बिहार में क्या इस डर की वजह से बीजेपी ने घोषित नहीं किए अपने उम्मीदवार, अब ये होगी रणनीति

भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा ने बताया कि पार्टी ने बिहार (Bihar BJP Candidates) के सभी 17 उम्मीदवारों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया है और सूची राज्य इकाई को भेज दी गई है, जिसकी घोषणा गठबंधन सहयोगियों के साथ की जायेगी.

बिहार में क्या इस डर की वजह से बीजेपी ने घोषित नहीं किए अपने उम्मीदवार, अब ये होगी रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बिहार सीएम नीतीश कुमार. (फाइल तस्वीर)

खास बातें

  • BJP ने जारी कर दी पहली लिस्ट
  • 184 उम्मीदवारों का हुआ ऐलान
  • यूपी के 28 नाम भी पहली लिस्ट में शामिल
पटना:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिये भाजपा (BJP) ने गुरुवार को अपने 184 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी, लेकिन इस लिस्ट में बिहार के उम्मीदवारों के नाम का जिक्र नहीं था. पहली लिस्ट जारी करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा ने बताया कि पार्टी ने बिहार (Bihar BJP Candidates) के सभी 17 उम्मीदवारों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया है और सूची राज्य इकाई को भेज दी गई है, जिसकी घोषणा गठबंधन सहयोगियों के साथ की जायेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब नाम फाइनल हो गए तो उनका ऐलान पहली लिस्ट में क्यों नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि बिहार के उम्मीदवारों का ऐलान न करने का फैसला सोची समझी रणनीति के तहत किया गया हैं.

बिहार में इस बार भाजपा के खाते में 17 सीटें आई हैं. इन सीटों पर जो उम्मीदवार अभी तक तय किए गए हैं, उनकी जाति का जो अनुपात हैं, उसमें अगड़ी जाति के नेताओं का वर्चस्व है. अभी तक तय किए गए नामों में नौ उम्मीदवार अगड़ी जाति से हैं. इनमें कायस्थ समुदाय से रविशंकर प्रसाद, राजपूत जाति से केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, राजकुमार सिंह, राजीव प्रताप रूडी, सुशील सिंह और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल शामिल हैं. इसके अलावा अश्विनी चौबे और गोपालजी ठाकुर ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखते हैं तो भूमिहार जाति से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आते हैं.

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वहीं दूसरी ओर देखें तो अति पिछड़ी जाति से जहां एक ओर अजय निषाद और प्रदीप सिंह हैं, वहीं वैश्य समाज से डॉक्टर संजय जायसवाल और रामादेवी है. इनके अलावा बिहार इकाई के अध्यक्ष नित्यानंद राय, अशोक यादव और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव यादव जाति से ताल्लुक रखते हैं. इन सभी का नाम अभी तय माना जा रहा है. 

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भाजपा नेताओं का मानना है कि जहां बिहार में अगड़ी जाति मात्र 15 फीसदी है, वहां भाजपा के 17 में से 9 उम्मीदवार इन्हीं से ताल्लुक रखते हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में पिछड़ी जाति की संख्या करीब 56 फीसदी है, उनसे ताल्लुक रखने वाले केवल सात उम्मीदवारों का नाम तय किया गया है. बता दें, सासाराम सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जहां से एक बार फिर छेदी पासवान उम्मीदवार का नाम तय किया गया है. 

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बिहार विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के उम्मीदवारों में अगड़ी जाति के उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा थी. विधानसभा चुनाव की तरह इस बार लोकसभा में भी पार्टी पर अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का आरोप न लगे, इसलिए जदयू के उम्मीदवारों के साथ अपनी लिस्ट जारी करेगी. जदयू के उम्मीदवार पिछड़ी या अति पिछड़ी जाति के होंगे. वही राम विलास पासवान की पार्टी लोक जन शक्ति पार्टी की बात करें तो उसके खाते में छह सीटें गई हैं. इनमें से तीन सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें से एक सीट पर चिराग पासवान, दूसरी पर राम चंद्र पासवान और तीसरी सीट पर पशुपति पारस चुनाव लड़ेंगे. वहीं वैशाली और नवादा की सीट पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार होंगे. इसके अलावा खगड़िया सीट को लेकर अभी पार्टी में मंथन जारी है.

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बता दें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (Lal krishna Advani) की जगह गांधीनगर से मैदान में उतरेंगे. गृह मंत्री राजनाथ सिंह पुरानी सीट लखनऊ से लड़ेंगे जबकि नितिन गडकरी नागपुर से प्रत्याशी होंगे. स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव लड़ेंगी.  भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम पहली सूची में नहीं होने से उनकी चुनावी राजनीति समाप्त होने के कयास लगाये जा रहे हैं. भाजपा ने गांधीनगर सीट (Gandhinagar Seat) से अपने अध्यक्ष अमित शाह को उतारा है. अब तक यह सीट आडवाणी के पास थी. भाजपा की प्रदेश इकाई ने मांग की थी कि या तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को या शाह को इस बार राज्य से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए. पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने छह बार गांधीनगर सीट पर जीत दर्ज की है.

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VIDEO- BJP ने जारी की पहली लिस्ट, 184 उम्मीदवारों का किया ऐलान

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