मुख्यमंत्री पद को लेकर अब उद्धव ने साधी चुप्पी, बीजेपी को दी सत्ता के घमंड से दूर रहने की नसीहत

विजयादशमी पर आयोजित कार्यक्रम में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि भारत से प्रेम करने वाले मुस्लिमों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे

मुख्यमंत्री पद को लेकर अब उद्धव ने साधी चुप्पी, बीजेपी को दी सत्ता के घमंड से दूर रहने की नसीहत

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो).

खास बातें

  • दशहरा सम्मेलन के जरिए शिवसेना ने मुंबई में किया शक्ति प्रदर्शन
  • कांग्रेस-एनसीपी से पूछा, तय करो कि नेता कौन, शरद पवार या सोनिया?
  • कहा- एक महीने में दो विजयादशमी, एक आज एक चुनाव के बाद
मुंबई:

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ रही शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दशहरा पर वादों और दावों की झड़ी लगा दी. हालांकि इस मौके पर शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने के वचन पर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा. चुनावी समर के दौर में मंगलवार को दशहरा सम्मेलन के जरिए शिवसेना ने अपनी ताकत दिखाई. हैरानी की बात यह है कि बीजेपी को तीखे तेवर दिखाते रहने वाले उध्दव ठाकरे ने इस शक्ति प्रदर्शन के मौके पर बीजेपी के साथ जाने की मजबूरी बताई और सफाई दी. हालांकि उन्होंने सत्ता मिलने पर घमंड नहीं करने की बात कहकर बीजेपी का नाम लिए बिना तंज भी कसा. वे सीटों के समान बंटवारे पर भी चुप रहे. सिर्फ इतना कहा कि सत्ता चाहिए किसी भी कीमत पर.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना धनगर जाति को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत से प्रेम करने वाले मुस्लिमों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले जाहिर तौर पर सहयोगी भाजपा का हवाला देते हुए उद्धव ने कहा कि 'शिव सैनिकों को धोखा देने की कभी हिम्मत न करें. हालांकि उन्होंने इसके साथ यह भी कहा कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन वास्तविक है और उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठजोड़ की तरह नहीं है जो सिर्फ सत्ता के लालच पर आधारित था, इसलिए लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया.'

ठाकरे ने कहा कि 'सरकार के अगले एजेंडे में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और समान नागरिक संहिता को लाना होना चाहिए.' बीजेपी से गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि 'अगर भाजपा से नहीं तो क्या हमें कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए था? जिसने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने और राजद्रोह कानून का विरोध किया है.'

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विजयादशमी पर आयोजित कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने पहले शस्त्र पूजा की और फिर कार्य पुस्तिका का विमोचन किया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि ' मैं कल से सोच रहा हूं कि ऐसा योग कम ही आता है, एक महीने में दो विजयादशमी. एक आज एक चुनाव के बाद. उन्होंने कहा कि शिव प्रभु ने देश को भगवा रंग दिया है. वही भगवा लेकर मैं आया हूं. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कहा कि राम मंदिर का कोर्ट में केस है. बीस साल से है...फैसला जल्द आएगा, आना ही  चहिए. मुझे देश में राम मंदिर चाहिए वो बनना ही चाहिए.'

उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'इस राज्य में सभी जाति-धर्म के लोग हैं. देशभक्त मुसलमान भी हैं. सत्ता तो मुझे चहिए ही, किसी भी परिस्थिति में चाहिए. गठबंधन किया. किसी को लग रहा होगा कि शिवसेना झुक गई. चंद्रकांत पाटिल ने कहा हमारी मजबूरी समझिए.'  उन्होंने कहा कि 'देश से प्रेम करने वाले मुसलमानों का भी स्वागत है. देशभक्त मुसलामानों के न्याय अधिकार के लिए शिवसेना संघर्ष करेगी.'

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उन्होंने कहा कि 'लोकसभा चुनाव में दो गठबंधन हुए, एक शिवसेना-बीजपी के बीच दूसरा उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा के बीच. परिणाम क्या हुआ? हमारे गठबंधन की जीत हुई क्योंकि यह प्रामाणिक थी, सिर्फ सत्ता के लिए नहीं थी. हम हिंदुत्व के लिए गठबंधन बीजेपी से नहीं तो क्या 370 का समर्थन करने वाली कांग्रेस से करते?'

उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस-एनसीपी को निशाना बनते हुए कहा कि 'पहले यह तय करो कि नेता कौन है? शरद पवार या फिर जिनके लिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ी, सोनिया गांधी? कह रहे हैं कि शरद पवार ने लड़ाई लड़ी और ईडी डर गई, बदले की राजनीति चल रही है. फिर साल 2000 में तुमने क्या किया? किस कानून के तहत शिवसैनिकों पर मुकदमे किए? 1992 में बाबरी अयोध्या में गिरी, दंगा कहां हुआ मुंबई में? तब शरद पवार की राज्य में सरकार थी. शिवसेना ने मुंबई में हिंदुओं को बचाया. क्या किया आपने? आज कह रहे हैं कि बदले की राजनीति चल रही है?'

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शिवसेना प्रमुख ने कहा कि 'मैं अमित भाई (अमित शाह) को कह रहा हूं कि संपूर्ण देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालना है. देश मे समान नागरिक कायदा जरूरी है. यह भी शिवसेना प्रमुख (बाल ठाकरे) का सपना था. शिवसेना सरकार में आएगी, सरकार में रहेगी.' उन्होंने कहा कि 'शिवसेना पहले झुनका-भाकर केंद्र लाई थी, अब सरकार आने के बाद 10 रुपये थाली भोजन देगी. तीन सौ यूनिट तक बिजली बिल में भी 30 फीसदी कमी लाई जाएगी. एक रुपया में हेल्थ चेकअप होगा. किसानों को पूरी कर्जमाफी देंगे. हेल्थ चेकअप केंद्र बनाएंगे.' उन्होंने कहा कि 'सत्ता आती है, जाती है, फिर आती है, पर अगर सिर में सत्ता घुस जाए तो उसकी खैर नहीं होती है. विनम्र होना चाहिए.'

उध्दव ठाकरे ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना की दावेदारी तो लेकर कुछ नहीं कहा.

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