साहित्य

पुस्तक समीक्षा: बीवी कैसी होनी चाहिए, सामाजिक बुराइयों को सामने लाती एक किताब

पुस्तक समीक्षा: बीवी कैसी होनी चाहिए, सामाजिक बुराइयों को सामने लाती एक किताब

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मुहम्मद अली रूदौलवी द्वारा लिखे इन कहानियों और पत्रों का सम्पादन एवं संकलन शुऐब शाहिद द्वारा किया गया है. विक्रम नायक द्वारा तैयार किताब का आवरण चित्र, किताब के नाम की तरह ही रोचक है.

पुस्तक समीक्षा : एक सभ्यता डूब जाने का हाल बताती 'टिहरी की जल समाधि एक दस्तावेज'

पुस्तक समीक्षा : एक सभ्यता डूब जाने का हाल बताती 'टिहरी की जल समाधि एक दस्तावेज'

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'टिहरी की जल समाधि एक दस्तावेज' महिपाल नेगी की लिखी किताब है और यह समय साक्ष्य प्रकाशन से प्रकाशित होकर आई है.

पुस्तक समीक्षा : दिल्ली के उजड़ने से पहले का दस्तावेज़ है 'दिल्ली के चटख़ारे'

पुस्तक समीक्षा : दिल्ली के उजड़ने से पहले का दस्तावेज़ है 'दिल्ली के चटख़ारे'

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रेख्ता बुक्स और राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित किताब 'दिल्ली के चटख़ारे' के लेखक शाहिद अहमद देहलवी हैं और इस किताब का संकलन एवं संपादन शुऐब शाहिद द्वारा किया गया है.

नदी सिंदूरी: पीछे छूटे गांव को शब्दों से खींचते शिरीष खरे

नदी सिंदूरी: पीछे छूटे गांव को शब्दों से खींचते शिरीष खरे

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'एक देश बारह दुनिया' किताब से चर्चा में आए लेखक शिरीष खरे की 'नदी सिंदूरी' आपको गांव के रहन सहन से वाकिफ कराती जाएगी. सिंदूरी नदी के किनारे बसे गांव मदनपुर की कहानियों को सामने लाते शिरीष खरे हमें अवधेश, बसंत, खूंटा जैसे किरदारों के पास ले जाते हैं. गांव में जातिवाद के मकड़जाल को शिरीष कुछ इस तरह लिखते हैं कि दलित बसंत एक दिन गांव का हीरो है तो एक दिन ऊंची जाति के लोगों के सामने सर उठाने की वजह से वो अधमरा है. खुद के किशोर जीवन की कहानी शिरीष ने जिस तरह लिखी है उससे एक किशोर मन में चल रही उथल पुथल से भी पाठक परिचित होते जाते हैं.

प्रियदर्शन के नाटक 'बेटियां मन्नू की' का मंचन, ऑडिटोरियम में गूंजता स्त्री अस्मिता का सवाल

प्रियदर्शन के नाटक 'बेटियां मन्नू की' का मंचन, ऑडिटोरियम में गूंजता स्त्री अस्मिता का सवाल

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सिर्फ 4 कलाकारों ने इन 9 रचनाओं की अलग-अलग स्थितियों को जीवंत कर दिया. कलाकारों की दमदार प्रस्तुति ने स्त्री के जीवन की उधेड़बुन और परिवार और अपनी इच्छा को चुनने के अंतर्द्वंद्व को बखूबी दर्शाया.

विश्व पुस्तक मेले में तसनीम खान के उपन्यास 'हमनवाई न थी' का विमोचन

विश्व पुस्तक मेले में तसनीम खान के उपन्यास 'हमनवाई न थी' का विमोचन

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तसनीम खान का पहला उपन्यास 'ए मेरे रहनुमा' 2016 में भारतीय ज्ञानपीठ से आ चुका है. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुका है.

'लिव-इन' :  बनते-टूटते रिश्तों और इससे परिवारों के बिखरने पर सवाल उठाने वाली नाट्य प्रस्तुति

'लिव-इन' : बनते-टूटते रिश्तों और इससे परिवारों के बिखरने पर सवाल उठाने वाली नाट्य प्रस्तुति

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बदलते समय के साथ संयुक्त परिवारों की जगह 'न्यूक्लियर फैमिली' अस्तित्व में आई और इसके बाद अब एक नए तरह के रिश्ते बनने लगे हैं- 'लिव-इन रिलेशन', जो कि परिवार की सीमाओं से बंधन मुक्त हैं. इन बनते-टूटते रिश्तों के बीच सिर्फ और सिर्फ स्त्री-पुरुष हैं.. न तो बच्चे हैं, न ही कोई जिम्मेदारी.. सिर्फ एक 'कॉन्ट्रेक्ट' है जो एक स्त्री-पुरुष के बीच है. यह अलिखित कॉन्ट्रेक्ट कभी भी तोड़ा जा सकता है और नया कॉन्ट्रेक्ट बनाया जा सकता है. पश्चिमी देशों का यह प्रचलन भारत में भी फैलता जा रहा है. स्त्री-पुरुष के बीच सिर्फ यौन संबंधों और कुछ हद तक व्यवसायिकता के लिए बनने वाले इन संबंधों के बीच परिवार नाम की संस्था कहीं पीछे छूटती दिखती है.

हिन्दी के जाने-माने कथाकार सेरा यात्री का निधन

हिन्दी के जाने-माने कथाकार सेरा यात्री का निधन

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शुक्रवार को वरिष्ठ साहित्यकार सेरा यात्री (सेवा राम यात्री) नहीं रहे. उन्होंने गाजियाबाद के अपने घर में 91 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. सेरा यात्री (SR Yatri) ने 32 उपन्यास और 300 से ज्यादा कहानियां लिखीं. इसके अलावा अन्य विधाओं में भी काम करते रहे. वे पिछले कुछ अरसे से बीमार चल रहे थे.

'सिलेस्टियल सिंफनी' एक कला प्रदर्शनी जिसने मन मोह लिया...

'सिलेस्टियल सिंफनी' एक कला प्रदर्शनी जिसने मन मोह लिया...

डॉ पृथिपाल सिंह सेठी ने बताया कि उनका पहला सोलो शो त्रिवेनी कला संगम दिल्ली में हुआ, उसके बाद देश की विभिन्न कला प्रदर्शनियों में भाग लिया है. भारतीय चिकित्सा संघ, नई  दिल्ली शाखा द्वारा "आइकन ऑफ आर्ट" से सम्मानित किया गया है.

जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर ने 2023 के लिए अपनी लॉन्गलिस्ट का किया ऐलान, विनर को मिलेगा 25 लाख का पुरस्कार

जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर ने 2023 के लिए अपनी लॉन्गलिस्ट का किया ऐलान, विनर को मिलेगा 25 लाख का पुरस्कार

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जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर की लॉन्गलिस्ट में तीन नवोदित उपन्यासकार और बंगाली, हिंदी और तमिल के चार अनुवाद शामिल हुए हैं.

एक्टर पीयूष मिश्रा का पहला उपन्यास बना बेस्टसेलर, 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' के एक हफ्ते में छपे तीन संस्करण

एक्टर पीयूष मिश्रा का पहला उपन्यास बना बेस्टसेलर, 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' के एक हफ्ते में छपे तीन संस्करण

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चर्चित अभिनेता, गीतकार और नाटककार पीयूष मिश्रा का पहला उपन्यास 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' प्रकाशित होते ही नंबर एक बेस्टसेलर बन गया है.

बेस्टसेलिंग लेखक अभिषेक भास्कर विचारे ने अपने नवीनतम उपन्यास 'नेवर आस्क फॉर ए किस' में सहमति के विषय को छुआ

बेस्टसेलिंग लेखक अभिषेक भास्कर विचारे ने अपने नवीनतम उपन्यास 'नेवर आस्क फॉर ए किस' में सहमति के विषय को छुआ

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पुस्तक को 18 नवंबर 2022 को लॉन्च किया गया था क्योंकि लेखक क्रॉसवर्ड बुकस्टोर्स, केम्प्स कॉर्नर में पाठकों के साथ एक अंतरंग बातचीत में लगे हुए थे.

खालिद जावेद की किताब 'द पैराडाइज ऑफ फूड' जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर से सम्मानित

खालिद जावेद की किताब 'द पैराडाइज ऑफ फूड' जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर से सम्मानित

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द पैराडाइज़ ऑफ फूड चौथा अनुवाद है जिसे इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है तथा पहली उर्दू किताब है जिसे पुरस्कृत किया गया है.

Book Review: नक्सल समस्या और संघर्ष की दास्तान है ‘दुड़िया’

Book Review: नक्सल समस्या और संघर्ष की दास्तान है ‘दुड़िया’

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Book Review: 'पानीपत', 'महानायक' और 'झाड़ाझड़ती' जैसे अहम उपन्यास लिखने वाले मराठी के लोकप्रिय लेखक विश्वास पाटील ने नए उपन्यास के साथ दस्तक दी है.

पुस्तक समीक्षा: आपकी जातिगत श्रेष्ठता के दंभ पर थूकती हैं ये कविताएं, इन्हें ख़ारिज कर दें

पुस्तक समीक्षा: आपकी जातिगत श्रेष्ठता के दंभ पर थूकती हैं ये कविताएं, इन्हें ख़ारिज कर दें

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कविता और भाषा के शास्त्रीय अनुशासन के आधार पर पंकज चौधरी की कविताओं को सीधे-सीधे ख़ारिज कर देने की इच्छा होती है. आख़िर ऐसी सपाट सच्चाइयां कौन लिखता है? कौन चाहता है कि इन्हें कविता माना जाए. अगर ये कविताएं हैं तो शब्दों का वह सुरुचिपूर्ण संसार क्या कहलाएगा जिसे हम कविता मानते हैं?

वेदों के उपदेश सार्वकालिक, इनके प्रचार में मैक्समूलर का महत्वपूर्ण अवदान : प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी

वेदों के उपदेश सार्वकालिक, इनके प्रचार में मैक्समूलर का महत्वपूर्ण अवदान : प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी

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मैक्समूलर के बारे में कहा जाता रहा है कि वह भारत से भगवत गीता को चुराकर ले गया था. यह कहना गलत है. जो कभी भारत आया ही नहीं, वह गीता को यहां से कैसे ले गया? मैक्समूलर का तो वेदों के प्रचार में महत्वपूर्ण अवदान है. पश्चिमी दुनिया में इसी विद्वान के कारण वेदों को लोग समझ पाए. इसी तरह दारा शिकोह ने वेदों का फारसी में अनुवाद किया जिससे बाद यह बाकी भाषाओं में दुनिया में पहुंचे. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी ने यह बात मध्यप्रदेश के सागर के डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में यह बात कही. वे विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की ओऔर से आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. 

लमही पत्रिका समीक्षा: कहकहों के पीछे की उदासी

लमही पत्रिका समीक्षा: कहकहों के पीछे की उदासी

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शर्मिला जालान और संपादक ने उनके लिखे-पढ़े को इस तरह संयोजित किया है कि हम प्रबोध कुमार के व्यक्तित्व, स्वभाव और उनके जीवन-दृष्टि के सामाजिक पक्ष से परिचित होते हैं.

गांधारी : स्त्री अगर सक्रिय न हो तो होती है त्रासदी

गांधारी : स्त्री अगर सक्रिय न हो तो होती है त्रासदी

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महाभारत की कथाओं पर आधारित साहित्य इतना विशाल और विपुल है कि उसमें किया गया हर प्रयत्न पुराने प्रयत्नों की भी याद दिलाता है, इसके बावजूद पढ़ते हुए हर बार नया लगता है.

पुस्तक समीक्षा: रजा की आध्यात्मिक आभा है 'रजा जैसा मैंने देखा'

पुस्तक समीक्षा: रजा की आध्यात्मिक आभा है 'रजा जैसा मैंने देखा'

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कलावार्ता के रज़ा विशेषांक के संपादकीय में अखिलेश का देखना यह था कि रज़ा का आत्म एक बिंधा आत्म है. ताप और तप से.

पुस्तक समीक्षा: रजा की आध्यात्मिक आभा है 'रजा जैसा मैंने देखा'

पुस्तक समीक्षा: रजा की आध्यात्मिक आभा है 'रजा जैसा मैंने देखा'

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कलावार्ता के रज़ा विशेषांक के संपादकीय में अखिलेश का देखना यह था कि रज़ा का आत्म एक बिंधा आत्म है. ताप और तप से.

 
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