऑफ साइंस से ग्रेजुएशन किया था. Katsuko Saruhashi टोक्यो यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में डॉक्ट्रेट करने वाली पहली महिला थीं. 1954 में सरकार के अनुरोध पर परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद उन्होंने समुद्र के पानी में रेडियोएक्टिविटी लेवल को आंका था. 

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ISRO की 'रॉकेट वूमन'
अगर उनके इस ख्वाब की बात भारत के संदर्भ में करें तो ISRO ने काफी हद तक इसे पूरा कर दिखाया है. इसरो के मार्स मिशन की सिस्टम इंजीनियर मीनल संपत हैं जो पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. यही नहीं, ऋतु करिधाल को भारत की 'रॉकेट वूमन' ही कहा जाता है. वे 'मंगलयान' अभियान की डिप्टी ऑप्रेशंस डायरेक्टर हैं. 

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फिल्मों में भी लेडी साइंटिस्ट
हालांकि अगर बॉलीवुड सिनेमा की बात करें तो हमें ज्यादा उत्साह करने वाली चीजें नजर नहीं आती हैं. लेकिन हॉलीवुड में महिला वैज्ञानिकों की मिसालें भरी पड़ी हैं. हॉलीवुड ने महिला वैज्ञानिकों पर केंद्रित फिल्में अच्छी-खासी संख्या में बनाई हैं, और इनमें कई काल्पनिक हैं तो कई सच्ची भी. 'ट्विस्टर (1996)' की हिट फिल्म में हेलन हंट डॉ. जो हार्डिंग के किरदार में थीं जो एक मीटियोरोलॉजिस्ट थीं. 'आउटब्रेक (1995)' में रेनी रूसो ने रॉबी केओफ का किरदार निभाया जो एक महामारी से निबटने की कोशिश करती है. 2013 की स्पेस परआधारित फिल्म 'ग्रैविटी' में सैंड्रा बुलॉक्स ने डॉ. रेयान स्टोन का किरदार निभाया था जो स्पेस मिशन पर जाती हैं. हॉलीवुड में इस तरह की ढेरों फिल्में हैं लेकिन बॉलीवुड में नहीं.

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