"वामपंथी अतिवादियों के नियंत्रण में आंदोलन":  किसानों का संघर्ष तेज होने के बीच नया मोड़

किसान संगठनों ने सरकारी सूत्रों के इस दावे को खारिज किया. किसान नेताओं ने इसे दुष्प्रचार बताया है. सरकार के सूत्रों का दावा है कि किसान आंदोलन के आने वाले दिनों में हिंसा भड़क सकती है.

किसान नेताओं ने इसे दुष्प्रचार बताया है.

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के समर्थन में एक ओर देशव्यापी अभियान शुरू करने का फैसला किया है. वहीं दूसरी ओर सरकारी सूत्रों की ओर से शुक्रवार को कहा गया कि वामपंथी अतिवादी तत्वों (ultra-left) ने आंदोलन को अपने नियंत्रण में ले लिया है. किसान आंदोलन (Farmers Protest) में माओवादी तत्वों के प्रवेश करने और हिंसा-आगजनी की आशंका के खुफिया इनपुट पर किसानों ने प्रतिक्रिया दी है. किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है. यह महज एक प्रोपैगैंडा है. 

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सरकार के सूत्रों (Intelligence sources) का कहना है कि किसान आंदोलन (Farmers Protest) ने अल्ट्रा लेफ्ट (Ultra Left) तत्वों ने आंदोलन को अपने नियंत्रण में ले लिया है. सरकारी सूत्र भीमा कोरेगांव और इस आंदोलन में एकरूपता देख रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों मे आगजनी और तोड़फोड़ भी हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली-जयपुर हाईवे (Delhi-Jaipur Highway) को जाम करने के लिए उकसाया जा रहा है. माओवादी तत्वों ने आंदोलन को अगवा कर लिया है. किसान संगठनों ने सरकारी सूत्रों के इस दावे को खारिज किया. किसान नेताओं ने इसे दुष्प्रचार बताया है. सरकार के सूत्रों का दावा है कि किसान आंदोलन के आने वाले दिनों में हिंसा भड़क सकती है.

अनाधिकारिक माध्यमों के जरिये आए इन संदेशों को मीडिया की खबरों में "सरकारी सूत्र"कहा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन में अधिकारियों ने किसानों के इस आंदोलन की पुणे में 2018 के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की घटना को लेकर तुलना शुरू कर दी है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि अल्ट्रा लेफ्ट और उग्र वामपंथी विचारधारा से जुड़े तत्व किसानों के इस आंदोलन को खतरनाक रूप दे सकते हैं.

इसको लेकर विश्वसनीय खुफिया इनपुट के आधार पर कहा जा रहा है कि आंदोलन को तेज करने की कवायद की आड़ में हिंसा, आगजन और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है. इन कट्टरपंथी तत्वों ने किसानों को दिल्ली-जयपुर (Delhi-Jaipur) हाईवे जाम करने की सलाह भी दी है.नाम न बताने की शर्त के साथ अधिकारियों ने ये दावा किया है. हालांकि किसान समूहों (Farmers Union) ने इसे पूरी तरह बकवास करार दिया है. उनका कहना है कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण और गैर राजनीतिक है . विपक्षी दलों को भी इससे दूर रखा गया है.

आंदोलनरत 32 किसान संगठनों में शामिल कीर्ति किसान संगठन के प्रमुख रामिंदर सिंह पटियाल का कहना है कि हम सरकार के इस दावे को खारिज करते हैं. यह सरकार का दुष्प्रचार है, हमें बदनाम करने का. हमारे सारे फैसले संयुक्त किसान यूनियन के जरिये लिए जाते हैं.

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