मोदी सरकार पर बरसे पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा, कहा- बोफोर्स से बड़ा है राफेल घोटाला

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि घोटाले के मामले में राफेल के मुकाबले बोफ़ोर्स कुछ नहीं था, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा

मोदी सरकार पर बरसे पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा, कहा- बोफोर्स से बड़ा है राफेल घोटाला

दिल्ली में प्रेस से बात करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा.

खास बातें

  • अनिल अंबानी ने राफेल मुद्दे न उठाने के लिए शौरी को चिट्ठी लिखी
  • यशवंत सिन्हा ने कहा- इस मामले की CAG तीन महीने में समयबद्ध जांच करे
  • वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा यह क्रिमिनल मिसकंडक्ट का मामला
नई दिल्ली:

राफेल डील में कथित घोटाले के मामले को लेकर आज पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. अरुण शौरी ने कहा है कि फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे में बड़ा घोटाला हुआ है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि उन्हें कल रात में अनिल अंबानी ने इस मुद्दे को न उठाने के लिए चिट्ठी लिखी है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान राफेल विमान की खरीद की जो डील की गई वह बिल्कुल नई डील थी. किसी नई डील के लिए नए सिरे से टेंडर होना चाहिए था. इसके साझा घोषणापत्र में भी किसी नए उपकरण या हथियार लगाए जाने का ज़िक्र नहीं था. सेम कॉन्फिगरेशन के हथियार का ज़िक्र था जिसे एयरफ़ोर्स पहले टेस्ट कर अप्रूव कर चुका था. इसका कॉन्ट्रेक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी को दे दिया गया जिसको डिफ़ेंस का कोई अनुभव नहीं था और कंपनी 10 दिन पहले बनाई गई थी.

शौरी ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन कहती है कि हर ऑफ़सेट कॉन्ट्रेक्ट चाहे वह जिस भी क़ीमत का हो, रक्षा मंत्री की मंज़ूरी से होगा. सरकार झूठ बोल रही है कि रिलायंस को कॉन्ट्रेक्ट डेसाल्ट ने दिया. कीमत का खुलासा न करने का तर्क भी बेकार है. सरकार के रक्षा राज्यमंत्री खुद लोकसभा में कीमत बता चुके हैं- 670 करोड़ प्रति विमान जिसमें सब कुछ शामिल है. इस क़ीमत में हथियार से लेकर ट्रांसफर ऑफ टेक शामिल है. रिलायंस और डेसाल्ट ने भी खुद एक साल पहले कीमत बताई थी, 1000 करोड़ प्रति विमान से ज़्यादा. शौरी ने कहा कि घोटाले के संदर्भ में राफेल के मुकाबले बोफ़ोर्स कुछ नहीं था.

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस सौदे से देश को 35000 करोड़ दी चपत लगी है. सौदे में विमान की तादाद घटाए जाने से देश की सुरक्षा को ख़तरा बढ़ा है. तादाद 126 से 36 किए जाने की जानकारी न तो रक्षा मंत्री को थी न वायुसेना में किसी को. सरकार सीक्रेसी क्लाउज का बहाना करके छिपाना चाह रही है. पीएम मोदी ने सिर्फ अपने बिना पर फ़ैसला किया. ऑफ़सेट कॉन्ट्रेक्ट की गाइडलाइन भी इसी सरकार की बनाई है. डेसाल्ट जो क़ीमत बता रहा है 36 प्लेन की वह 65 हज़ार करोड़ के क़रीब बैठती है.

भूषण ने कहा कि हमारे देश को सुरक्षा के लिए सात स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, तभी 126 विमानों की बात हुई थी. इसके बावजूद यह संख्या 36 कर दी, बिना किसी की जानकारी के. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि कैसे किसी हैंकी पैंकी कंपनी को कॉंन्ट्रेक्ट दिया जा सकता है? वह (सरकार) कहती है कि इसमें मिडिल मैन कहां हैं! तो फिर इस डील में अनिल अंबानी कौन है? कहां से आ गया, कैसे हजारों करोड़ ले जाएगा? उन्होंने कहा कि CCS की रजामंदी के बिना पीएम को हक़ नहीं था. यह क्रिमिनल मिसकंडक्ट का मामला था जो पीएम के खिलाफ बनता, इसलिए अभी उस कानून को संशोधित कर दिया.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि विदेश सचिव ने समझौते से दो दिन पहले कहा था कि पुरानी डील को ही आगे बढ़ाएंगे, पर वहां जाकर नई डील कर ली गई. उन्होंने कहा कि इस लोकसभा में JPC को मौका नहीं मिलेगा, टाइम कम है. इस मामले की CAG जांच करे. तीन महीने में समयबद्ध जांच हो.

इस मामले को लेकर कोर्ट में जाने के सवाल पर प्रशांत भूषण ने कहा कि बिड़ला सहारा में क्या हुआ, लोया में क्या हुआ? खुद सीजेआई की हालत क्या है? कोर्ट जाने का मतलब होगा सरकार के हाथ में जाना. बिड़ला सहारा केस में मोदी जी को 40 करोड़ दिए जाने का सबूत था, पर कोर्ट ने जांच आर्डर नहीं किया.

यशवंत सिन्हा ने कहा कि अटल सरकार का काम करने का तरीक़ा अलग था, इस सरकार का अलग है. अच्छा है कि हम इस सरकार का हिस्से नहीं हैं. उन्होंने कहा कि रिज़र्व बैंक ने नोट अब तक काउंट क्यों नहीं किए? 2000 के नोट कहां जमा किए जा रहे हैं? कहीं जमा किए जा रहे हैं, जहां से निकालकर खर्च किए जाएंगे.

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अरुण शौरी ने कहा कि जिस तरह राफ़ेल डील की गई है उससे वायुसेना के लोग बहुत ख़फ़ा हैं. अनिल अंबानी ने मुझे भी कल रात में चिठ्ठी लिखी, इस मुद्दे को न उठाने को लेकर.


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