MP: कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में कौन मजबूत, धन-दौलत से लेकर शिक्षा और सियासत तक

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में कौन कितना मजबूत- शिक्षा से लेकर सियासत और धन-दौलत के मामले में

MP: कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में कौन मजबूत, धन-दौलत से लेकर शिक्षा और सियासत तक

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया( फाइल फोटो)

खास बातें

  • मध्य प्रदेश में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? कमलनाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया
  • जानिए दोनों कांग्रेस नेताओं के बारे में
  • शिक्षा से लेकर सियासत और धन-दौलत के मामले में कौन कितना है मजबूत
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी में जुटी है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी घोषणा होनी बाकी है. हालांकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ (Kamal Nath) रेस में आगे बताए जा रहे हैं. मगर, राजघराने से नाता रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Madhavrao Scindia) ने भी अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी विधायकों और नेताओं से रायशुमारी के बाद मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने की बात कही है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों के बारे में आइए जानते हैं कौन पढ़ाई-लिखाई से लेकर धन-दौलत और राजनीतिक दांव-पेंच में आगे है. 

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कमलनाथ (Kamal Nath) के बारे में जानिए
कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर 1946 को यूपी के कानपुर में हुआ. देहरादून के दून स्कूल में शुरुआती पढ़ाई के बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई किए हैं. अर्थक्षेत्र की अच्छी-खासी जानकारी रखते हैं और बिजनेसमैन भी हैं. राजनीतिक करियर की बात करें तो लोकसभा के अतिवरिष्ठ सांसदों में शुमार हैं. मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार नौ बार सांसद होने का रिकॉर्ड है. कमलनाथ पहली बार सातवीं लोकसभा यानी 1980 में जीते. वह फिर 1985, 1989 और 1991 में भी जीते. जून 1991 में पहली बार वह केंद्रीय मंत्री बने. उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद मिला.

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1995 से 1996 में वह केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री रहे.1998 और 1999 में भी कमलनाथ विजयी रहे. 2001 से लेकर 2004 तक वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 2004 में फिर चुनाव जीते तो मनमोहन सरकार में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हुए. 2009 तक इस पद रहे. 2009 में फिर से छिंदवाड़ा सीट से जीते तो यूपीए दो सरकार  में सड़क परिवहन मंत्री बने. 2011 में कैबिनेट रीशफल हुआ तो कमलनाथ को शहरी विकास मंत्री बनाया गया.अक्टूर 2012 में कमनाथ को संसदीय कार्यमंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली. 2012 में कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रणव मुखर्जी की जगह यूपीए की ओर से एफडीआई की डिबेट में हिस्सा लेने का मौका दिया था. वजह कि खुद व्यापार से जुड़ा होने के कारण कमलनाथ व्यापारिक मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं.

गांधी परिवार के नजदीकी रहे हैं कमलनाथ
नेहरू-गांधी परिवार के करीबी रहे हैं. संजय गांधी के बचपन के दोस्त और दून स्कूल के दौरान क्लासमेट रहे हैं. कमलनाथ द इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नॉलजी ए मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष रहे हैं. सितंबर 2011 में कमलनाथ को सबसे धनी केंद्रीय मंत्री घोषित हुए. उनके पास 2.73 बिलियन यानी दो अरब 73 करोड़ रुपये की संपत्ति रही. पीपीपी मॉडल और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, वर्ल्ड मार्केट को लेकर गहरी जानकारी रखते हैं. 2011 में दवोस में हुई वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में कमलनाथ अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं. 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में जानें
मध्य प्रदेश में चुनाव के दौरान से ही ज्योतिरादित्य माधव राव सिंधिया को कांग्रेस की तरफ से सीएम का दावेदार माना जाता रहा है. 1 जनवरी 1971 को ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में जन्म के कारण नाम के आगे सिंधिया लगाते हैं. पैतृक महल जयविलास पैलेस में रहते हैं. इस भवन की कीमत करीब दो सौ मिलियन डॉलर बताई जाती है. करीब चार सौ कमरे वाले इस महल के  40 कमरों में म्यूजियम है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2014 की लोकसभा के दौरान जो हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनके पास 32 करोड़ 64 लाख 412 रुपये संपत्ति है. ज्योतिरादित्य की 1984 बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की प्रियदर्शिनी से शादी हुई. ज्योतिरादित्य की एक बुआ  यशोधरा राजे  शिवराज कैबिनेट में मंत्री रहीं तो दूसरी बुआ वसुंधरा राजे बीजेपी से राजस्थान की निवर्तमान मुख्यमंत्री हैं.

पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के नौ बार रहे सांसद, दादी विजय राजे बीजेपी की कद्दावर नेता रहीं. कभी पिता भी माने जा रहे थे एमपी में सीएम पद के दावेदार,  30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में हो गई थी मौत. जब पिता की मौत हुई, तब जाकर विदेश से पढ़ाई कर लौटे ज्योतिरादित्य ने राजनीति में उतरने का फैसला किया. 2002 में पहली बार पिता की परंपरागत गुना संसदीय सीट से चुनाव जीते. 2004 के लोकसभा चुनाव में दोबारा इसी सीट से बने सांसद. यूपीए-1 की मनमोहन सरकार में पहली बार 2007 में  केंद्रीय राज्य मंत्री बने. यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में भी 2012 में रहे केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार. दून स्कूल के बाद अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और स्टैनफोर्ड स्कूल से की एमबीए की पढ़ाई. 

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