साथियों की परीक्षा लेने के लिए अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाना चाहिए : लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

लोकसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब देते हुए कहा,

साथियों की परीक्षा लेने के लिए अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाना चाहिए : लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

लोकसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा का जवाब देते पीएम नरेंद्र मोदी

नई दिल्‍ली:

अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'अविश्वास प्रस्ताव देश के लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक है. उन्‍होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करें. उन्‍होंने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव को लाने की वजह अहंकार है. टीडीपी की तरफ से आया यह प्रस्ताव आया है. कुछ सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. लेकिन एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. प्रधानमंत्री ने कहा, हम सब 30 साल के बाद देश में पूर्ण बहुमत के साथ बनी हुई सरकार के प्रति विश्वास प्रकट करते हैं.

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पीएम मोदी ने कहा, 'वैसे मैं समझता हूं यह एक अच्छा मौका है कि हमें अपनी बात कहने का मौका मिल रहा है. साथ ही देश को यह भी देखने मिल रहा है कि कैसी नकारात्मकता है. कैसे विकास के प्रति विरोध का भाव है. कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर कर रखा हुआ है. और उन सबका चेहरा निखरकर कर बाहर आया है. कइयों के मन में प्रश्न है कि अविश्वास प्रस्ताव आया है. न सदन में बहुमत है. फिर सदन में यह प्रस्ताव आया क्यों. और सरकार को गिराने को इतना ही उतावलापन था तो मैं हैरान था कि इसे 48 घंटे रोकने की बात हो रही थी. चर्चा नहीं हुई तो आसमान फट जाएगा क्या या भूकंप आय जाएगा क्या. चर्चा की तैयारी नहीं थी तो इसे लाए क्यों. इसे टालने की कोशिश इस बात को बताती है कि उनकी क्या कठिनाई थी. 'न मांझी न रहवर न हक में हवाएं है कश्ती भी जरजर यह कैसा सफर है.'

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'यह इसलिए हुआ है कि अहंकार इस प्रकार की प्रवृत्ति करने के लिए खींच कर ले जाता है. मोदी हटाओ. मैं हरान हूं कि आज सुबह भी कि अभी तो चर्चा प्रारंभ हुई थी, जय पराजय का फैसला नहीं हुआ था. जिनको यहां पहुंचने की जल्दी है वह उठो उठो कर रहे थे. न यहां कोई उठा सकता है न बिठा सकता है. सिर्फ सवा सौ करोड़ जनता कर सकती है. लोकतंत्र में जनता पर भरोसा होना, चाहिए इतनी जल्दबाजी क्या है. यह अहंकार ही है कि जो कहता है कि हम खड़े होंगे तो पीएम 15 मिनट भी खड़े नहीं हो पाएंगे. मैं खड़ा भी हूं और जो चार साल काम किया है उसपर अड़ा भी हूं. हमारी सोच उनसे अलग है.'

पीएम मोदी ने कहा, 'डंके की चोट यह कहा जाता है कि 2019 में मोदी को आने नहीं देंगे. लोकतंत्र में जनता जनार्दन भाग्यविधाता होती है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा होना जरूरी है. अगर 2019 में कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनती है तो मैं बनूंगा पीएम. लेकिन दूसरों की ढेर सारी ख्वाहिशें हैं. उनका क्या होगा इस बारे में कंफ्यूजन है. यह सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है, ये तो कांग्रेस और उनके तथाकथित साथियों का फ्लोर टेस्ट है. इस प्रस्ताव के बहाने अपने कुनबे को जमाने की जो कोशिश की है वह कहीं बिखर न जाए, इसकी चिंता बहुत है. एक मोदी को हटाने के लिए ऐसे लोगों को इकट्ठा करने का प्रयास हो रहा है. मेरी कांग्रेस को सलाह है- जब भी आपको संभवित साथियों की परीक्षा लेनी है तो जरूर लीजिए लेकिन कम से कम अविश्वास प्रस्ताव को तो बहाना न बनाइए. जितना अविश्वास आप सरकार पर करते हैं उतना विश्वास अपने साथियों पर तो कीजिए. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास संख्या बल है. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है. अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए देशवासियों के विश्वास पर अविश्वास न करें. बिना तुष्टिकरण, बिना वोट बैंक की राजनीति किए, सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर हम काम करते हैं. पिछले चार वर्ष में उस वर्ग और क्षेत्र में काम किया है.'

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'सबका साथ सबका विकास, इसी मंत्र को लेकर काम करने वाली हमारी सरकार है. हमारी सरकार के कार्यकाल में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंची है. यह काम पहले भी सरकारें कर सकती थीं. लेकिन 18 हजार गांवों में 15 हजार गांव पूर्वी भारत के हैं. और इन 15 में भी 5 हजार गांव पूवोत्तर के हैं. इन इलाकों में हमारे आदिवासी, हमारे गरीब लोग रहते हैं. ये आजादी के बाद से आज तक वंचित हैं. ये लोग इसलिए नहीं करते थे क्योंकि उनका गणित सही नहीं बैठता. उनका इस आबादी पर विश्वास नहीं था. इसी वजह से पूर्वोत्तर को अलग-थलग कर दिया गया. हमने सिर्फ पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि कनेक्टिवी के हर मार्ग पर तेजी से काम किया. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया लेकिन गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे नहीं खोले. यह काम हमने किया. लगभग 32 करोड़ जनधन खाते खोलने का काम हमने किया. आज 80 हजार करोड़ रुपये गरीबों ने बचत करके इन खातों में जमा किया. 8 करोड़ शौचालय बनाने का काम हमने किया. उज्‍ज्‍वला योजना से 4.5 करोड़ महिलाओं को धुआं मुक्त किचन दिया. वो लोग 9 और 12 सिलेंडर में खोए हुए थे. एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे के अनुसार बीते दो वर्षों में 5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए, 20 करोड़ गरीब लोगों को मात्र 90 पैसे प्रतिदन पर बीमा मिला. इनको इन बातों पर भी विश्वास नहीं है. हम किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं. बाजार में व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं. 1999 सीचांई योजनाओं को पूरा करने का काम चल रहा है. लेकिन इसपर भी इनको भरोसा नहीं है. हमनें 15 करोड़ सॉइल हेल्‍थ कार्ड किसानों तक पहुंचाया.'

'हमने पीएम किसान योजना से किसानों को विश्वास दिलाने का काम किया. हमने बीमा का दायरा बढ़ाया. किसानों से जितना लिया गया उन्हें तीन गुना ज्यादा राशि दी गई. एलईडी बल्ब, क्या कारण है कि उनके शासन में यह बल्ब 350 से 400 रुपये में बिकता था. आज यह 40 रुपये में दिया जा रहा है. आज 100 करोड़ एलईडी बल्ब बिक चुके हैं. उनके समय में मोबाइल मैन्यूफैक्चिरंग कंपनियां दो थीं, आज 120 हैं. युवाओं के स्वरोजगार के लिए पहले युवाओं को सर्टिफिकेट दे दिया जाता था. आज 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप चला रहे हैं. एक समय था जब हम डिजिटल लेनदेन की बात करने लगे तो लोग कहने लगे कि हमारा देश अनपढ़ है. जो लोग इस प्रकार से देश की जनता की ताकत को कम आंकते थे उन्हें जनता ने जवाब दिया. अकेले डी मैट और मोबाइल से 40 हजार करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ.'

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'मेक इन इंडिया या जीएसटी पर भी इनका भरोसा नहीं है. भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की अर्थव्यस्था को बल दिया है. भारत आज दुनिया की 6 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में है. हमने काले धन के खिलाफ लड़ाई छेड़ी. यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है. इसके कारण कैसे-कैसे लोगों को परेशानी हो रही है. हमनें टेक्नोलॉजी का उपयोग किया. इसके माध्यम से सरकारी खजाने से निकलने वाले 90 हजार करोड़ रुपये को कहीं और जाने से रोका. ढाई लाख से ज्यादा शेल कंपनियों को ताला गया. 2 लाख कंपनियों पर कभी भी ताला लग सकता है. क्योंकि इसको पहले की सरकार ने पनपाया था. बेनामी संपत्ति का कानून सरकार ने पारित किया. 20 साल तक इसे रोका गया था क्यों, किसको बताना चाहते थे. अभी तक 4.5 हाजर करोड़ की संपत्ति जब्त की गई. देश और दुनिया को विश्वास है लेकिन जो खुदपर विश्वास नहीं कर सकते हैं वह हमपर कैसे करेंगे. इस प्रकार के मानसिकता वालों के लिए हमारे शास्त्रों में कहा गया- जब तक पक्षी के मुंह में बारिश की बूंद सीधे नहीं गिरती तो इसमें बारिश का क्या दोष. कांग्रेस को खुदपर अविश्वास है. अविश्वास उनकी कार्यशैली का हिस्सा है. उनको विश्वास नहीं है स्वच्‍छ भारत, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, आरबीआई पर विश्वास नहीं, सीजेआई पर भी विश्वास नहीं. देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कैसे हो रहा विश्वास नहीं. इनको ईवीएम पर भरोसा नहीं, चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं. यह अविश्वास क्यों बढ़ गया है. क्योंकि कुछ मुट्ठी भर लोग यह मानते थे कि यह सिर्फ उनका अधिकार है और यह जनअधिकार बनने लगा तो उन्हें तकलीफ हुई. भ्रष्टाचार पर हमला हुआ तो उनकी बेचैनी बढ़ी. भ्रष्टाचार की कमाई रुकी तो तकलीफ बढ़ी.'

मैं चाहता हूं कि शिव आपको इनती शक्ति दें कि आप 2024 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं. मेरी आपको शुभकामनाएं हैं. यहां पर डोकलाम की चर्चा की गई. जिस विषय की जानकारी नहीं है, कभी-कभी उसपर बोलना महंगा पड़ जाता है. ऐसे विषयों पर बोलने से पहले समझना चाहए. जब सारा देश सारा तंत्र सारी सरकार एक जुट होकर डोकलाम के विषय को लेकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थी. तब वह चीन के राजदूत के साथ बैठ रहे थे. और बाद में कभी ना तो कभी हां. जैसे फिल्मी अंदाज में चल रहा है. कोई कहता था मिले कोई कहता नहीं मिले. कांग्रेस प्रवक्ता ने साफ मना कर दिया था कि उनके उपाध्यक्ष चीनी राजदूत से नहीं मिले थे. फिर कांग्रेस ने माना कि मुलाकात हुई थी. क्या देश और देश के विषयों पर गंभीरता नहीं होती क्या. क्या हर जगह पर बचकानी हरकत करेंगे क्या. यहां पर राफेल विवाद को छेड़ा गया. मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं कि सत्य को इस प्रकार से रौंदा जा सकता है. देश को गुमराह करने का काम किया जा रहा. यह देश की सुरक्षा से जुड़े विषय हैं. यह दुखद है कि इस सदन में लगाए आरोपों पर दोनों देशों को बयान जारी करना पड़ा. क्या ऐसी बचकानी हरकत हम करते रहेंगे. बिना किसी सबूत के कोई ऐसा कैसे बोल सकता है.

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मैं देशवासियों को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि यह समझौता दो देशों के बीच हुआ है और पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है. राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बचकाना बयानों से बचा जाए. आज भी हिन्दुस्तान का हर सिपाही जो सीमा पर होगा, उसको इतनी चोट पहुंची होगी जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं. आप सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कहते हैं, यह देश बर्दाश्त नहीं करेगा. गाली देना है तो मुझे दीजिए, देश के जवानों को गाली देना बंद कीजिए. सेना को अपमानित करने का काम गलत है. पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा यह अविश्वास, यह कांग्रेस की फितरत है. कांग्रेस ने देश में अस्थिरता फैलने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का दुरुपयोग किया. इस प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद बयान दिया गया कि कौन कहता है हमारे पास नंबर नहीं है. 1998 याद कीजिए जब राष्ट्रपति भवन के सामने खड़े होकर दावा किया गया था कि हमारे पास 272 की संख्या है. और अटल जी की सरकार को सिर्फ एक वोट से गिरा दिया गया. फिर 272 की संख्या का दावा खोखला निकला. आखिर स्थिर जनादेश अस्थिर करने के लिए खेल खेले जा रहे हैं, राजनीतिक अस्थिरता के द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना कांग्रेस की प्रवृति रही है.

कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह का भी अपमान किया. चंद्रशेखर के साथ भी ऐसा ही किया. पहले संयोग की रस्सी फेंको फिर धोखे से उसे वापस खींचो. यही फॉर्मूला 1997 में अपनाया गया. पहले देवेगौड़ा जी को, फिर इंद्र कुमार गुजराल जी की बारी आई. कांग्रेस ने इन लोगों के साथ क्या किया कौन भूल सकता है. कैसे कांग्रेस ने अपनी सरकार बचाने के लिए दो-दो बार विश्वास को खरीदने का प्रयास किया. वोट के बदले नोट यह खेल कौन नहीं जानता है. आज यहां एक बात कही गई, यहां पूछा गया प्रधानमंत्री अपनी आंख में मेरी आंख भी नहीं डाल सकते. सही कहा- हम कौन होते हैं जो आपकी आंख में आंख डाल सकें. मैं तो गरीब मां का बेटा हूं, गांव से आया, पिछड़ी जाति से आता हूं. आप नामदार हम कामदार हैं. इतिहास गवाह है. जेपी ने यह कोशिश की तो क्या किया गया, सुभाषचंद्र बोस, चौधरी चरण सिंह, सरदार बल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की, प्रणब मुखर्जी ने यह कोशिश की, शरद पवार ने भी यह कोशिश की थी तो क्या किया गया. आंख में आंख डालने वालों को कैसे अपमानित किया जाता है, इसका इतिहास नया नहीं है. हम तो कामदार हैं तो हम नामदार से आंख कैसे मिला सकते हैं. आंखों की बात करने वालों के आंखों की हरकत आज पूरा देश देख रहा है. लेकिन आंख में आंख डालकर आज सत्य को कुचला गया है. यहां कहा गया कांग्रेस ही थी जीएसटी में पेट्रोलियम को क्यों नहीं लाई. अपने परिवार के बाहर भी कांग्रेस सरकार का इतिहास है. जब यूपीए सरकार ने ही पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने का निर्णय किया था. आज यहां ये भी कहा गया कि आप चौकीदार नहीं आप भागीदार हैं. मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि हम चौकीदार भी हैं भागीदार भी हैं लेकिन आपकी तरह ठेकेदार नहीं हैं. हम गरीब और किसानों के चौकीदार हैं. हम भागीदार हैं विकास के. हम देश को विकास को नई राह पर ले जाने वाले भागीदार हैं. उनके दुख को बांटना हमारी जिम्मेदारी है. हमें गर्व है इस बात पर.

कांग्रेस का एक ही मंत्र है, या तो हम रहेंगे और हम नहीं तो फिर अस्थिरता रहेगी. अफवाहें उड़ाई जाती हैं, झूठ फैलाया जाता है. आरक्षण खत्म हो जाएगा, दलितों पर अत्याचार वाला कानून खत्म किया जाएगा. यह सब देश को हिंसा में झोंकने के लिए किया जा रहा है. यह लोग दलित, गरीबों और पिछड़ों को ब्लैकमेल करके राजनीति करते हैं. यह लोग सिर्फ चुनाव जीतने के शॉर्ट कट ढूंढ रहे हैं. बार-बार अंबेडकर की राजनीति का मजाक उड़ाने वाला आज उनका गीत गाने लगे हैं. ये लोग हमें लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने की बात करते हैं. जो मुख्यमंत्री पसंद नहीं आता था उसे हटाने. 1991, 1998, 1999 में देश को समय से पहले चुनाव में घसीटा गया. लोकतंत्र को दांव पर भी लगाया गया. स्वभाविक है जिसके अंदर इतना अहंकार भरा है उन्हें हमारा यहां बैठना कैसे गंवारा हो सकता है. कांग्रेस पार्टी जमीन से कट चुकी है, और वो तो डूबे हैं लेकिन उनके साथ जाने वाले भी डूब रहे हैं. कांग्रेस पार्टी अलग-अलग राज्यों में क्यों और कैसे कमजोर हो गई, मैं एक ऐसे राज्य से आता हूं जहां इस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो गया है. क्यों कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पाई कि सत्ता अब ऊपर के लोगों से निचले तबके के पास पहुंच चुकी है.

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'कांग्रेस पार्टी अलग-अलग राज्यों में क्यों और कैसे कमजोर हो गई, मैं एक ऐसे राज्य से आता हूं जहां इस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो गया है. क्यों कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पाई कि सत्ता अब ऊपर के लोगों से निचले तबके के पास पहुंच चुकी है.' यह कोट 19 अप्रैल 1997 का है. यह श्रीमान चिदंबरम जी का वाक्य है. कुछ विद्वान लोगों को बातें शायद समझ नहीं आई होंगी. 18 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने तीन राज्यों का गठन किया. न कोई खींचातान न कोई झगड़ा, मिल बैठकर के रास्ते निकाले और तीनों राज्य बहुत तेजी से प्रगति कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक लाभ पाने के लिए आंध्र के लोगों को विश्वास में लिए बगैर आपने आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया. यह बात सही है कि मैंने यह कहा था कि तेलगु हमारी मां है तेलगु के स्पिरिट को टूटने नहीं देना चाहिए. उन्होंने मां को मार दिया लेकिन बच्चे को बचा लिया. लेकिन 2014 में आपका क्या हाल हुआ कि जनता ने आपको न ये दिया न वो. आपके लिए यह नया नहीं है. आपने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया. आपने इनका भी ऐसी ही विभाजन किया. मुझे बराबर याद है कि चंद्रबाबू का और केसीआर का पहले साल बंटवारे को लेकर झगड़े होते थे. उस समय टीडीपी की पूरी ताकत तेलंगाना के खिलाफ लगाए रहते थे. और टीआरएस ने गंभीरता दिखाई. उधर क्या हाल हुआ आप जानते हैं. संसाधनों का विवाद आज भी चल रहा है. एनडीए की सरकार ने सुनिश्चित किया कि आंध्र और तेलंगाना के विकास में कोई कमी नहीं आनी चाहिए.

आंध्र के लिए हमने अलग से कैटेगरी बनाई ताकि उसे वही फायदा मिले जो स्पेशल राज्य को मिलता है. सराकर 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से बंधी हुई है. स्पेशल असिस्टेंट पैकेज के तहत आंध्र को फायदा पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. टीडीपी जब एनडीए से निकली तो मैंने चंद्रबाबू से बात की थी. मैंने कहा था कि चंद्रबाबू, आप वाईएसआर के जाल में फंस रहे हो. और मैंने कहा वहां की स्पर्धा में आप किसी हालत में बच नहीं पाओगे. उनके झगड़े में उपयोग सदन का किया जा रहा है. आंध्र की जनता इस घनघोर अवसरवाद को देख रही है. कोई भी पैकेज देते हैं तो उसका प्रभाव दूसरे राज्य पर भी पड़ता है. इसी सदन में तीन साल पहले मोइली ने कहा था कि आप किसी तरह से असमान्यता फैला सकते हैं राज्यों के बीच. मैं आज आंध्र के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि चाहे किसान का काम हो या राजधानी का, केंद्र सरकार आंध्र की जनता के साथ है. आंध्र का भला हो उसी में देश का भला होगा. हम विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. हमारा प्रयास हमारा काम करने का तरीका समस्याओं को सुधारने का है. वन रैंक वन पेंशन कौन थे जिसने इतने दशकों तक लटका कर रखा था. जीएसटी भी किसने रोका रखा था. यहा कहा गया था कि गुजरात की सरकार ने जीएसटी को रोका था. मैंने उस समय कहा था कि राज्यों की बात को सुलझाए बगैर आप इसे लागू नहीं कर पाएंगे. वह अपने अहंकार में राज्यों की बात सुनने को राजी नहीं थे.

शुक्रवार को लोकसभा में केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा शुरू हुई. एनडीए के पूर्व सहयोगी और सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देकर राज्य को 'धोखा देने' का आरोप लगाया. तेदेपा ने कहा कि वह 'नैतकिता और बहुमत' के बीच की लड़ाई लड़ रही है. लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए तेदेपा के सदस्य जयदेव गल्ला ने कहा कि 2014 में आंध्र प्रदेश के 'अवैज्ञानिक विभाजन' के बाद से राज्य के साथ न्याय नहीं किया गया. गल्ला ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, माकपा और एआईएमआईएम को प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया.

जब राहुल गांधी के भाषण पर सदन में लगे ठहाके...

वहीं चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद राकेश सिंह कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिशा देते हुए कहा कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार गरीबों का है. पिछले 60-70 वर्षों में गरीबी हटाओ के नारे तो खूब लगे लेकिन यह सच है कि गरीबी नहीं बल्कि गरीबों को ही समाज की मुख्य धारा से हटना पड़ा.' उन्‍होंने कहा, कांग्रेस ने इस देश को दागदार सरकार दी है और हमने साफ़ सुथरी दमदार सरकार दी है. राकेश सिंह ने कहा कि देश के लगभग 415 जिलों के लगभग 4 लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं. आज प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में स्वच्छता को एक नया आयाम दिया गया है जो धीरे-धीरे भारतीयों के स्वाभिमान और अभिमान का हिस्सा बन रहा है.

लोकसभा में राहुल गांधी ने PM मोदी पर राफेल, JIO, MSP को लेकर किए ये 15 वार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में केंद्र सरकार पर देश की जनता से किये वादे पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब देने की मांग की. राहुल ने कहा, हर बैंक में 15 लाख जुमला स्ट्राइक नंबर 1 है और पीएम के शब्द का मतलब होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि 2 करोड़ रोजगार जुमला स्ट्राइक नंबर 2 है. कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा, 'सूरत के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने सबसे जबरदस्त चोट हमें मारी है और आज हिन्दुस्तान में बेरोज़गारी 7 साल में सबसे ज्यादा है.' उन्‍होंने कहा, 'जो छोटे-छोटे दुकानदारों के दिल में है, किसानों के दिल में है वो प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंचता. कांग्रेस जीएसटी लेकर आयी थी और गुजरात के मुख्यमंत्री ने विरोध किया था. हम चाहते थे पेट्रोल और डीजल जीएसटी में हो.' राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उनसे कहा है कि राफेल जेट विमान पर भारत के साथ उनका कोई भी गोपनीय समझौता नहीं हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में देश से झूठ बोला है. राहुल ने लोकसभा में सत्ता पक्ष पर जोरदार हमला करते हुए कहा, "मैंने व्यक्तिगत तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे पूछा कि क्या भारत के साथ कोई गोपनीय समझौता हुआ है. उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसा कोई भी गोपनीय समझौता दोनों देश के बीच नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा कहना में कोई हिचक नहीं है और मैं ऐसा देश को बता सकता हूं."

VIDEO: बड़े बिजनेसमैन के लिए पीएम मोदी सबकुछ करते हैं, मगर गरीबों के लिए नहीं: राहुल गांधी

शिरोमणि अकाली दल की नेता तथा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दिए गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण को लेकर NDTV से बात करते हुए कहा, "पप्पू जी, अगर आप 'मुन्नाभाई' बनना चाहते हैं, तो मुंबई जाएं... 'पप्पी-झप्पी' की राजनीति पिक्चरों में होती है, पार्लियामेंट में नहीं... मैंने भाषण के बाद राहुल से पूछा कि आज कौन-सा नशा करके आए हो, वह मेरी बात नहीं समझे..."

...जब 15 साल पहले अटल सरकार के खिलाफ लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव

अविश्‍वास प्रस्‍ताव के पक्ष में बोलते हुए समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने एक काम नहीं किया और बीजेपी के लोग भी दुखी हैं. उन्‍होंने कहा कि खाद, बीज, सिंचाई सब महंगी हो गई. किसान संपन्न होगा, तो देश संपन्न होगा. मुलायम सिंह यादव ने कहा, "कोई भी ऐसा शख्स नहीं है, जो उदास नहीं है... यहां तक कि BJP के लोग भी उदास हैं... उनका कहना है, हमारा करियर बर्बाद हो गया... PM ने जो भी वादे किए थे - 15 लाख रुपये, दो करोड़ रोज़गार, कितनों की लिस्ट बनाएं - उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया..."

राहुल गांधी ने पीएम मोदी को दी जादू की झप्‍पी, सोशल मीडिया पर आया Jokes का 'भूकंप'

लोकसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, कांग्रेस ने लंबे समय तक सरकार चलाई है. आज जीडीपी ऊपर और महंगाई दर नीचे है. 10 साल हम कभी अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं लाए. मनमोहन सिंह के खिलाफ कभी अविश्‍वास प्रस्‍ताव नहीं लाए. नोटबंदी के बाद यूपी में पहले चुनाव में जीत मिली.' केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, राहुल गांधी ने लोकसभा में 'चिपको आंदोलन' शुरू किया. उन्‍होंने कहा, 'BJP के पास स्पष्ट बहुमत है, और कई दलों को मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा.' उन्‍होंने कहा कि सरकार के पास जनता का समर्थन है, इसलिए उसे चलने देना चाहिए. इसी वजह से हमने डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान कभी अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश नहीं की.


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