राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत के आगे तीन तलाक बिल फिर अटका, जानिए- किस बात पर है विरोध

राज्यसभा में विपक्षी दल बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर अड़े, सरकार पर एक संवेदनशील मसले पर राजनीति करने का आरोप लगाया

खास बातें

  • तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा गतिरोध के लिए सरकार जिम्मेदार
  • AIADMK ने कहा कि बिल में दोषी पति को सजा का प्रावधान गलत
  • पीडीपी ने कहा- किसी देश में सिविल कन्ट्रैक्ट के लिए सजा का प्रावधान नहीं
नई दिल्ली:

राजनीतिक गतिरोध की वजह से तीन तलाक बिल राज्यसभा में फिर लटक गया है. राज्यसभा में बहुमत के अभाव में सरकार इस बिल को आगे नहीं बढ़ा पाई. विपक्ष बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है.

सोमवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित कराने की सरकार की कोशिश फिर नाकाम हो गई. विपक्ष तीन तलाक बिल में बड़े बदलाव की मांग कर रहा था और सदन में चर्चा से पहले सेलेक्ट कमेटी की मांग पर डटा रहा. जबकि सरकार ने विपक्ष की मांग खारिज कर दी.

राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने सरकार पर एक संवेदनशील मसले पर राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने कहा कि विपक्ष इस बात से डर गया है कि ये कानून बनने से मुस्लिम महिलाएं मोदी सरकार का समर्थन करेंगी.  
 

  • राज्य सभा के कुल सदस्य - 244
  • बहुमत के लिए ज़रूरी  - 123
  • एनडीए - 98
  • बिल के विरोध में कम से कम 136 सांसद

 

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तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार गतिरोध के लिए जिम्मेदार है और बिना बिल पर राजनीतिक आम राय बनाए इसे राज्यसभा में पारित कराना चाहती है.

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महत्वपूर्ण मसलों पर समय-समय पर सरकार के साथ दिखने वाली AIADMK भी बिल के विरोध में है. पार्टी की चीफ विप वी सत्यानन्त ने एनडीटीवी से कहा कि बिल में दोषी पति को सजा का प्रावधान गलत है और इससे इस प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग बढ़ेगा. पीडीपी नेता मुजफ्फर बेग ने एनडीटीवी से कहा कि दुनिया के किसी भी देश में सिविल कन्ट्रैक्ट के लिए सजा का प्रावधान नहीं है और भारत में भी ऐसा नहीं होना चाहिए.

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साफ है, सरकार के पास तीन तलाक बिल पर जारी अध्यादेश को संसद में पारित कराने के लिए सिर्फ 8 जनवरी तक का समय है. अगर सरकार इसे 8 जनवरी तक राज्यसभा में पारित नहीं करा पाई तो उसे फिर से अध्यादेश लाने पर विचार करना होगा.