दलितों के भारत बंद के दौरान कई राज्यों में हिंसा; 9 लोगों की मौत, हजारों हिरासत में

अधिकारियों के मुताबिक अकेले मध्य प्रदेश में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई गोलीबारी में कम-से-कम छह लोगों की मौत हो गयी. उत्तर प्रदेश में दो और राजस्थान से एक व्यक्ति की मौत की खबर मिली है.

दलितों के भारत बंद के दौरान कई राज्यों में हिंसा; 9 लोगों की मौत, हजारों हिरासत में

नई दिल्‍ली:

20 मार्च को SC/ST Act पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था. इस फैसले में दलितों के खिलाफ अपराधों के मामले में ज़मानत और अग्रिम ज़मानत का प्रावधान किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा स्वरूप में इस कानून का दुरूपयोग हो रहा है. इसी फैसले के खिलाफ कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था जिसे कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिला. इस बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिला. ना सिर्फ बाज़ार बंद नज़र आए बल्कि रेल सेवा भी काफी प्रभावित हुई. कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारी हिंसक भी हो उठे. वाहनों में तोड़-फोड़ और आगज़नी की घटनाएं भी हुई हैं. हिंसा की घटनाएं पंजाब, राजस्थान, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुई हैं. इस हिेंसा में 9 लोगों की जान चली गई है. इनमें से सबसे ज्‍यादा 6 लोगों की मौत मध्‍य प्रदेश में हुई है जबकि उत्तर प्रदेश में 2 और राजस्‍थान में एक व्‍यक्ति की मौत हुई है. वहीं सैकड़ों की संख्‍या में लोग घायल हुए हैं.

अधिकारियों के मुताबिक अकेले मध्य प्रदेश में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई गोलीबारी में कम-से-कम छह लोगों की मौत हो गयी. उत्तर प्रदेश में दो और राजस्थान से एक व्यक्ति की मौत की खबर मिली है. देश में कई स्थानों पर कर्फ्यू लागू कर दिया गया और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया. पंजाब में सेना और अर्धसैनिक बलों को तैयार रखा गया था.

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कदम उठाने और कानून-व्यवस्था बनाये रखने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 800 दंगारोधी पुलिसकर्मियों को भेजा है. कई राज्यों में परिवहन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं के साथ कम-से-कम 100 रेलगाड़ियों का परिचालन प्रभावित हुआ.

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वहीं, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से एससी/एसटी कानून पर दिये गए अपने हालिया फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया है. सरकार का कहना है कि शीर्ष न्यायालय के फैसले से इस समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा.

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब सहित अन्य स्थानों पर आगजनी, गोलीबारी और तोड़फोड़ की खबरों के बीच कई राज्यों ने बंद के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया था और संचार एवं रेल समेत परिवहन सेवाएं अस्थायी तौर पर रोक दी थीं. अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य जख्मी हो गए.

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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक व्यक्ति की मौत हो गयी, जबकि मेरठ में एक व्यक्ति हिंसा का शिकार बन गया. राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 40 पुलिसकर्मियों सहित करीब 75 लोग जख्मी हो गए. पुलिस ने वहां करीब 450 लोगों को हिरासत में लिया है. राजस्थान के अलवर में प्रदर्शन के हिंसक रूप ले लेने से एक व्यक्ति की मौत हो गयी और नौ पुलिसकर्मियों सहित 26 अन्य जख्मी हो गए.

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इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शांति की अपील की है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में कोई पक्षकार नहीं है और वह इस फैसले के पीछे दिये गये तर्क से ‘ससम्मान’ असहमत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले पर एक समग्र पुनर्विचार याचिका भी दायर की है. केंद्रीय मंत्री और महत्वपूर्ण दलित नेता एवं राजग के सहयोगी लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने याचिका दायर करने का शीघ्र निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की.

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वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि राजग के 2014 में सत्ता में आने के बाद दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हुई है. आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रदर्शनकारी समूहों के प्रति अपने समर्थन का ऐलान किया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शांति बनाए रखने तथा कानून व्यवस्था नहीं बिगाड़ने की अपील की क्योंकि आजमगढ़ समेत कई जिलों से हिंसा की खबरें आयी. आजमगढ़ में प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की दो बसें जला दीं जिससे कई यात्री घायल हो गये. आगरा, हापुड़ और मेरठ में प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने बताया, ‘‘हमने केंद्र से और बल मांगा है जिसे वहां तैनात किया जाएगा. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं जो नियंत्रण में है.’’

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राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस सहित कई प्रमुख ट्रेनों को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया जबकि कुछ ट्रेनों की यात्रा को निर्धारित गंतव्यों से पहले ही समाप्त कर दिया गया. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि हापुड़ स्टेशन पर करीब 2000 लोगों ने ट्रेनों के परिचालन में बाधा पहुंचाई तथा कई मालगाड़ियां बाधित कीं.

सीबीएसई ने पंजाब सरकार के अनुरोध पर राज्य में 12वीं और 10वीं की परीक्षाएं पहले ही स्थगित कर दिया था. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पटरियों पर आ गए और देहरादून एक्सप्रेस और रांची राजधानी सहित कई ट्रेनों को रोक दिया. उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने गाजियाबाद में ट्रेनों के परिचालन को बाधित किया. पुलिस ने बताया कि ‘जय भीम’ के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरूद्ध किया जिससे वाहन यातायात प्रभावित हुए. प्रदर्शनकारियों के मार्च का असर लुटियंस दिल्ली में भी देखने को मिला. प्रदर्शनकारियों ने मंडी हाउस पर एकत्रित होकर उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कथित उत्पीड़न के मामलों में स्वत: गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने पर रोक लगाई गई है. प्रदर्शनकारियों ने मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन के बाहर सड़क जाम कर दी जिससे यातायात थम गया और आईटीओ व यहां से होकर जाने वाले अन्य मार्गों के यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों को देखते हुए मंडी हाउस में भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया था. पुलिस ने पटेल चौक से जंतर मंतर जाने वाले संसद मार्ग पर भी यातायात बंद कर दिया.

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दलितों ने पंजाब के जालंधर, पटियाला, होशियारपुर, रोपड़, बठिंडा, फिरोजपुर, कपूरथला, और फगवाड़ा में प्रदर्शन किए. हरियाणा के पंचकूला, अंबाला, कैथल, हिसार, रोहतक, यमुनानगर, फरीदाबाद तथा गुरूग्राम और चंडीगढ़ में प्रदर्शन किए. इस दौरान दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही बहुत कम रही.

दिल्ली और लाहौर के बीच चलने वाली भारत-पाक बस सेवा सदाए सरहद भी बाधित रही. लाहौर जाने वाली बस को श्रीहिंद में रोका गया और दिल्ली जा रही बस को अमृतसर में. पुलिस ने बताया कि बाद में बसें गंतव्य की ओर रवाना होंगी.

राजस्थान में पुलिस सूत्रों के अनुसार जयपुर, अजमेर, बाड़मेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, उदयपुर, सीकर में बंद समर्थकों और पुलिस में हल्की झड़प हुई. जयपुर में टोंक रोड पर बंद समर्थकों ने कुछ वाहनों के शीशे तोड़ दिये और दुकानों में तोड़फोड़ की और गांधी नगर रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी को रोकने की सूचना है. बंद समर्थकों ने अजमेर में भी दुकानें बंद करवाने को लेकर तोड़फोड़ की और वाहनों को नुकसान पहुंचाया. जयपुर, अलवर, कोटा, बीकानेर, दौसा, अजमेर, सीकर सहित कई स्थानों पर बंद समर्थकों ने दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान जबरन बंद करवाये. दुकानदारों और बंद समर्थकों में झड़प भी हुई. जयपुर मेट्रो का संचालन मध्याह्न तक के लिए रोक दिया गया है.

बिहार में प्रदर्शनकारी पटना जंक्शन पर पहुंचे और उन्होंने वहां टिकट बिक्री काउंटर बंद करवा दिये. वे रेलमार्ग पर धरने पर बैठ गये जिसे कई ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई. ओडिशा के भी कई हिस्सों में जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित रहा. संबलपुर में आदिवासी दलित सेना के कार्यकर्ताओं ने खेत्राजपुर स्टेशन पर रेल रोको धरना दिया जिससे कुछ ट्रेनों के परिचालन में देरी हुई.

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गुजरात के कई बड़े शहरों और नगरों में दलितों ने अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम को कथित तौर पर कमजोर किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कुछ बसों को निशाना बनाए जाने के बाद शहर की सरकारी परिवहन सेवाओं को रोक दिया गया. एक अधिकारी ने बताया कि जामनगर शहर में भीड़ ने एक बस डिपो में रखे हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर फाड़े. भीड़ ने डिपो और उसके आस-पास कई दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

रांची से प्राप्त खबरों के अनुसार, दलित संगठनों के बंद का प्रभाव झारखंड पर पड़ा. ज्यादातर दुकानदारों ने हिंसा की आशंका से अपनी अपनी दुकान पहले ही बंद कर दी थी. जमशेदपुर के बाहरी इलाके पलासबोनी में प्रदर्शनकारियों ने तड़के सामानों से लदे एक ट्रक को फूंक दिया. पुलिस उपाधीक्षक (कंपोजिट कंट्रोल रूम) सुधीर कुमार के अनुसार, शहर के विभिन्न भागों से 652 लोग हिरासत में लिये गये हैं.

बंद के दौरान राजधानी रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों बिलासपुर, रायगढ़ में दुकानें बंद रही. वहीं कुछ स्कूलों में बच्चों को छुट्टी दे दी गई थी. रायपुर के अंबेडकर चौक में बंद समर्थकों ने सड़क को जाम कर दिया था जिससे यातायात में परेशानी हुई.

(इनपुट भाषा से...)


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