अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में वकील ने रखी दलीलें, 'रामलला चूंकि नाबालिग हैं लिहाजा उनकी ओर से...'

वकील परासरन ने कहा, कोर्ट ने राम जन्मभूमि को कानूनी व्यक्ति मानने से इनकार कर दिया तो रामलला को पक्षकार बनना पड़ा

अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में वकील ने रखी दलीलें, 'रामलला चूंकि नाबालिग हैं लिहाजा उनकी ओर से...'

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले पर रोज सुनवाई हो रही है.

खास बातें

  • परासरन ने कहा - रामलला एक मूर्ति नहीं बल्कि देवता, उन्हें सजीव मानते हैं
  • देवता की उपस्थिति एक न्यायिक व्यक्ति होने का एक मात्र परीक्षण नहीं
  • ऋग्वेद के अनुसार सूर्य एक देवता है, वे एक मूर्ति नहीं
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रही. इस मामले में मध्यस्थता के जरिए मैत्रीपूर्ण तरीके से किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिशें विफल होने के बाद सुनवाई की जा रही है. ‘राम लला' की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश कीं.

रामलला के लिए वकील के परासरन ने अपनी दलीलें रखते हुए कोर्ट में कहा कि जन्म स्थान को सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्म स्थान कहते हैं. इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि यह भगवान राम का जन्म स्थान है. उन्‍होंने कहा कि रामलला को इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब सीआरपीसी की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी गई. इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी.

परासरन ने कहा, 'कोर्ट ने राम जन्मभूमि को कानूनी व्यक्ति (ज्यूरिस्टिक पर्सन) मानने से इनकार कर दिया तो रामलला को पक्षकार बनना पड़ा. रामलला चूंकि नाबालिग हैं लिहाजा उनकी ओर से अंतरंग मित्र मुकदमा लड़ रहे हैं. इस मामले में तो कोर्ट ने भी माना है कि राम जन्मभूमि की पूरी जमीन एक ही सम्पत्ति है.' उन्‍होंने कहा, 'पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला का मुकदमा लड़ा, अब त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं.

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रामलला के वकील परासरन ने 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि' श्लोक का हवाला देते हुए कहा, 'जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है. राम जन्म स्थान का मतलब है एक ऐसा एरिया जहां सभी की आस्था और विश्वास है.'

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सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का कोर्ट में खड़े होकर जिक्र करना चाहा लेकिन कोर्ट ने उन्हें रोक दिया. कोर्ट ने कहा कि उचित समय आने पर उन्हें सुनेंगे. स्वामी ने याचिका में रामलला की पूजा-अर्चना के अबाधित मौलिक अधिकार की मांग की है.

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सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषण ने पूछा, क्या जन्म स्थान ज्यूरिस्टिक पर्सन है? उसी तर्ज पर जिस तरह से उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था? इस पर रामलला के वकील परासरण ने कहा, 'हां राम जन्मभूमि भी ज्यूरिस्टिक पर्सन हो सकता है और रामलला भी, क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं बल्कि देवता हैं. हम उन्हें सजीव मानते हैं.' परासरन ने इस बात पर जोर दिया कि देवता की उपस्थिति एक न्यायिक व्यक्ति होने का एक मात्र परीक्षण नहीं है. नदियों की पूजा की जाती है. ऋग्वेद के अनुसार, सूर्य एक देवता है. सूर्य एक मूर्ति नहीं है, लेकिन वह अभी भी एक देवता है. इसलिए हम कह सकते हैं कि सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति है.'

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सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्षों से पूछा जो अपील फ़ाइल की गई है सूट 5 में क्या उनको अलग से सुना जाए? मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जब वे अपनी अपील पर बहस करेंगे, तब वे अपना पक्ष रखेंगे. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अपनी अपील पर बहस करते समय सूट 5 को लेकर भी अपना पक्ष रखेगा.

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रखेगा. आमतौर पर संविधान पीठ सोमवार और शुक्रवार के अलावा बाकी तीन दिन यानी मंगल, बुध, गुरुवार को संविधान की व्याख्या से संबंधित मामलों की सुनवाई करता है. अभी तक NJAC और तीन तलाक मामले में छुट्टियों में भी सुनवाई हुई थी. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई करने के लिए कहा है.

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