Monsoon Forecast 2019: खेत में धान लगाता हुआ किसान- प्रतीकात्मक तस्वीर
खास बातें
- इस साल मानसून में होगी अच्छी बारिश
- भारत मौसम विभाग ने बताया
- दक्षिण-पश्चिम मानसून लगभग सामान्य
नई दिल्ली: देश के किसानों के लिए अच्छी खबर है कि इस साल मानसून (Monsoon 2019 Forecast) उनके लिए अनुकूल रहेगा और जमकर बारिश होगी. मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल केजे रमेश ने साउथ वेस्ट मानसून के बारे में एनडीटीवी से कहा, इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (Monsoon 2019 Forecast) सामान्य रहने की संभावना है. 2019 का दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन खाद्य उत्पादन के नजरिए से किसानों के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है. एल नीनो का प्रभाव अगर होगा भी तो बहुत ही कम होगा. फिलहाल इस बार एल नीनो मजबूत नहीं रहेगा. भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कहा कि इस साल मानसून (Monsoon 2019 Forecast) के तकरीबन सामान्य रहने की उम्मीद है. निजी एजेंसी स्काईमेट के पूर्वानुमान में कहा गया था कि ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तटीय आंध्र प्रदेश में पूरे मौसम में सामान्य बारिश होने की संभावना है.
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वहीं पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन नायर ने कहा, "भारत में 2019 में मानसून तकरीबन सामान्य रहने वाला है क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून लगभग सामान्य रहने की उम्मीद है." उन्होंने कहा कि लंबी अवधि का औसत 96 फीसदी रहने की उम्मीद है जिससे देशभर में 89 सेंटीमीटर बारिश होगी. पिछले दिनों मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने कहा था कि इस साल मानसून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है. एजेंसी ने बताया था कि मॉनसून (Monsoon 2019 Forecast) के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है. 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है.
स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने बताया कि जून में एलपीए की 77 प्रतिशत बारिश देखने को मिल सकती है जबकि जुलाई में एलपीए की 91 प्रतिशत बारिश हो सकती है. सिंह ने बताया कि पूर्वानुमान के अनुसार जून और जुलाई में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. अगस्त और सितम्बर में एलपीए के 102 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बारिश हो सकती है.
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स्काईमेट ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया है. स्काईमेट के अध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) जी पी शर्मा ने बताया कि अल-नीनो का मानसून पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रशांत महासागर औसत से अधिक गर्म हो गया है. मार्च-मई के दौरान अनुमानों में अल नीनो की 80 प्रतिशत संभावना है, जो जून से अगस्त तक 60 प्रतिशत तक कम होती है.''
(इनपुट आईएएनएस से भी)