ललथनहवला ने पिछली बार भी दो सीटों पर चुनाव लड़ा था.(फाइल तस्वीर)
खास बातें
- पिछली बार सेरछिप और ह्रांगतुजरे सीटों पर लड़ा था चुनाव
- 2013 में दोनों जीतों पर दर्ज की थी जीत
- 2013 में कांग्रेस को मिली थी 33 सीटें
नई दिल्ली: Mizoram Vidhan Sabha Results 2018:मिजोरम के पांच बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के ललथनहवला को इस बार दोनों सीटों से मुंह की खानी पड़ी. इस बार ललथनहवला सेरछिप और चम्फाई साउथ सीट से चुनाव के मैदान में थे, लेकिन उन्हें दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. सेरछिप में लालदूहोमा ने उन्हें हराया है, वहीं चम्फाई साउथ सीट पर उन्हें एमएनएफ के टी जे लालनंतलुआंग ने 856 वोटों से मात दी है. परिणामों के रुझानों के मुताबिक राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट (एनएनएफ) सरकार बनाने जा रही है. रुझानों के मुताबिक 40 सीटों में से 28 सीटों पर एमएनएफ आगे चल रही है. वहीं कांग्रेस मात्र पांच सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. भाजपा की बात करें तो वह केवल एक सीट पर आगे है. मिजोरम में रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को 29 सीटों का नुकसान हुआ है. (मिजोरम विधानसभा चुनाव परिणाम की पल-पल की जानकारी यहां पढ़ें...)
इसके अलावा ललथनहवला के मंत्रिमंडल की इकलौती महिला मंत्री वानलालवंपुई च्वांगथु हरांगतुर्जो सीट से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष लालचामलियाना से पीछे चल रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और एनएनएफ अध्यक्ष जोरामथांगा आइजोल ईस्ट-1 सीट पर जेपीएम के के.सापदांगा से आगे चल रहे हैं. जेपीएम दो राजनीतिक दलों और चार समूहों का गठबंधन है. भाजपा के उम्मीदवार पूर्व मंत्री डॉ. बुद्ध धान चकमा तुईचवांग सीट से आगे चल रहे हैं. वित्त मंत्री लालस्वता आइजोल ईस्ट-2 सीट से पीछे चल रहे हैं. इस सीट से एमएनएफ के रॉबर्ट रोमाविया रॉयते आगे चल रहे हैं.
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ललथनहवला ने पिछली बार भी दो सीटों पर चुनाव लड़ा था. साल 2013 में उन्होंने सेरछिप और ह्रांगतुजरे सीटों पर जीत दर्ज की थी. वह 1978 के बाद से रिकॉर्ड नौवीं बार विधानसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन इस बार वे एक सीट भी बचाने में नाकाम रहे. साल 2013 में कांग्रेस में साल 2008 में जीती गई सीटों की संख्या में एक का इजाफा कर 33 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा एनएमएफ को पांच सीटें और एमपीसी को एक सीट मिली थी.
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2013 में ललथनहवला पांचवी बार लगातार किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. इनके अलावा माकपा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत ज्योति बसु के नाम ये रिकोर्ड था, जो लगातार पांच बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे. बसु साल 1977 से 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे. इनके कार्यकाल में ही पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार और पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य किया गया.
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