भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
12 साल बाद टीम इंडिया एक बार फिर फाइनल में पहुंची है. मिताली राज भारतीय क्रिकेट की अकेली ऐसी कप्तान बन गई हैं जिन्हें टीम इंडिया को दो बार (वनडे वर्ल्ड कप के) फाइनल में पहुंचाने का गौरव हासिल हो गया है. ये कारनामा कपिल देव, सौरव गांगुली या महेंद्र सिंह धोनी भी नहीं कर पाए हैं. डर्बी में ऑस्ट्रेलिया को 36 रन से हराकर टीम इंडिया दूसरी बार फाइनल में पहुंची है. पिछली बार 2005 में खेले गए फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 98 रन से हराकर खिताब पर कब्जा जमया था. भारत ने उस हार का बदला बड़े ही शानदार अंदाज में लिया है.
अलग है यह वर्ल्ड कप
मिताली 2005 में खेले गए फाइनल से मौजूदा वर्ल्ड कप के सफर को अलग बताती हैं. वो कहती हैं, "ये वर्ल्ड कप भारत के लिए उस वर्ल्ड कप से अलग है. पिछली बार किसी को पता भी नहीं था कि हमने फाइनल में जगह बनाई है. तब सब पुरुष क्रिकेट में व्यस्त थे. तब इन मैचों को टेलीविजन पर दिखाया भी नहीं गया था. इस बार अगर हमारी टीम जीत पाती है तो महिला क्रिकेट में क्रान्ति जैसी बात होगी. रविवार को भारत में सब टीवी से चिपके रहेंगे. अगर जीत हासिल हुई तो बहुत बड़ी कामयाबी होगी."
वीडियो रिपोर्ट : भारत महिला विश्व कप के फाइनल में
आसान नहीं था अॉस्ट्रेलिया को हराया
मिताली टीम की कामयाबी का श्रेय हरमनप्रीत, अपनी तेज गेंदबाजों और पूरी टीम को देती हैं. वो कहती हैं, "ऑस्ट्रेलिया को हराना आसान नहीं है. हरमनप्रीत ने बेहद शानदार पारी खेली तभी ये जीत हासिल हो पाई. इसके साथ हमें तेज गेंदबाजों को भी श्रेय देना होगा जिन्होंने शुरुआत में विकेट लेकर टीम को अच्छे ब्रेक दिए." 34 साल की मिताली कहती हैं कि टीम इंडिया ने इस टूर्नामेंट में कमबैक करने की अच्छी काबिलियत दिखाई है. 185 वनडे में 6173 रन बनाने वाली मिताली कहती हैं कि कमबैक की वजह से इस टीम की रंगत बदल गई है.
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फाइनल को लेकर उत्साहित
लॉर्ड्स पर फाइनल खेलने को लेकर मिताली बहुत उत्साहित हैं. वो पूरी टीम का इसके लिए शुक्रिया अदा कर रही हैं साथ ही टीम से अपील कर रही हैं कि वो इस गौरवशाली लम्हे का लुत्फ उठाए. मिताली कहती हैं, "लॉर्ड्स पर फाइनल खेलना बहुत बड़ी बात है. इसके इतिहास की वजह से लॉर्ड्स पर खेलना सभी क्रिकेटर का सपना होता है. हमें ये मौका मिला है और हमारी खिलाड़ियों ने हमें ये मौका दिया है. मैं और झूलन 2005 वर्ल्ड कप का भी हिस्सा थीं. मैं सभी खिलाड़ियों का इसके लिए शुक्रिया अदा करना चाहती हूं." 6 शतक और 49 अर्द्धशतकों के साथ 185 वनडे और 10 टेस्ट मैच खेलने वाली मिताली कहती हैं कि ये उनका आखिरी वर्ल्ड कप होगा और इसे जीतकर वो इसे और यादगार बनाना चाहती हैं.
12 साल बाद टीम इंडिया एक बार फिर फाइनल में पहुंची है. मिताली राज भारतीय क्रिकेट की अकेली ऐसी कप्तान बन गई हैं जिन्हें टीम इंडिया को दो बार (वनडे वर्ल्ड कप के) फाइनल में पहुंचाने का गौरव हासिल हो गया है. ये कारनामा कपिल देव, सौरव गांगुली या महेंद्र सिंह धोनी भी नहीं कर पाए हैं. डर्बी में ऑस्ट्रेलिया को 36 रन से हराकर टीम इंडिया दूसरी बार फाइनल में पहुंची है. पिछली बार 2005 में खेले गए फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 98 रन से हराकर खिताब पर कब्जा जमया था. भारत ने उस हार का बदला बड़े ही शानदार अंदाज में लिया है.
अलग है यह वर्ल्ड कप
मिताली 2005 में खेले गए फाइनल से मौजूदा वर्ल्ड कप के सफर को अलग बताती हैं. वो कहती हैं, "ये वर्ल्ड कप भारत के लिए उस वर्ल्ड कप से अलग है. पिछली बार किसी को पता भी नहीं था कि हमने फाइनल में जगह बनाई है. तब सब पुरुष क्रिकेट में व्यस्त थे. तब इन मैचों को टेलीविजन पर दिखाया भी नहीं गया था. इस बार अगर हमारी टीम जीत पाती है तो महिला क्रिकेट में क्रान्ति जैसी बात होगी. रविवार को भारत में सब टीवी से चिपके रहेंगे. अगर जीत हासिल हुई तो बहुत बड़ी कामयाबी होगी."
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मिताली टीम की कामयाबी का श्रेय हरमनप्रीत, अपनी तेज गेंदबाजों और पूरी टीम को देती हैं. वो कहती हैं, "ऑस्ट्रेलिया को हराना आसान नहीं है. हरमनप्रीत ने बेहद शानदार पारी खेली तभी ये जीत हासिल हो पाई. इसके साथ हमें तेज गेंदबाजों को भी श्रेय देना होगा जिन्होंने शुरुआत में विकेट लेकर टीम को अच्छे ब्रेक दिए." 34 साल की मिताली कहती हैं कि टीम इंडिया ने इस टूर्नामेंट में कमबैक करने की अच्छी काबिलियत दिखाई है. 185 वनडे में 6173 रन बनाने वाली मिताली कहती हैं कि कमबैक की वजह से इस टीम की रंगत बदल गई है.
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