पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ( Pranab Mukherjee) की नई किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' (The Presidential Years) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ उनके खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान भी है. इस किताब में जहां संसद से नदारद रहने और नोटबंदी को लेकर प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया वहीं कई मुद्दों पर जमकर तारीफ भी की है. प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों से साफ है कि चाहे मुखर्जी और मोदी अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमि से आए हों लेकिन मुखर्जी के मन में पीएम मोदी और देश के प्रति उनके समर्पण को लेकर बहुत सम्मान था. चुनाव जीतने के बाद पहली मुलाकात में मोदी मुखर्जी से मिलने आए तो एक अखबार की कतरन साथ लाए जिसमें मुखर्जी का पुराना भाषण था जो राजनीतिक रूप से स्थिर जनादेश की उम्मीद व्यक्त करता था.
अपने पहले कहानी संग्रह ‘तुम्हारी लंगी’ में लेखिका अपने इस यथार्थ से बहुत सहजता से आंख मिलाती है. संग्रह की पहली ही कहानी में उनकी नायिका कहती है- ‘महिला दुहरी विकलांग है’- और अचानक हमारे सामने यह समझने का अवसर छोड़ देती है कि विकलांगता को हम किसी नियति या प्रकृति प्रदत्त चीज़ की तरह नहीं, एक सामाजिक निर्मिति की तरह देखना सीखें.
अमिताभ घोष के लेखन में जितनी विश्वजनीन अपील होती है, उतना ही गहरा स्थानिकता का बोध होता है - और यह स्थानिकता इतिहास और भूगोल से इस तरह अनुस्युत रहती है कि अमिताभ घोष का लेखन साहित्य की सीमा (अगर ऐसी कोई सीमा होती हो तो) को फलांगता हुआ लगभग समाज-वैज्ञानिक शोध और अध्ययन की परिधि में चला जाता है.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने एक पुस्तक लिखी है जिसमें उन्होंने बताया है कि किस तरह से कोरोना वायस संक्रमण ने जीने के तरीके पर असर डाला है, साथ ही इससे पार पाने के तरीकों का भी जिक्र पुस्तक में किया गया है.
ब्रिटिश भारतीय पत्रकार और लेखिका अनिता आनंद की किताब ‘‘ द पेशेंट असैसिन : ए ट्र टेल ऑफ मैसकर, रिवेंज ऐंड द राज’’ को यहां का प्रतिष्ठित इतिहास साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया है. उल्लेखनीय है कि इस किताब में उन्होंने वर्ष 1919 में अमृतसर के जालियांवाला बाग में हुए नरसंहार से घिरे एक युवक (क्रांतिकारी उधम सिंह)की कहानी को पिरोया है.
जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) का अमेरिकी संस्करण इस बार डिजिटल माध्यमों से आयोजित किया गया और यह करीब एक महीने तक चला. इसने पुस्तक प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया. अमेरिका में यह उत्सव आठ नवंबर को जेएलएफ कोलोरैडो सत्र के साथ शुरू हुआ था, जो आठ से 11 नवंबर और 15 से 18 नवंबर तक चला था.
Book Review: हम बात कर रह हैं लेखक राजीव कपूर की नई किताब 'कान्वर्सेशन विद माई लव' के बारे में. यह एक लव स्टोरी है. 'कान्वर्सेशन विद माई लव' की अनोखी और मजेदार बात यह है कि यह किताब गद्य और पद्य दोनों का मले है. यह किताब अंग्रेजी में है और इसका किंडल संस्करण अमेज़न पर मौजूद है. चलिए जानते हैं इसके बारे में -
झारखंड में तीन साल की बच्ची से हुए रेप की चीख आप इस संग्रह में सुन सकते हैं. मॉब लिंचिंग पर कई कविताएं हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर दुख भरी कविता है- आत्महत्या के पहले की सिहरन को महसूस करने की कोशिश करती हुई. होली-दशहरा भी इन कविताओं में आते हैं. लेकिन फिर दुहराना होगा कि ये बिल्कुल प्राथमिक अभिव्यक्तियां हैं जो किसी भी कवि हदय इंसान में संभव हैं. बहुत गहरी तकलीफ़ों को तत्काल बयान नहीं करना चाहिए. उन्हें उलट कर, पलट कर, कुछ
प्रसिद्ध कन्नड लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता यू आर अनंतमूर्ति (UR Ananthamurthy) की मशहूर साहित्यिक कृति ‘अवस्थे’ (अवस्था) अब अंग्रेजी के पाठकों के लिए भी उपलब्ध होगी. हार्परकॉलिन्स प्रकाशक ने इस संबंध में घोषणा की. कन्नड भाषा में सबसे पहले 1978 में प्रकाशित ‘अवस्थे’ किसानों के एक क्रांतिकारी नेता कृष्णप्पा गौड़ा की कहानी है.
प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस वर्ष की 100 उल्लेखनीय किताबों की सूची जारी की है, जिसमें आलोचकों की प्रशंसा पा चुके तीन भारतीय लेखकों की किताबें भी शामिल हैं. इस सूची में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा का संस्मरण ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ भी शामिल है.
Book Review: बड़ी मुखानी, हल्द्वानी, नैनीताल उत्तराखंड से निकलती आधारशिला पत्रिका अपने को साहित्य, कला, संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका कहती है. अपने दो सौवें अंक को विश्वश्रमिक दिवस 2019 को कला परिदृश्य से अनंत यात्रा पर निकल जानेवाले कलाकार हरिपाल त्यागी पर केंद्रित किया.
न्यूयॉर्क में बसे स्कॉटलैंड के लेखक डगलस स्टुअर्ट को बृहस्पतिवार को उनके पहले उपन्यास ‘शग्गी बैन’ के लिए उन्हें 2020 का बुकर पुरस्कार मिला है. ‘शग्गी बैन’ की कहानी में ग्लासगो की पृष्ठभूमि है. दुबई में बसी भारतीय मूल की लेखिका अवनी दोशी का पहला उपन्यास ‘बर्नंट शुगर’ भी इस श्रेणी में नामित था. कुल छह लोगों के उपन्यास नामित थे.
बेस्टसेलिंग लेखक पाउलो कोएलो (Paulo Coelho) की नवीनतम किताब “द आर्चर” (The Archer) पाठकों को जोखिम उठाने, साहस दिखाने और किस्मत की अप्रत्याशित चुनौतियों को पूरे साहस से गले लगाने को प्रेरित करती है. प्रकाशन कंपनी पेंगुइन ने मंगलवार को यह जानकारी दी. क्रिस्टोफ नीमन द्वारा डिजाइन की गई तस्वीरों वाली इस किताब का पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद मार्गरेट जुल कोस्टा ने किया है.
सर अल्लामा मुहम्मद इकबाल (9 नवंबर 1877- 21 अप्रैल 1938) एक कवि, लेखक, दार्शनिक, समाज सुधारक, राजनीतिक कार्यकर्ता और कल्पना से परे शख्सियत थे. हालांकि वह पेशे से वकील थे और उनके 106 मामलों को तारीखी ( landmark) रूप में बताया जाता है, जो आज तक का रिकॉर्ड है. सियालकोट में जन्मे इकबाल की प्रारंभिक शिक्षा मदरसे और बाद में गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से हुई. उस समय के प्रतिष्ठित विद्वानों, मीर हसन और थॉमस वॉकर अर्नोल्ड का उनके विचारों पर गहरा प्रभाव था उनकी कानून और पीएचडी (दर्शनशास्त्र) की उच्च शिक्षा क्रमशः इंग्लैंड और जर्मनी में हुई. इकबाल को कई विश्वविद्यालयों द्वारा प्रोफेसर के रूप में रखने की पेशकश की गई थी, लेकिन वह ऐसी नौकरियों से मुक्त होने और रचनात्मक लेखन पर ध्यान केंद्रित करना पसंद करते थे.
Lamhi Book Review: संपादकीय के अलावा इस अंक में कुल अड़तीस आलेख हैं. निर्मल वर्मा, सुरेंद्र चौधरी और नित्यानंद तिवारी के प्रसिद्ध लेख तो इस अंक में शामिल हैं ही, साथ ही नलिन विलोचन शर्मा का वह कालजयी लेख भी है, जिसमें मैला आंचल के प्रकाशन के तुरंत बाद उन्होंने रेणु के बारे में कहा था कि मैला आंचल की भाषा से हिंदी समृद्ध हुई है.
वह कहानी जिसकी चर्चा के बिना यह टिप्पणी अधूरी रहेगी. दरअसल यह कहानी जितनी लेखक के लिए चुनौती भरी है उतनी ही आलोचक के लिए भी. ‘एक राजा था जो सीताफल से डरता था’ नाम की यह कहानी हालांकि संग्रह के प्रकाशन से पहले भी चर्चित हो चुकी है. यह पूरी तरह फंतासी से पैदा हुई कथा है- इसमें कुछ लोककथा का रंग शामिल है, लेकिन यह लोककथा नहीं है.
बीते साल बिहार में नीतीश कुमार ने खादी के एक मॉल का उद्घाटन किया. इसमें शक नहीं कि खादी बिकनी चाहिए. लेकिन क्या गांधी ने खादी की कल्पना एक ऐसे कपड़े के रूप में की थी जो मॉल में बिके? गांधी की खादी बिक्री के लिए नहीं, बुनकरी के लिए थी, गरीबों के लिए थी. बताने की ज़रूरत नहीं कि गांधी की खादी का यह बाज़ारीकरण दरअसल उस नई सत्ता संस्कृति का द्योतक है जिसके तहत सारा विकास एक ख़ास वर्ग को संबोधित होता है और उसे बाज़ार की कसौटी पर खरा उतरना होता है.
जो बच्चा आज उनतालीस, उनचास, उनसठ, उनत्तर और उनासी के बीच फर्क नहीं समझेगा, उसके लिए आने वाले दिनों में आम देशवासियों से बात करना, और देश के गौरव को समझना क्योंकर मुमकिन होगा... सो, आइए, भाषागत राजनीति में उलझे बिना ऐसे काम करें, जिससे हिन्दी और समृद्ध, और सशक्त हो...
हिन्दी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर हम आपके लिए लाए हैं, हिन्दी के 25 ऐसे शब्द, जिन्हें आमतौर पर, या कहिए, बहुधा गलत वर्तनी (यानी spellings) के साथ लिखा जाता है... सो आप हमें बताइए, इन शब्दों की सही वर्तनी क्या है, क्योंकि इस क्विज़ से इससे न सिर्फ हम जान पाएंगे, हमारे कितने पाठक हिन्दी के कितने अच्छे ज्ञाता हैं, बल्कि आप खुद भी जान पाएंगे, आपका हिन्दी ज्ञान कितना बढ़िया है...