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This Article is From Dec 20, 2018

पलटी मारेंगे पासवान! उपेंद्र कुशवाहा के बाद ये हैं NDA से LJP के अलग होने के संकेत, जानें सियासी गणित

क्या लोक जनशक्ति पार्टी भी अब एनडीए से अलग होने की सोच रही है? खुल कर कोई कुछ नहीं कह रहा, लेकिन पार्टी के भीतर ये बात चल रही है कि अगर बीजेपी का रवैया यही रहा तो एलजेपी अलग रास्ता ले सकती है.

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पलटी मारेंगे पासवान! उपेंद्र कुशवाहा के बाद ये हैं NDA से LJP के अलग होने के संकेत, जानें सियासी गणित
लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में हलचल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) का मैदान सजने लगा है और अब पार्टियां अपनी-अपनी सियासी गणित का समीकरण ठीक करने में जुट गई हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक ओर जहां विपक्ष एक होकर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की कवायदों में जुटा है, वहीं एनडीए को एक बाद एक झटके मिल रहे हैं. बिहार में एनडीए के प्रमुख घटक दलों में से एक यानी उपेंद्र कुशवाहा  (Upendra Kushwaha) की पार्टी रालोसपा (RLSP) ने झटका दे दिया है और अब राजद के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार है. वहीं चुनावी मौसम वैज्ञानिक के तौर पर सियासी गलियारों में मशहूर रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) भी अब सियासी गुना-गणित लगाने में जुट गए हैं और सूत्रों की मानें तो लोजपा भी बीजेपी को झटका दे सकती है. यही वजह है कि उनकी पार्टी ने भी अब एनडीए में बीजेपी से प्रेशर पॉलिटिक्स करना शुरू कर दिया है. दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने के बाद लोजपा ने भी अपने बगावती सुर दिखा दिया है. सूत्रों की मानें तो रामविलास पासवान के बेटे और सासंद चिराग पासवान ने बीजेपी को स्पष्ट तौर पर किसानों और गरीबों के लिए कुछ करने को लेकर अल्टीमेटम दिया है और मुद्दों की राजनीतिक करने को कहा है. 

NDA से अलग होने के बाद महागठबंधन का दामन थामेंगे कुशवाहा! आज हो सकता है ऐलान
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 से पहले एनडीए (NDA) के घटल दलों के बीच का मनमुटाव सामने आने लगा है. सूत्रों के अनुसार लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने बीजेपी (BJP) को अल्टीमेटम देते हुए किसान और गरीबों के लिए कुछ करने को कहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार सप्ताह भर के भीतर कोई फैसला नहीं लेती है तो उनकी पार्टी एनडीए (NDA) से अलग होने पर विचार कर सकती है. इतना ही नहीं, चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जो ट्वीट किया है, उससे भी सियासी गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. 

अब पासवान की पार्टी की BJP से नई मांग- हमें झारखंड और यूपी में भी सीट दें, वहां भी है हमारा वोटबैंक

अगर यह कहा जाए कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा (RLSP) के NDA से अगल होने के बाद राजग में एक और फूट के संकेत दिख रहे हैं, तो कतई गलत नहीं होगा. क्योंकि चिराग पासवान ने खुद कहा है कि उन्होंने मंगलवार को जो ट्वीट किया है, वह काफी सोच समझकर किया है. दरअसल, सम्मानजनक सीटों को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान  ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि टीडीपी और रालोसपा के एनडीए से जाने के बाद अब एनडीए गंठबंधन नाजुक मोड़ से गुजर रहा है. ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में फ़िलहाल बचे हुए साथियों की चिंताओं को समय रहते सम्मान पूर्वक तरीक़े से दूर करे.

चिराग पासवान ने BJP को चेताया तो उपेंद्र कुशवाहा बोले- हम तो NDA से बाहर आ गए, आप भी आ जाइए

चिराग पासवान ने एक और ट्वीट कर स्पष्ट कर दिया कि एनडीए में बीजेपी और उनकी पार्टी के बीच खींचतान की वजह सीट शेयरिंग ही है. क्योंकि चिराग पासवान ने ट्वीट में कहा कि सीटों को लेकर अभी तक कोई ठोस बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने ट्वीट किया- गठबंधन की सीटों को लेकर कई बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओ से मुलाक़ात हुई परंतु अभी तक कुछ ठोस बात आगे नहीं बढ़ पायी है. इस विषय पर समय रहते बात नहीं बनी तो इससे नुक़सान भी हो सकता है.'

कुशवाहा के बाद NDA में एक और फूट के संकेत, सीटों को लेकर अब लोजपा ने BJP को दी यह चेतावनी!

इसके अलावा, बिहार एनडीए में खींचतान को इससे भी समझा जा सकता है कि रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ने भाजपा से मांग की है कि उन्हें झारखंड और यूपी में सीटें दी जाएं. पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने कहा 'हम लोग वही मांग रहे है जिन पर हमारा अधिकार है. हम लोग एनडीए के ईमानदार पार्टनर हैं. हम उतनी ही सीटें मांग रहे हैं, जितनी पर साल 2014 में चुनाव लड़े थे. हमें झारखंड और उत्तर प्रदेश में सीटें चाहिएं, क्योंकि हमारा वोटबैंक इन राज्यों में भी है. समय निकला जा रहा है. हम चाह रहे हैं कि अमित शाह इस पर 31 दिसंबर तक फैसला करें. हम चाहते हैं कि भाजपा गठबंधन की पवित्रता बनाए रखे.'

हालांकि, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी चाहते हैं कि लोजपा एनडीए से अलग हो जाए और उनके साथ महागठबंधन का हिस्सा हो जाए. हालांकि, ऐसी खबर है कि कुशवाहा आज दिल्ली में महागठबंधन में शामिल होने के फैसले का ऐलान कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि राजद नेता तेजस्वी यादव, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी और कांग्रेस के एक प्रतिनिधि की मौजूदगी में एक प्रेस कांफ्रेंस कर कुशवाहा महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं. विपक्षी नेता शरद यादव भी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.

बुधवार को लोजपा को रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए से अलग होने की सलाह दी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने चिराग पासवान को सलाह देते हुए कहा है, 'लोक जनशक्ति पार्टी को जल्द से जल्द एनडीए गठबंधन से अलग हो जाना चाहिए. ये लोग छोटी पार्टियों को बर्बाद कर देते हैं. हम तो बाहर आ गए. अच्छी बात यह है कि यह बात लोजपा को भी समझ आ रही है.'

क्या था पिछले चुनाव में सीटों का गणित:
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने 22 सीटें जीती थीं. वहीं केंद्रीय मंत्री रामविलास की पार्टी लोजपा 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 6 सीटों पर उसकी जीत हुई थी. इसके अलावा, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा की पार्टी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों सीटें अपने नाम की थी. 

रालोसपा और जदयू का वोट गणित:
एनडीए से रालोसपा के अलग होने से बिहार की सियासत में काफीप असर पड़ने का अनुमान है. बिहार में एक ही वोट बैंक के अब दो अलग-अलग पार्टियों के नेता आमने सामने होंगे. नीतीश कुमार और कुशवाहा दोनों ही एक ही आधार वोट बैंक के नेता माने जाते रहे हैं. हालांकि, नीतीश कुमार की पकड़ कुशवाहा से अधिक मानी जाती है. हालांकि, दोनों नेता अलग-अलग जातियों से आते हैं और सियासत में अलग-अलग जातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा जिस जाति से आते हैं, बिहार में उसकी संख्या करीब 10 फीसदी है. यानी उनकी पार्टी का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा बिहार में 10 फीसदी कुशवाहा जाति के वोट बॉस हैं. वहीं, नीतीश कुमार जिस जाति के नेता माने जाते हैं, बिहार में उस कुर्मी समुदाय की संख्या करीब 4 फीसदी है.

पासवान और उनका जातीय समीकरण:
वहीं, रामविलास पासवान और उनकी पार्टी के रूप में एनडीए के पास बिहार में बड़ा दलित चेहरा है. अगर रामविलास पासवान की पार्टी भी एनडीए से अलग हो जाती है तो इसका काफी असर पड़ेगा और एनडीए पूरी तरह से कमजोर हो सकती है. क्योंकि बिहार में बीजेपी और एनडीए के पास कोई दलित चेहरा नहीं होगा. रामविलास पासवान जिस जाति से आते हैं, बिहार में अनुसूचित जातियों में उसका वर्चस्व अब दिखने लगा है. बिहार में संख्या, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से रामविलास पासवान की जाति दुषाध अथवा पासवान दलितों की 22 उपजातियों में सबसे ताक़तवर मानी जाती है. बिहार की कुल आबादी में अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या करीब 17-18 फीसदी है और इन अनुसूचित जातियों में पासवान जाति के वोटरों की संख्या लगभग 5-7 फीसदी है. वहीं, राजद के साथ दलितों का एक और चेहरे के रूप में जीतनराम मांझी है. इसलिए अगर एनडीए में टूट होती है तो परिणाम भी कुछ और हो सकते हैं. 

अब क्या हैं सवाल?
तो अब सवाल उठता है कि क्या उपेंद्र कुशवाहा के बाद कुछ और छोटे दल एनडीए के भीतर घुटन महसूस कर रहे हैं? क्या लोक जनशक्ति पार्टी भी अब एनडीए से अलग होने की सोच रही है? खुल कर कोई कुछ नहीं कह रहा, लेकिन पार्टी के भीतर ये बात चल रही है कि अगर बीजेपी का रवैया यही रहा तो एलजेपी अलग रास्ता ले सकती है. हालांकि, जिस तरह के हालात बीते दिनों से सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि आने वाले  कुछ दिनों में कुछ सियासी हलचल देखने को जरूर मिल सकती हैं. 

VIDEO: मिशन 2019: कुशवाहा के बाद पासवान?

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